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ग्वालियर एयरवेज स्टेशन पर दुश्मन भी नहीं रख सकता नजर, कई युद्धों में निभाई अहम भूमिका

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Published : Oct 8, 2021, 2:05 PM IST

Updated : Oct 8, 2021, 7:44 PM IST

आज भारतीय वायुसेना दिवस है. इस मौके पर पूरा देश वायु सेना द्वारा विभिन्न युद्धों में दिखाए गए शौर्य और पराक्रम के सुनहरे पलों को याद कर रहा है. ग्वालियर में वायु सेना का एयरवेज स्टेशन है और यह देश स्टेशन बाकी एयरवेज स्टेशनों से बहुत खास है. यह एक मात्र एयरवेज स्टेशन है जो दुश्मनों की रडार से बाहर है.

भारतीय वायु सेना दिवस

ग्वालियर। किसी भी देश की सेना का सबसे प्रमुख अंग वायुसेना होता है. आज भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) है. इस मौके पर पूरा देश वायु सेना द्वारा विभिन्न युद्धों में दिखाए गए शौर्य और पराक्रम के सुनहरे पलों को याद कर रहा है. पूरे देश भर के साथ-साथ वायु सेना के लिए ग्वालियर भी एक महत्व स्थान रखता है. ग्वालियर में वायु सेना का एयरवेज स्टेशन (Gwalior Airways Station) है और यह देश स्टेशन बाकी एयरवेज स्टेशनों से बहुत खास है. यह एक मात्र एयरवेज स्टेशन है जो दुश्मनों की रडार से बाहर है. ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन (Maharajapura Airforce Station) 1984 में बना था और अब तक हुए युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है. वहीं दो साल पहले फरवरी में हुई एयर स्ट्राइक (Air Strike) के दौरान भी ग्वालियर एयरबेस ने अहम रोल निभाया था.

ग्वालियर एयरवेज स्टेशन की है खास पहचान.

भारतीय वायुसेना के मिराज विमानों का सबसे बड़ा एयरफोर्स स्टेशन
ग्वालियर एयरवेज स्टेशन वायु सेना के मिराज विमानों का सबसे बड़ा एयर फोर्स स्टेशन है. 20 साल पहले साल 1999 में कारगिल युद्ध में मिराज विमान ने इतिहास रच दिया था. कारगिल युद्ध के समय मिराज विमानों ने ग्वालियर से उड़ान भरकर 30 हजार फीट की ऊंचाई से पाकिस्तान पर हमला किया था. इस दौरान मिराज विमानों से लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया गया था.

ग्वालियर एयरवेज स्टेशन ने कई युद्धों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन 1942 में बना था. इस खास एयरबेस ने भारत के कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ग्वालियर के महाराजपुरा एयरफोर्स से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी. कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन 'सफेद सागर' में कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन को मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर तैनात मिराज विमानों के स्क्वाड्रन को सौंपी गई थी.

इस एयरबेस पर आंख उठाकर भी नहीं देख सकता दुश्मन
ग्वालियर का महाराजपुरा एयरबेस स्टेशन वायु सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है और दुश्मनों के लिए काल के बराबर है. यही वजह है कि कई बार दुश्मनों ने इस पर अटैक करने की धमकी दी, लेकिन यहां पर वायु सेना के जवान और पुलिस की मुस्तैदी के साथ परिंदा भी पर नहीं मार सकता. एयरवेज स्टेशन के चारों तरफ कड़ी निगरानी के साथ-साथ यहां 500 मीटर के दायरे में कोई खड़ा भी नहीं हो सकता है. इस एयरवेज स्टेशन को लेकर खुफिया एजेंसी भी लगातार अलर्ट रहती हैं.

भारतीय वायुसेना का 89वां स्थापना दिवस: पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं

महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन देश का ऐसा एयरबेस है, जहां फाइटर प्लेन में हवा में ईंधन भरा जा सकता है. यानी अगर युद्ध के दौरान उड़ान के वक्त किसी फाइटर प्लेन को ईंधन की जरूरत पड़ी तो इस एयरबेस पर तुरंत दूसरा जेट प्लेन हवा में जाकर ही उसे रिफ्यूल कर सकता है. इस एयरवेज स्टेशन पर मिराज के अलावा मिग-21 लड़ाकू विमान 24 घंटे दुश्मनों को लोहा देने को तैयार रहते हैं. राफेल भी यहां पर मौजूद है.

