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Gwalior Nursing Scandal व्यापम से भी बड़ा नर्सिंग घोटाला! तीसरी बार जांच कमेटी गठित, अब तक नहीं हो सका घोटालेबाजों का नाम उजागर

मध्य प्रदेश के ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में नर्सिंग कांड में दोषियों के नाम आज तक उजागर नहीं हो पाएं हैं. हालत ये है कि दो जांच कमेटियों के अब नई तीसरी कमेटी गठित कर दी गयी है जो नर्सिंग घोटाले की जांच करेगी. यूनिवर्सिटी के मेंबरों की माने तो ये व्यापमं से बड़ा घोटला है. जिसके चलते बड़े लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इसलिए बार-बार जांच कमेटियों का गठन किया जा रहा है.

Gwalior BSC Nursing Scandal
व्यापम से भी बड़ा नर्सिंग घोटाला
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Published : Dec 5, 2022, 6:41 PM IST

Updated : Dec 5, 2022, 6:58 PM IST

ग्वालियर। साल 2019 में ग्वालियर की जीवाजी विश्वविद्यालय में बीएससी नर्सिंग चतुर्थ वर्ष के रिजल्ट में घोटाला (Gwalior BSC Nursing Scandal) हुआ था. इसमें जो विद्यार्थी फेल थे, उनको पास की मार्कशीट जारी की गई थी. यूनिवर्सिटी से 318 फेल विद्यार्थियों की पास की मार्कशीट बनाई गई, जिसमें 218 विद्यार्थियों को पास की मार्कशीट मिल भी चुकी थी, शेष मार्कशीटें जारी की जा रही थीं, इसी दौरान तत्कालीन कार्यपरिषद सदस्य अनूप अग्रवाल के हाथ नर्सिंग की फर्जी मार्कशीट लग गई, जिसको लेकर उन्होंने शिकायत की. इस पूरे कांड की प्राथमिक जांच की गई तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था.

ग्वालियर के जीवाजी विश्वविद्यालय में बड़ा घोटाला

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तीसरी जांच कमेटी का गठन: एक सप्ताह पहले ही नर्सिंग घोटाले के जांच के लिए तीसरी जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है, जो फर्जीवाड़े से संबंधित अंकचार्ट, फर्जी मार्कशीट और पूर्व जांच कमेटी द्वारा बनाई गई रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन कर रही हैं. विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने पूर्व कुलपति प्रो. रमेश चंद्रा, पूर्व कुलसचिव भोज विवि एचएस त्रिपाठी को इस जांच कमेटी में नियुक्त किया है. वहीं विश्वविधालय की कार्यपरिषद के सदस्यों को लगता है कि नर्सिंग घोटले में बड़े लोगों का हाथ है. इसलिए बार-बार कमेटी बदली जा रही है, साथ ही ये घोटला व्यापमं से बड़ा घोटला लग रहा है.

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कुलपति की चुप्पी सवालों के घेरे में: नर्सिंग घोटाले को लेकर NSUI और ABVP बड़ा प्रदर्शन कर चुकी हैं, लेकिन इतने बड़े घोटाले में सीधे तौर पर कुलपति से लेकर कुलसचिव पर आरोप लगते रहे हैं, बावजूद इसके कुलपति इस घोटाले को लेकर आज भी अपना पक्ष रखने के लिए कैमरे के सामने नहीं आ रहे हैं. कार्य परिषद की बैठक में फिर से नर्सिंग घोटाले का मामला तेजी से गूंजा है, तब भी कुलपति अविनाश तिवारी की चुप्पी सवालों के घेरे में.

ग्वालियर। साल 2019 में ग्वालियर की जीवाजी विश्वविद्यालय में बीएससी नर्सिंग चतुर्थ वर्ष के रिजल्ट में घोटाला (Gwalior BSC Nursing Scandal) हुआ था. इसमें जो विद्यार्थी फेल थे, उनको पास की मार्कशीट जारी की गई थी. यूनिवर्सिटी से 318 फेल विद्यार्थियों की पास की मार्कशीट बनाई गई, जिसमें 218 विद्यार्थियों को पास की मार्कशीट मिल भी चुकी थी, शेष मार्कशीटें जारी की जा रही थीं, इसी दौरान तत्कालीन कार्यपरिषद सदस्य अनूप अग्रवाल के हाथ नर्सिंग की फर्जी मार्कशीट लग गई, जिसको लेकर उन्होंने शिकायत की. इस पूरे कांड की प्राथमिक जांच की गई तो बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया था.

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तीसरी जांच कमेटी का गठन: एक सप्ताह पहले ही नर्सिंग घोटाले के जांच के लिए तीसरी जांच कमेटी का गठन कर दिया गया है, जो फर्जीवाड़े से संबंधित अंकचार्ट, फर्जी मार्कशीट और पूर्व जांच कमेटी द्वारा बनाई गई रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन कर रही हैं. विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद ने पूर्व कुलपति प्रो. रमेश चंद्रा, पूर्व कुलसचिव भोज विवि एचएस त्रिपाठी को इस जांच कमेटी में नियुक्त किया है. वहीं विश्वविधालय की कार्यपरिषद के सदस्यों को लगता है कि नर्सिंग घोटले में बड़े लोगों का हाथ है. इसलिए बार-बार कमेटी बदली जा रही है, साथ ही ये घोटला व्यापमं से बड़ा घोटला लग रहा है.

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कुलपति की चुप्पी सवालों के घेरे में: नर्सिंग घोटाले को लेकर NSUI और ABVP बड़ा प्रदर्शन कर चुकी हैं, लेकिन इतने बड़े घोटाले में सीधे तौर पर कुलपति से लेकर कुलसचिव पर आरोप लगते रहे हैं, बावजूद इसके कुलपति इस घोटाले को लेकर आज भी अपना पक्ष रखने के लिए कैमरे के सामने नहीं आ रहे हैं. कार्य परिषद की बैठक में फिर से नर्सिंग घोटाले का मामला तेजी से गूंजा है, तब भी कुलपति अविनाश तिवारी की चुप्पी सवालों के घेरे में.

Last Updated : Dec 5, 2022, 6:58 PM IST

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