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LIC कर्मचारियों ने की हड़ताल, 10 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचने का कर रहे हैं विरोध - LIC employees strike

ग्वालियर में LIC कर्मचारियों ने सिटी सेंटर के कार्यालय के बाहर नारेबाजी की और सरकार के भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ(प्रथम जन प्रस्ताव) लाने और उसकी 10 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचने के फैसले को घातक बताया.

LIC employees in Gwalior oppose selling 10% stake OF company
LIC की हिस्सेदारी बेचने का विरोध
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Published : Feb 4, 2020, 4:14 PM IST

ग्वालियर। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ(प्रथम जन प्रस्ताव) लाने और उसकी 10 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचने के फैसले का विरोध बढ़ता जा रहा है. एलआईसी के क्षेत्रीय कार्यालय सिटी सेंटर के बाहर मंगलवार को एलआईसी के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ नारेबाजी की और इसे घातक बताया.

LIC की हिस्सेदारी बेचने का विरोध


एलआईसी के अधिकारी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार एक महत्वपूर्ण संस्था एलआईसी का निजीकरण करने की दिशा में कदम उठाती जा रही है, इसका नतीजा है कि भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लाकर उसका 10 फ़ीसदी हिस्सा बेचने का फैसला अब सबके सामने हैं.


कर्मचारियों का कहना है कि 1956 से भारतीय जीवन बीमा निगम ने वित्तीय मदद से भारत सरकार को हजारों करोड़ रुपए की मदद करती आई है, लेकिन जो उसमें आईपीओ लाने और 10 फ़ीसदी हिस्सा बेचने की बात कही है, उससे एलआईसी की मदद पर असर पड़ेगा. एलआईसी अपने आर्थिक सहयोग से देश के विकास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देती है लेकिन सरकार को यह रास नहीं आ रहा है.

ग्वालियर। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ(प्रथम जन प्रस्ताव) लाने और उसकी 10 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचने के फैसले का विरोध बढ़ता जा रहा है. एलआईसी के क्षेत्रीय कार्यालय सिटी सेंटर के बाहर मंगलवार को एलआईसी के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ नारेबाजी की और इसे घातक बताया.

LIC की हिस्सेदारी बेचने का विरोध


एलआईसी के अधिकारी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार एक महत्वपूर्ण संस्था एलआईसी का निजीकरण करने की दिशा में कदम उठाती जा रही है, इसका नतीजा है कि भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लाकर उसका 10 फ़ीसदी हिस्सा बेचने का फैसला अब सबके सामने हैं.


कर्मचारियों का कहना है कि 1956 से भारतीय जीवन बीमा निगम ने वित्तीय मदद से भारत सरकार को हजारों करोड़ रुपए की मदद करती आई है, लेकिन जो उसमें आईपीओ लाने और 10 फ़ीसदी हिस्सा बेचने की बात कही है, उससे एलआईसी की मदद पर असर पड़ेगा. एलआईसी अपने आर्थिक सहयोग से देश के विकास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देती है लेकिन सरकार को यह रास नहीं आ रहा है.

Intro:ग्वालियर
हाल ही में देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लाने और उसकी 10 फ़ीसदी हिस्सेदारी बेचने के फैसले का विरोध बढ़ता जा रहा है। एलआईसी के क्षेत्रीय कार्यालय सिटी सेंटर के बाहर मंगलवार को एलआईसी के विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ नारेबाजी की और इसे घातक बताया।


Body:एलआईसी के अधिकारी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार एक महत्वपूर्ण संस्था एलआईसी का निजी करण करने की दिशा में कदम उठाती जा रही है। इसका नतीजा है कि भारतीय जीवन बीमा निगम का आईपीओ लाकर उसका 10 फ़ीसदी हिस्सा बेचने का फैसला अब सबके सामने हैं। कर्मचारियों ने सिटी सेंटर स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के बाहर नारेबाजी की और सरकार के इस कदम को देश की प्रगति के लिए घातक बताया।


Conclusion:कर्मचारियों का कहना है कि 1956 से भारतीय जीवन बीमा निगम ने वित्तीय मदद से भारत सरकार को हजारों करोड़ रुपए की मदद करती आई है लेकिन जो उसमें आईपीओ लाने और 10 फ़ीसदी हिस्सा बेचने की बात कही है उससे एलआईसी की मदद पर असर पड़ेगा। एलआईसी अपने आर्थिक सहयोग से देश के विकास कार्यों में महत्वपूर्ण योगदान देती है लेकिन सरकार को यह नहीं सुहा रहा है। बाइट बृजेश सिंह ...नेता एलआईसी अधिकारी कर्मचारी संघ ग्वालियर
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