ग्वालियर। किसी भी देश की सेना का सबसे प्रमुख अंग वायुसेना होता है. आज भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) है. इस मौके पर पूरा देश वायु सेना द्वारा विभिन्न युद्धों में दिखाए गए शौर्य और पराक्रम के सुनहरे पलों को याद कर रहा है. पूरे देश भर के साथ-साथ वायु सेना के लिए ग्वालियर भी एक महत्व स्थान रखता है. ग्वालियर में वायु सेना का एयरवेज स्टेशन (Gwalior Airways Station) है और यह देश स्टेशन बाकी एयरवेज स्टेशनों से बहुत खास है. यह एक मात्र एयरवेज स्टेशन है जो दुश्मनों की रडार से बाहर है. ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन (Maharajapura Airforce Station) 1984 में बना था और अब तक हुए युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है. वहीं दो साल पहले फरवरी में हुई एयर स्ट्राइक (Air Strike) के दौरान भी ग्वालियर एयरबेस ने अहम रोल निभाया था.

ग्वालियर एयरवेज स्टेशन की है खास पहचान.

भारतीय वायुसेना के मिराज विमानों का सबसे बड़ा एयरफोर्स स्टेशन
ग्वालियर एयरवेज स्टेशन वायु सेना के मिराज विमानों का सबसे बड़ा एयर फोर्स स्टेशन है. 20 साल पहले साल 1999 में कारगिल युद्ध में मिराज विमान ने इतिहास रच दिया था. कारगिल युद्ध के समय मिराज विमानों ने ग्वालियर से उड़ान भरकर 30 हजार फीट की ऊंचाई से पाकिस्तान पर हमला किया था. इस दौरान मिराज विमानों से लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया गया था.

ग्वालियर एयरवेज स्टेशन ने कई युद्धों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन 1942 में बना था. इस खास एयरबेस ने भारत के कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ग्वालियर के महाराजपुरा एयरफोर्स से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी. कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन 'सफेद सागर' में कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन को मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर तैनात मिराज विमानों के स्क्वाड्रन को सौंपी गई थी.

इस एयरबेस पर आंख उठाकर भी नहीं देख सकता दुश्मन
ग्वालियर का महाराजपुरा एयरबेस स्टेशन वायु सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है और दुश्मनों के लिए काल के बराबर है. यही वजह है कि कई बार दुश्मनों ने इस पर अटैक करने की धमकी दी, लेकिन यहां पर वायु सेना के जवान और पुलिस की मुस्तैदी के साथ परिंदा भी पर नहीं मार सकता. एयरवेज स्टेशन के चारों तरफ कड़ी निगरानी के साथ-साथ यहां 500 मीटर के दायरे में कोई खड़ा भी नहीं हो सकता है. इस एयरवेज स्टेशन को लेकर खुफिया एजेंसी भी लगातार अलर्ट रहती हैं.

भारतीय वायुसेना का 89वां स्थापना दिवस: पीएम मोदी ने दी शुभकामनाएं

महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन देश का ऐसा एयरबेस है, जहां फाइटर प्लेन में हवा में ईंधन भरा जा सकता है. यानी अगर युद्ध के दौरान उड़ान के वक्त किसी फाइटर प्लेन को ईंधन की जरूरत पड़ी तो इस एयरबेस पर तुरंत दूसरा जेट प्लेन हवा में जाकर ही उसे रिफ्यूल कर सकता है. इस एयरवेज स्टेशन पर मिराज के अलावा मिग-21 लड़ाकू विमान 24 घंटे दुश्मनों को लोहा देने को तैयार रहते हैं. राफेल भी यहां पर मौजूद है.

Last Updated : Oct 8, 2021, 7:44 PM IST
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