ग्वालियर। कमलाराजे चैरिटेबल से कोर्ट ने जवाब मांगा है. इससे पहले जिला एवं सत्र न्यायालय ने सिंधिया परिवार के आधिपत्य वाले कमला राजे चैरिटेबल ट्रस्ट के मामले में समय पर शासन द्वारा जवाब पेश नहीं करने को लेकर शासन का जवाब रिकॉर्ड पर नहीं लिया था. यही नहीं कोर्ट ने प्रभारी अधिकारी के खिलाफ टिप्पणी भी की थी कि उन्हें समय-समय पर जवाब पेश करने के लिए निर्देशित किया गया था लेकिन प्रभारी अधिकारी ने जवाब पेश नहीं किया. इसलिए उनके जवाब देने के अधिकार को खत्म कर दिया गया.
शासन पर लगा था जुर्माना : अदालत ने शासन पर 500 रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया था. इसके खिलाफ शासन ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. पूर्व में इस महत्वपूर्ण मामले में शासन का पक्ष रखने में तबीयत खराब होने का हवाला देकर तहसीलदार शिवदत्त कटारे ने समय पर जवाब पेश नहीं किया था. दरअसल, सिंधिया परिवार के आधिपत्य वाले कमला राजा चैरिटेबल ट्रस्ट ने जिला न्यायालय में एक दावा पेश किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि महालेखाकार कार्यालय के सामने जो रेलवे ओवरब्रिज बनाया गया है वह उनकी जमीन पर स्थित है.
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सिंधिया परिवार ने मांगा था मुआवजा : इस प्रकरण में ट्रस्ट द्वारा अस्थाई निषेधाज्ञा के संबंध में कोर्ट से सहायता चाही गई थी, जिसमें शासन ने बताया था कि पुल आम जनता के हित के लिए है और शासकीय जमीन पर बना हुआ है. इसके मद्देनजर कोर्ट ने ट्रस्ट के आवेदन को खारिज कर दिया था. सिंधिया परिवार ने इस पुल के निर्माण को लेकर शासन से 7 करोड़ की क्षतिपूर्ति राशि की भी मांग की है. 19 जुलाई को सरकार का जवाब देने का अवसर समाप्त कर दिया गया था, क्योंकि प्रभारी अधिकारी यानी तहसीलदार शिवदत्त कटारे ने समय पर अपना जवाब पेश नहीं किया था. बाद में लगाए गए आवेदन को न्यायालय ने पिछली सुनवाई में खारिज कर दिया था.