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फर्ज के आगे मजबूर: 3 महीने से पिता ने बेटियों को गले तक नहीं लगाया

कोविड काल में ग्वालियर के एक लैब टेक्नीशियन 3 महीनों से अपने परिवार से दूर है. दिन रात कोविड मरीजों के सैंपल लेने के कारण हमेशा संक्रमित होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में परिवार की सलामती के लिए वो उनसे दूर रह रहे हैं.

Father is away from children for 3 months
3 महीनों से बच्चों से दूर है पिता
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Published : May 6, 2021, 6:40 PM IST

ग्वालियर। जिला अस्पताल में पदस्थ एक लैब टेक्नीशियन की हिम्मत को सलाम है. परिवार में संक्रमण न फैले इसलिए ग्वालियर के जिला अस्पताल के लैब टेक्नीशियन रविंद्र सिंह यादव 3 महीने से अपने परिवार से दूर रह रहे हैं. रवीन्द्र की दो मासूम बेटियां है. जिनमें से एक सात साल की, तो दूसरी बेटी सवा साल की है. इन मासूम बच्चियों की सलामती के लिए रविंद्र 3 महीनों से उनसे दूर हैं.

3 महीनों से बच्चों से दूर है पिता

3 महीने से बच्चों से हैं दूर

ग्वालियर के मुरार जिला अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के पद पर रवींद्र सिंह यादव पदस्थ है. रवींद्र की ड्यूटी कोविड मरीजों के सेंपल लेने की. अभी तक रविंद्र हजारों कोरोना मरीजों के सैंपल ले चुके हैं. इसका असर उनकी मासूम बेटियों पर नहीं पड़े इसलिए वह अपने दिल पर पत्थर रखकर दोनों बेटियों से दूरी बनाए हुए हैं. टेक्नीशियन रविंद्र सिंह का कहना है कि मेरा मन तो करता है कि छुट्टी लेकर अपनी बेटियों के साथ घर पर कुछ दिन रहूं, लेकिन अपने फर्ज के आगे परिवार को पीछे छोड़ना ही पड़ता है.

हजारों मरीजों का ले चुके हैं सैंपल

रविंद्र बताते हैं कि मार्च 2020 से अभी तक वो हजारों कोरोना मरीजों के सैंपल ले चुके हैं. हर दिन 8 घंटे PPE किट पहनकर अपना फर्ज निभाते हैं. इस दौरान 41-42 डिग्री तक तापमान पहुंच जाता है. एक PPE किट एक बार ही इस्तेमाल की जा सकती है इसलिए बार-बार उसे खोलकर पानी नहीं पीया जा सकता. बार-बार PPE किट बदलने पर संक्रमित होने का भी खतरा रहता है इसलिए PPE किट एक बार पहनने पर लगातार काम ही करते रहना पड़ता है.

पोर्टल पर डाटा इंट्री नहीं, वैक्सीन के दूसरे डोज के लिए भटक रहे लोग

बेटियों में बसती है जान

रविंद्र बताते हैं कि इतनी सावधानियां बरतने के बाद भी कई लोग संक्रमित हो जाते हैं. परिवार पर खतरा न आए इसलिए वो अपने परिवार से दूर रहते हैं. उनके परिवार में दोनों बेटियों के अलावा पत्नी, मां और पिता हैं. रविंद्र कहते हैं कि बेटियों में मेरी जान बसती है लेकिन उनकी जान की परवाह करने के लिए मैं उनसे दूर रहने को मजबूर हूं.

ग्वालियर। जिला अस्पताल में पदस्थ एक लैब टेक्नीशियन की हिम्मत को सलाम है. परिवार में संक्रमण न फैले इसलिए ग्वालियर के जिला अस्पताल के लैब टेक्नीशियन रविंद्र सिंह यादव 3 महीने से अपने परिवार से दूर रह रहे हैं. रवीन्द्र की दो मासूम बेटियां है. जिनमें से एक सात साल की, तो दूसरी बेटी सवा साल की है. इन मासूम बच्चियों की सलामती के लिए रविंद्र 3 महीनों से उनसे दूर हैं.

3 महीनों से बच्चों से दूर है पिता

3 महीने से बच्चों से हैं दूर

ग्वालियर के मुरार जिला अस्पताल में लैब टेक्नीशियन के पद पर रवींद्र सिंह यादव पदस्थ है. रवींद्र की ड्यूटी कोविड मरीजों के सेंपल लेने की. अभी तक रविंद्र हजारों कोरोना मरीजों के सैंपल ले चुके हैं. इसका असर उनकी मासूम बेटियों पर नहीं पड़े इसलिए वह अपने दिल पर पत्थर रखकर दोनों बेटियों से दूरी बनाए हुए हैं. टेक्नीशियन रविंद्र सिंह का कहना है कि मेरा मन तो करता है कि छुट्टी लेकर अपनी बेटियों के साथ घर पर कुछ दिन रहूं, लेकिन अपने फर्ज के आगे परिवार को पीछे छोड़ना ही पड़ता है.

हजारों मरीजों का ले चुके हैं सैंपल

रविंद्र बताते हैं कि मार्च 2020 से अभी तक वो हजारों कोरोना मरीजों के सैंपल ले चुके हैं. हर दिन 8 घंटे PPE किट पहनकर अपना फर्ज निभाते हैं. इस दौरान 41-42 डिग्री तक तापमान पहुंच जाता है. एक PPE किट एक बार ही इस्तेमाल की जा सकती है इसलिए बार-बार उसे खोलकर पानी नहीं पीया जा सकता. बार-बार PPE किट बदलने पर संक्रमित होने का भी खतरा रहता है इसलिए PPE किट एक बार पहनने पर लगातार काम ही करते रहना पड़ता है.

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बेटियों में बसती है जान

रविंद्र बताते हैं कि इतनी सावधानियां बरतने के बाद भी कई लोग संक्रमित हो जाते हैं. परिवार पर खतरा न आए इसलिए वो अपने परिवार से दूर रहते हैं. उनके परिवार में दोनों बेटियों के अलावा पत्नी, मां और पिता हैं. रविंद्र कहते हैं कि बेटियों में मेरी जान बसती है लेकिन उनकी जान की परवाह करने के लिए मैं उनसे दूर रहने को मजबूर हूं.

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