ETV Bharat / state

सिंध नदी में अवैध उत्खनन की जांच के हाईकोर्ट ने दिए आदेश, सीजीएम से मांगी रिपोर्ट - mining in Sindh river

हाईकोर्ट की युगल पीठ ने भिंड जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सिंध नदी में किए जा रहे खनन की जांच के आदेश दिए हैं. अदालत ने पूछा है कि 2 जुलाई को दिए गए आदेश के बाद उनका कितना पालन किया गया है. उसकी रिपोर्ट पेश की जाए.

investigate mining in Sindh river at bhind
अवैध उत्खनन के जांच के आदेश
author img

By

Published : Dec 14, 2019, 3:58 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने भिंड जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सिंध नदी में किए जा रहे खनन की जांच के आदेश दिए हैं. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि 2 जुलाई को दिए गए आदेश के पालन में शासन ने क्या इंतजाम किए हैं. और खनन रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं या नहीं, इसकी रिपोर्ट सीजीएम पूरी जांच करने के बाद कोर्ट में पेश करें. साथ ही अदालत ने एसपी से पुलिस बल मुहैया कराए ताकि जांच में कोई व्यवधान न हो.


कोर्ट ने 2 जुलाई को खनन रोकने के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी, इस पर नदी पर व्यवस्थाएं बनानी थी. ग्वालियर हाईकोर्ट ने लक्ष्मी नारायण द्वारा एडवोकेट उमेश बोहरे ने भिंड में सिंध नदी में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया था कि नदी में धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है, इससे नदी के अस्तित्व को खतरा है.


प्रशासन और पुलिस इसे रोकने में नाकाम है. रेत माफिया पूरे इलाके में हावी हो गया है. साथ ही खनन की वजह से शासन को लाखों का राजस्व का नुकसान भी हो रहा है, इसके बाद भिंड कलेक्टर ने खनन रोकने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी कोर्ट को दी थी. प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया था कि 2018-19 में रेत खनन से संबंधित 1063 केस दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 14 केस अवैध रेत खनन की दर्ज किए गए थे. 1022 केस अवैध रेत परिवहन से जुड़े हैं. उन 27 लोगों पर केस दर्ज किए गए, जिन्होंने रेत का अवैध भंडारण किया था. इन सब पर 6 करोड़ 96 लाख 10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है.

अवैध उत्खनन के जांच के आदेश


अवैध खनन के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है, लेकिन कोर्ट खनन रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन कितना किया है इसकी सही जानकारी के लिए इसकी जांच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपी है.


दरअसल, 14 जुलाई को जारी आदेश में कहा था कि रेत खदानों में चेक पोस्ट बनाए जाएं, मेटल और आईटी सिस्टम को खत्म कर इलेक्ट्रॉनिक रॉयल्टी पर्ची काटी जाए, खदानों की निगरानी के लिए स्थानीय स्तर पर सहायता समूह बनाया जाएं, जो वहां रेत खनन व परिवहन में लगे हैं, उनमे जीपीएस सिस्टम लगाए जाएं और उनका अलग से रजिस्ट्रेशन भी कराया जाए. इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर 2 रन और सीसीटीवी से अवैध उत्खनन और परिवहन की निगरानी की जाए.


इस बारे में गृह मंत्री बाला बच्चन का भी यही कहना है कि पिछले 15 सालों में अवैध उत्खनन का जो खुला खेल चला है, उसे मध्यप्रदेश सरकार ने रोकने का काम किया है. कोर्ट से जो निर्देश मिले हैं. उस बारे में स्थानीय अधिकारियों से बात करेंगे रेत के अवैध उत्खनन और प्रबंध को रोकने में जो कदम उठाने की जरूरत होगी सरकार को जरूर उठाएगी.

ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने भिंड जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सिंध नदी में किए जा रहे खनन की जांच के आदेश दिए हैं. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि 2 जुलाई को दिए गए आदेश के पालन में शासन ने क्या इंतजाम किए हैं. और खनन रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं या नहीं, इसकी रिपोर्ट सीजीएम पूरी जांच करने के बाद कोर्ट में पेश करें. साथ ही अदालत ने एसपी से पुलिस बल मुहैया कराए ताकि जांच में कोई व्यवधान न हो.


कोर्ट ने 2 जुलाई को खनन रोकने के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी, इस पर नदी पर व्यवस्थाएं बनानी थी. ग्वालियर हाईकोर्ट ने लक्ष्मी नारायण द्वारा एडवोकेट उमेश बोहरे ने भिंड में सिंध नदी में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया था कि नदी में धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है, इससे नदी के अस्तित्व को खतरा है.


