ग्वालियर। देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को इस दशक का पहला आम बजट पेश कर दिया है. पेश किए गए आम बजट को लेकर लोगों में पहले जो उत्साह देखा जा रहा था, वह दोपहर बाद गायब होता देखा गया. ज्यादातर लोगों ने इस बजट को आम लोगों से कोसों दूर बताया है. साथ ही लोगों को कहना है कि मध्यमवर्गीय और गरीब लोगों को इस बजट से कुछ भी हासिल नहीं होगा. पेश हुए इस बजट से युवा और महिलाएं खास तौर पर बेहद नाखुश दिखे.
आम बजट को लेकर लोगों में बड़ी जिज्ञासा थी. कोरोना काल के दौरान वित्त मंत्री ने यह पहला आम बजट पेश किया है. बजट में लोगों को उम्मीद थी कि रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे. नई इंडस्ट्रीज को स्थापित किया जाएगा, लेकिन लोगों को निराशा ही हाथ लगी है.
सबसे ज्यादा लोगों को ईंधन की मार से आघात लगा है. पेट्रोलियम पदार्थों पर ढाई रुपए एग्री सेस लगने से पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में और ज्यादा इजाफा होने का अंदेशा जताया गया है. वहीं महिलाओं ने कहा है कि पेट्रोलियम पदार्थों की महंगाई का असर रोजाना उपयोग में आने वाली चीजों पर सीधे तौर पर पड़ता है. जिससे रोज मर्रा की चीजें बेहद महंगी हो जाएंगी.
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मंहगाई बढ़ने से मध्यमवर्गीय और गरीब तबका जरूरत की चीजें खरीदने में खुद को बेबस महसूस करेगा. युवा पढ़-लिखकर रोजगार की तलाश में पिछले एक साल से भटक रहे हैं, लेकिन उनके लिए रोजगार खत्म होते जा रहे हैं. वहीं कामकाजी महिलाओं का कहना है कि सरकार बड़े-बड़े संस्थानों का निजीकरण करती जा रही है, जिससे सरकार के खिलाफ लोग आक्रोशित हैं.