ग्वालियर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव और गुना कलेक्टर द्वारा अवमानना मामले में माफी मांगने को नाकाफी बताया है. कोर्ट ने दोनों अफसरों से 19 जून को एक बार फिर व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में हाजिर होकर स्पष्टीकरण मांगा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना के तहत कार्रवाई की जाए.
मामले में एक जनहित याचिका पिछले साल ग्वालियर खंडपीठ में दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट के पहले के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि हाईकोर्ट के निर्देश के बावजूद दुकानें नहीं तोड़ी गई हैं. हाईकोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लिया, जिसमें कलेक्टर और प्रमुख सचिव राजस्व को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर अपनी सफाई देने के निर्देश दिए.
कलेक्टर भास्कर लाक्षाकार ने कोर्ट में एक आदेश की प्रति दिखाते हुए कहा कि उक्त जमीन पर बनी दुकानों को हर्जाने की राशि वसूलने के बाद वैध किया जा सकता है. इस पर हाईकोर्ट ने दोनों अफसरों को फटकार लगाते हुए कहा कि दोनों ही अधिकारियों ने कोर्ट के आदेश की अवमानना की है. इस पर उन्हें अगले महीने की19 मई को अपना स्पष्टीकरण कोर्ट में देना होगा. अगर स्पष्टीकरण से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ, तो दोनों अफसरों के खिलाफ अवमानना का केस चलाया जाएगा. बहरहाल कोर्ट के इस आदेश के बाद राजस्व विभाग में हड़कंप की स्थिति है.
क्या है मामला
गुना के राघौगढ़ कस्बे में 1985 में राज्य शासन ने कब्रिस्तान के लिए जमीन दी थी. इस जमीन पर 2008 में वक्फ बोर्ड ने 60 दुकानों का निर्माण कर दिया था. इसे लेकर वहां रहने वाले बलराम पटवा ने 2010 में एक जनहित याचिका हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में दायर की, जिसमें कहा गया कि कब्रिस्तान की जमीन पर बिना डायवर्शन कराए लैंड यूज बदला गया है. कोर्ट ने जिला प्रशासन को निर्देश दिए कि इस मामले की जांच करें और यदि निर्माण अवैध है तो उसे हटाने की कार्रवाई की जाए. जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, तो उच्चतम न्यायालय ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, लेकिन गुना प्रशासन ने इस जमीन से दुकान हटाने की कार्रवाई नहीं की.