प्रशासन और पुलिस इसे रोकने में नाकाम है. रेत माफिया पूरे इलाके में हावी हो गया है. साथ ही खनन की वजह से शासन को लाखों का राजस्व का नुकसान भी हो रहा है, इसके बाद भिंड कलेक्टर ने खनन रोकने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी कोर्ट को दी थी. प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया था कि 2018-19 में रेत खनन से संबंधित 1063 केस दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 14 केस अवैध रेत खनन की दर्ज किए गए थे. 1022 केस अवैध रेत परिवहन से जुड़े हैं. उन 27 लोगों पर केस दर्ज किए गए, जिन्होंने रेत का अवैध भंडारण किया था. इन सब पर 6 करोड़ 96 लाख 10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है.

अवैध उत्खनन के जांच के आदेश


अवैध खनन के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है, लेकिन कोर्ट खनन रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन कितना किया है इसकी सही जानकारी के लिए इसकी जांच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपी है.


दरअसल, 14 जुलाई को जारी आदेश में कहा था कि रेत खदानों में चेक पोस्ट बनाए जाएं, मेटल और आईटी सिस्टम को खत्म कर इलेक्ट्रॉनिक रॉयल्टी पर्ची काटी जाए, खदानों की निगरानी के लिए स्थानीय स्तर पर सहायता समूह बनाया जाएं, जो वहां रेत खनन व परिवहन में लगे हैं, उनमे जीपीएस सिस्टम लगाए जाएं और उनका अलग से रजिस्ट्रेशन भी कराया जाए. इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर 2 रन और सीसीटीवी से अवैध उत्खनन और परिवहन की निगरानी की जाए.


इस बारे में गृह मंत्री बाला बच्चन का भी यही कहना है कि पिछले 15 सालों में अवैध उत्खनन का जो खुला खेल चला है, उसे मध्यप्रदेश सरकार ने रोकने का काम किया है. कोर्ट से जो निर्देश मिले हैं. उस बारे में स्थानीय अधिकारियों से बात करेंगे रेत के अवैध उत्खनन और प्रबंध को रोकने में जो कदम उठाने की जरूरत होगी सरकार को जरूर उठाएगी.

Intro:ग्वालियर- हाईकोर्ट की युगल पीठ ने भिंड जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सिंध नदी में किए जा रहे खनन की जांच के आदेश दिए हैं कोर्ट ने आदेश दिया है कि 2 जुलाई को दिए गए आदेश के पालन में शासन ने क्या इंतजाम किए हैं धरातल पर खनन रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं या नहीं ...सीजीएम पूरी जांच कर रिपोर्ट पेश करें।


Body:साथ ही एसपी पुलिस बल मुहैया कराए ताकि जांच में कोई व्यवधान न हो।कोर्ट ने 2 जुलाई को खनन रोकने के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी। इस पर नदी पर व्यवस्थाएं बनानी थी। ग्वालियर हाईकोर्ट ने लक्ष्मी नारायण द्वारा एडवोकेट उमेश बोहरे ने भिंड में सिंध नदी में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया था कि नदी में धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है। इससे नदी के अस्तित्व को खतरा है।प्रशासन और पुलिस इसे रोकने में नाकाम है रेत माफिया पूरे इलाके में हावी हो गया है। साथ ही खनन की वजह से शासन को लाखों का राजस्व का नुकसान भी हो रहा है। इसके बाद भिंड कलेक्टर ने खनन रोकने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी कोर्ट को दी थी प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया था कि 2018-19 में रेत खनन से संबंधित 1063 केस दर्ज किए गए हैं जिसमें से 14 केस अवैध रेत खनन की दर्ज किए गए थे। 1022 के अवैध रेत परिवहन से जुड़े हैं 27 के उन लोगों पर केस दर्ज किए गए जिन्होंने रेत का अवैध भंडारण किया था। इन सब पर 6 करोड़ 96 लाख 10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है।अवैध खनन के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है।


Conclusion:लेकिन कोर्ट खनन रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे हाई कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन कितना किया है इसकी सही जानकारी के लिए इसकी जांच मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपी है। दरअसल 14 जुलाई को जारी आदेश में कहा था कि रेत खदानों में चेक पोस्ट बनाए जाएं, मेटल और आईटी सिस्टम को खत्म करके इलेक्ट्रॉनिक रायल्टी पर्ची काटी जाए, खदानों की निगरानी के लिए स्थानीय स्तर पर सहायता समूह बनाया जाए। जो वहां रेत खनन व परिवहन में लगे हैं उनमे जीपीएस सिस्टम लगाया जाए और उनका अलग से रजिस्ट्रेशन भी कराया जाए। इसके साथ ही आवश्यकता पड़ने पर 2 रन और सीसीटीवी से अवैध उत्खनन और परिवहन की निगरानी की जाए। वही इस बारे में गृह मंत्री बाला बच्चन का भी यही कहना है कि पिछले 15 सालों में अवैध उत्खनन का जो खुला खेल चला है उसे मध्य प्रदेश सरकार ने रोकने का काम किया है कोर्ट की जो निर्देश मिले हैं वह स्थानीय अधिकारियों से बात करेंगे रेत के अवैध उत्खनन और प्रबंध को रोकने में जो आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता होगी सरकार को जरूर उठाएगी।

बाइट - उमेश बोहरे, याचिकाकर्ता की वकील
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.