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शहर के लगभग 5 दर्जन मकानों पर बेदखली का खतरा, HC ने जीडीए को दिए जमीन वापस लेने के आदेश

हाईकोर्ट ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत देते हुए सुरेश नगर और जीवाजी नगर की आवंटित की गई जमीन पर 3 महीने के भीतर कब्जा लेने के आदेश दिए हैं. दरअसल 7 बीघा से ज्यादा की यह विवादित जमीन करीब 52 साल पहले जीडीए को आवासीय भूखंड विकसित करने के लिए आवंटित की गई थी.

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Published : Mar 24, 2019, 7:47 PM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत देते हुए सुरेश नगर और जीवाजी नगर की आवंटित की गई जमीन पर 3 महीने के भीतर कब्जा लेने के आदेश दिए हैं. दरअसल 7 बीघा से ज्यादा की यह विवादित जमीन करीब 52 साल पहले जीडीए को आवासीय भूखंड विकसित करने के लिए आवंटित की गई थी.


शहर के थाटीपुर इलाके में सुरेश नगर और जीवाजी नगर के तीन सर्वे नंबरों को 1967 में गांधी रोड स्कीम नंबर 2 के लिए जमीन आवंटित की गई थी. जबकि जमीन को ग्वालियर लैंड डील्स एंड फाइनेंस तथा अन्य लोगों ने अधिसूचना जारी होने के बाद बेची है. इसलिए हाईकोर्ट ने 3 महीने के भीतर अवैध रूप से कब्जा करने वालों को बेदखल करने के निर्देश दिए हैं.

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गौरतलब है कि जमीन बेचने वाली समिति ने हाईकोर्ट में 2005 में अपील दायर की थी. जिसमें आदेश को चुनौती देते हुए 5 प्लॉट पर अपना आधिपत्य मांगा गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने यह अपील खारिज करते हुए पांच प्लॉटों के साथ ही उक्त सर्वे नंबर की जमीन को भी जीडीए की माना है.


खास बात यह है कि जो जमीन हाईकोर्ट ने जीडीए की मानी है वहां पर वर्तमान में 5 दर्जन से ज्यादा मकान बने हुए हैं और एक मैरिज गार्डन भी विवादित जमीन पर संचालित है. ऐसे में ग्वालियर विकास प्राधिकरण को सर्वे नंबर 2286 के भाग 2 और 4 सर्वे नंबर 2298 के भाग 1 और 5 तथा 2299 के भाग 1 से 4 तक एक लाख 8000 से ज्यादा वर्ग फिट की जमीन को जीडीए की माना है.कानून के जानकार मानते हैं कि इस मामले में पीड़ित पक्ष सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर सकते हैं. वहीं जीडीए का कहना है कि इस मामले में विवादित जमीन से कब्जा धारकों को नोटिस देकर उनके कब्जे हटाए जाएंगे.

ग्वालियर। हाईकोर्ट ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत देते हुए सुरेश नगर और जीवाजी नगर की आवंटित की गई जमीन पर 3 महीने के भीतर कब्जा लेने के आदेश दिए हैं. दरअसल 7 बीघा से ज्यादा की यह विवादित जमीन करीब 52 साल पहले जीडीए को आवासीय भूखंड विकसित करने के लिए आवंटित की गई थी.


शहर के थाटीपुर इलाके में सुरेश नगर और जीवाजी नगर के तीन सर्वे नंबरों को 1967 में गांधी रोड स्कीम नंबर 2 के लिए जमीन आवंटित की गई थी. जबकि जमीन को ग्वालियर लैंड डील्स एंड फाइनेंस तथा अन्य लोगों ने अधिसूचना जारी होने के बाद बेची है. इसलिए हाईकोर्ट ने 3 महीने के भीतर अवैध रूप से कब्जा करने वालों को बेदखल करने के निर्देश दिए हैं.

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गौरतलब है कि जमीन बेचने वाली समिति ने हाईकोर्ट में 2005 में अपील दायर की थी. जिसमें आदेश को चुनौती देते हुए 5 प्लॉट पर अपना आधिपत्य मांगा गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने यह अपील खारिज करते हुए पांच प्लॉटों के साथ ही उक्त सर्वे नंबर की जमीन को भी जीडीए की माना है.


खास बात यह है कि जो जमीन हाईकोर्ट ने जीडीए की मानी है वहां पर वर्तमान में 5 दर्जन से ज्यादा मकान बने हुए हैं और एक मैरिज गार्डन भी विवादित जमीन पर संचालित है. ऐसे में ग्वालियर विकास प्राधिकरण को सर्वे नंबर 2286 के भाग 2 और 4 सर्वे नंबर 2298 के भाग 1 और 5 तथा 2299 के भाग 1 से 4 तक एक लाख 8000 से ज्यादा वर्ग फिट की जमीन को जीडीए की माना है.कानून के जानकार मानते हैं कि इस मामले में पीड़ित पक्ष सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर सकते हैं. वहीं जीडीए का कहना है कि इस मामले में विवादित जमीन से कब्जा धारकों को नोटिस देकर उनके कब्जे हटाए जाएंगे.

Intro:ग्वालियर
हाई कोर्ट ने ग्वालियर विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत देते हुए सुरेश नगर और जीवाजी नगर की आवंटित की गई जमीन पर 3 महीने के भीतर कब्जा लेने के आदेश दिए हैं। दरअसल 7 बीघा से ज्यादा की यह विवादित जमीन करीब 52 साल पहले जीडीए को आवासीय भूखंड विकसित करने के लिए आवंटित की गई थी।


Body:शहर के थाटीपुर इलाके में सुरेश नगर और जीवाजी नगर के तीन सर्वे नंबरों को 1967 में गांधी रोड स्कीम नंबर 2 के लिए जमीन आवंटित की गई थी। जबकि जमीन को ग्वालियर लैंड डील्स एंड फाइनेंस तथा अन्य लोगों ने अधिसूचना जारी होने के बाद बेची है इसलिए हाई कोर्ट ने 3 महीने के भीतर अवैध रूप से कब्जा करने वालों को बेदखल करने के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि जमीन बेचने वाली समिति ने हाई कोर्ट में 2005 में अपील दायर की थी। जिसमें आदेश को चुनौती देते हुए 5 प्लॉट पर अपना आधिपत्य मांगा गया था। लेकिन हाईकोर्ट ने यह अपील खारिज करते हुए पांच प्लॉटों के साथ ही उक्त सर्वे नंबर की जमीन को भी जीडीए की माना है।


Conclusion:खास बात यह है कि जो जमीन हाई कोर्ट ने जीडीए की मानी है वहां पर वर्तमान में 5 दर्जन से ज्यादा मकान बने हुए हैं और एक मैरिज गार्डन भी विवादित जमीन पर संचालित है। ऐसे में ग्वालियर विकास प्राधिकरण को सर्वे नंबर 22 86 के भाग 2 और 4 सर्वे नंबर 2298 के भाग 1 और 5 तथा 2299 के भाग 1 से 4 तक एक लाख 8000 से ज्यादा वर्ग फिट की जमीन को जीडीए की माना है। कानून के जानकार मानते हैं कि इस मामले में पीड़ित पक्ष सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर सकते हैं वहीं जीडीए का कहना है कि इस मामले में विवादित जमीन से कब्जा धारकों को नोटिस देकर उनके कब्जे हटाए जाएंगे। बाइट राघवेंद्र दीक्षित अधिवक्ता हाई कोर्ट ग्वालियर
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