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अचलेश्वर मंदिर ट्रस्ट पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को दिया ये आदेश - ग्वालियर न्यूज

शहर के प्राचीन अचलेश्वर महादेव मंदिर लोक न्यास ट्रस्ट के मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को सभी कलेक्टरों को नॉटिफिकेशन जारी करने का आदेश दिया है.

अचलेश्वर मंदिर ट्रस्ट पर ग्वालियर खंडपीठ का फैसला
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Published : Nov 25, 2019, 1:48 PM IST

Updated : Nov 25, 2019, 3:17 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शहर के प्राचीन अचलेश्वर महादेव मंदिर लोक न्यास ट्रस्ट पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर सीधे तौर पर अपने अधीनस्थ एसडीएम को ट्रस्ट का पंजीयक नहीं बना सकते. साथ ही इस मामले में मुख्य सचिव को सभी कलेक्टरों को नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश दिया है. अचलेश्वर महादेव मंदिर में हो रही आर्थिक अनियमितता को लेकर ट्रस्ट के पदाधिकारी संतोष राठौर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर कोर्ट ने तीन महीने के अंदर जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

अचलेश्वर मंदिर ट्रस्ट पर सुनवाई

कोर्ट ने कलेक्टर को अचलेश्वर न्यास के संबंध में दायर सभी आवेदनों का तीन महीने में निराकरण करने का आदेश दिया है, साथ ही एसडीएम सीबी प्रसाद को आदेश के बाद भी न्यास का रिकॉर्ड कोर्ट में पेश नहीं करने का दोषी मानते हुए मुख्य सचिव और कलेक्टर अनुराग चौधरी को इस मामले में उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसडीएम से पूछा कि वह किस आदेश के आधार पर पंजीयक लोक न्यास का दायित्व निभा रहे हैं. जिसके जवाब में उन्होंने बताया कि कलेक्टर ने एक जून 2019 को प्रशासनिक कार्य सुविधा की दृष्टि से कार्य का विभाजन किया था. इसी आदेश के आधार पर वे बतौर पंजीयक कार्य कर रहे हैं. कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पूर्व में भी कई बार ये स्पष्ट किया जा चुका है कि कलेक्टर इस प्रकार एसडीएम को विशेष अधिकार नहीं दे सकते.

ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शहर के प्राचीन अचलेश्वर महादेव मंदिर लोक न्यास ट्रस्ट पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर सीधे तौर पर अपने अधीनस्थ एसडीएम को ट्रस्ट का पंजीयक नहीं बना सकते. साथ ही इस मामले में मुख्य सचिव को सभी कलेक्टरों को नोटिफिकेशन जारी करने का आदेश दिया है. अचलेश्वर महादेव मंदिर में हो रही आर्थिक अनियमितता को लेकर ट्रस्ट के पदाधिकारी संतोष राठौर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. जिस पर कोर्ट ने तीन महीने के अंदर जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

अचलेश्वर मंदिर ट्रस्ट पर सुनवाई

कोर्ट ने कलेक्टर को अचलेश्वर न्यास के संबंध में दायर सभी आवेदनों का तीन महीने में निराकरण करने का आदेश दिया है, साथ ही एसडीएम सीबी प्रसाद को आदेश के बाद भी न्यास का रिकॉर्ड कोर्ट में पेश नहीं करने का दोषी मानते हुए मुख्य सचिव और कलेक्टर अनुराग चौधरी को इस मामले में उचित कार्रवाई करने का आदेश दिया है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने एसडीएम से पूछा कि वह किस आदेश के आधार पर पंजीयक लोक न्यास का दायित्व निभा रहे हैं. जिसके जवाब में उन्होंने बताया कि कलेक्टर ने एक जून 2019 को प्रशासनिक कार्य सुविधा की दृष्टि से कार्य का विभाजन किया था. इसी आदेश के आधार पर वे बतौर पंजीयक कार्य कर रहे हैं. कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पूर्व में भी कई बार ये स्पष्ट किया जा चुका है कि कलेक्टर इस प्रकार एसडीएम को विशेष अधिकार नहीं दे सकते.

Intro:ग्वालियर
शहर के प्राचीन श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर लोक न्यास ट्रस्ट के मामले पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने साफ किया है कि कलेक्टर सीधे तौर पर अपने अधीनस्थ एसडीएम को ट्रस्ट का पंजीयक नहीं बना सकते। कोर्ट ने इस मामले में मुख्य सचिव को सभी जिला कलेक्टरों को नोटिफिकेशन जारी करके निर्देश देने को कहा है। दरअसल अचलेश्वर महादेव मंदिर में हो रही आर्थिक अनियमितताओं को लेकर ट्रस्ट के ही एक पदाधिकारी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। जिस पर हाईकोर्ट ने 3 महीने के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट पेश करने को कहा है।Body:दरअसल हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने यह निर्देश ग्वालियर के अचलेश्वर महादेव सार्वजनिक न्यास में अनियमितताओं को लेकर दायर याचिका को निराकृत करते हुए दिए हैं और कहा है कि शासन द्वारा नोटिफिकेशन जारी किए बिना कलेक्टर कार्य विभाजन के आधार पर एसडीएम को अधिकारों का प्रत्यायोजन नहीं कर सकते। हाईकोर्ट ने कलेक्टर ग्वालियर को अचलेश्वर न्यास के संबंध में दायर सभी आवेदनों का 3 माह में निराकरण करने के लिए कहा है, साथ ही एसडीएम सीबी प्रसाद को आदेश के बाद भी न्यास का रिकॉर्ड कोर्ट में पेश नहीं करने का दोषी मानते हुए मुख्य सचिव और कलेक्टर अनुराग चौधरी को इस मामले में उचित कार्रवाई का निर्देश दिए है।Conclusion:ग्वालियर के अचलेश्वर न्यास में आर्थिक अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए न्यास के ही सदस्य संतोष राठौर ने यह याचिका दायर की थी और याचिका में कलेक्टर को ट्रस्ट के संचालन और रिकॉर्ड की निगरानी की मांग की गई थी। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने एसडीएम सीबी प्रसाद से पूछा कि वह किस आदेश के आधार पर पंजीयक लोक न्यास का दायित्व निभा रहे हैं। उन्होंने बताया कि कलेक्टर ने 1 जून 2019 को प्रशासनिक कार्य सुविधा की दृष्टि से कार्य का विभाजन किया था। इसी आदेश के आधार पर वे बतौर पंजीयक कार्य कर रहे थे। हाई कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि पूर्व में भी कई बार यह स्पष्ट किया जा चुका है कि कलेक्टर इस प्रकार एसडीएम को अधिकारों का प्रत्यायोजन नहीं कर सकते हैं।
बाइट- संतोष सिंह राठौर... याचिकाकर्ता
Last Updated : Nov 25, 2019, 3:17 PM IST
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