ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मुरैना के तीन लोगों पर बीस हज़ार का जुर्माना लगाया है. इसके अलावा कोर्ट ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को तथ्यों को छुपाने को अवमानना की श्रेणी में माना है. लेकिन कोर्ट ने वकील को चेतावनी देकर कहा है कि वे भविष्य में इस तरह की याचिका दायर करने से बचें. कोर्ट ने सभी न्यायालय को आदेश की कॉपी देने के निर्देश दिए हैं.
दरअसल संविदा शाला शिक्षक वर्ग तीन की परीक्षा वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी. इसमें चयनित कुछ प्रतिभागियों को जब नियुक्ति नहीं दी गई तो उन्होंने कोर्ट में याचिका दायर की. जिस पर कोर्ट ने शासन को आदेश दिया है कि वे अपने अभ्यावेदन का नियम अनुसार निराकरण करेंय. कोर्ट के आदेश पर कई प्रतिभागियों को संविदा शाला शिक्षक के पद पर नियुक्ति प्रदान की गई. इसी को आधार बनाकर याचिकाकर्ता राम अवतार गौर व अन्य ने कोर्ट में याचिका दायर की. साथ ही संविदा शाला शिक्षक के पद पर नियुक्ति के संबंध में उन्हें भी अभ्यावेदन पर विचार करने के लिए शासन को निर्देश जारी करने की मांग की.
कोर्ट ने इस मामले में पाया कि याचिकाकर्ता द्वारा डीएड की डिग्री भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश से प्राप्त की गई, जो यहां मान्य नहीं है. इसके साथ ही याचिकाकर्ता की ओर से इस तरह के अन्य मामलों में हाईकोर्ट द्वारा जो आदेश पारित किए गए उनकी भी जानकारी प्रस्तुत नहीं की गई. जिसमें याचिका को खारिज किया है, बल्कि कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास करते हुए यह बताया गया कि याचिकाकर्ता का मामला भी उन्हीं मामलों जैसा है. जिनमें कोर्ट ने शासन को प्रतिभागियों के अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील जीएस शर्मा के इस कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा भी की है.