ग्वालियर| चंबल- अंचल के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में आने वाले मरीजों को आधी से ज्यादा दवाएं बाहर से लाना पड़ती हैं. इलाज के दौरान सस्ती दवाएं तो मरीज को दे दी जाती हैं, लेकिन महंगी दवाएं नहीं दी जाती. मरीज के परिजन डॉक्टर के कहने पर बाहर से दवा लाने को मजबूर हो रहे हैं. वहीं जयारोग्य अस्पताल प्रशासन के सामने दवा का संकट खड़ा हो गया है. हॉस्पिटल में 10 महीने से दवाओं के लिए सरकार ने बजट नहीं दिया है. कॉरपोरेशन से मिला ढाई करोड़ का बजट भी खत्म हो चुका है.
अस्पताल में करीब सात हजार से ज्यादा लोग रोजाना इलाज के लिए आते हैं. वहीं करीब तीन हजार से ज्यादा मरीज कमला राजा अस्पताल में भर्ती रहते हैं. यहां आने वाले मरीजों को बाहर से दवा लाने को मजबूर होना पड़ रहा है. जयारोग्य अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उनको अप्रैल 2019 से दवाओं का बजट नहीं मिला है.
अस्पताल में भर्ती और ओपीडी में आने वाले मरीजों के इलाज के लिए शासन हर साल दवा का भारी- भरकम बजट देता है. साल 2017-18 में शासन ने 8:50 करोड रुपए का बजट अलॉट किया था, लेकिन अस्पताल कुल बजट में से चार करोड़ रुपए ही खर्च कर पाया. साल 2018-19 में जयरोग्य अस्पताल दवाओं के बजट से तीन करोड़ रुपए भी खर्च नहीं कर पाया था.