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सिंधिया के बीजेपी में जाने से किस ओर जाएगी चंबल संभाग की राजनीति, वरिष्ठ पत्रकार से जानें

ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी की सदस्यता ले चुके हैं, जिससे सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद ग्वालियर चंबल संभाग की राजनीति में दूरगामी असर होगा. जिससे धुर विरोधियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं.

Jyotiraditya Scindia took membership of BJP
सिंधिया के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद चंबल संभाग की राजनीति में होगा असर
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Published : Mar 11, 2020, 10:45 PM IST

ग्वालियर। ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, लेकिन उनके बीजेपी में जाने के बाद ग्वालियर चंबल संभाग की राजनीति पर दूरगामी असर होगा. ग्वालियर चंबल संभाग की करीब 28 सीटों पर उनका किसी न किसी रूप में सीधा प्रभाव है. ऐसे में उनके समर्थक विधायकों की नई भूमिका क्या होगी और बीजेपी के पुराने नेता किस तरह सिंधिया और उनके समर्थकों को स्वीकार करेंगे यह बड़ा सवाल है.

सिंधिया के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद चंबल संभाग की राजनीति में होगा असर

उल्लेखनीय है कि नवंबर 2018 में मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस को काबिज कराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, लेकिन स्थितियां उस समय तेजी से बदली जब मई 2019 में हुए आम चुनाव में उनकी परंपरागत गुना संसदीय सीट से हार का सामना सिंधिया को करना पड़ा. फिलहाल सिंधिया के धुर विरोधी कहे जाने वाले जयभान पवैया और प्रभात झा सधी हुई प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जिनके प्रति वे हमेशा आक्रामक रहे हैं. अब भाजपा में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की एंट्री बीजेपी के कई नेताओं को अंदर ही अंदर नागवार गुजरी होगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है.

ग्वालियर। ज्योतिरादित्य सिंधिया अब बीजेपी का दामन थाम चुके हैं, लेकिन उनके बीजेपी में जाने के बाद ग्वालियर चंबल संभाग की राजनीति पर दूरगामी असर होगा. ग्वालियर चंबल संभाग की करीब 28 सीटों पर उनका किसी न किसी रूप में सीधा प्रभाव है. ऐसे में उनके समर्थक विधायकों की नई भूमिका क्या होगी और बीजेपी के पुराने नेता किस तरह सिंधिया और उनके समर्थकों को स्वीकार करेंगे यह बड़ा सवाल है.

सिंधिया के बीजेपी ज्वाइन करने के बाद चंबल संभाग की राजनीति में होगा असर

उल्लेखनीय है कि नवंबर 2018 में मध्य प्रदेश में 15 साल बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस को काबिज कराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा है, लेकिन स्थितियां उस समय तेजी से बदली जब मई 2019 में हुए आम चुनाव में उनकी परंपरागत गुना संसदीय सीट से हार का सामना सिंधिया को करना पड़ा. फिलहाल सिंधिया के धुर विरोधी कहे जाने वाले जयभान पवैया और प्रभात झा सधी हुई प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जिनके प्रति वे हमेशा आक्रामक रहे हैं. अब भाजपा में सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया की एंट्री बीजेपी के कई नेताओं को अंदर ही अंदर नागवार गुजरी होगी, ऐसी उम्मीद की जा रही है.

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