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बीहड़ का Gun culture: 6 महीने में आये 40 हजार से ज्यादा लाइसेंस आवेदन - Highest licensed guns in Gwalior region

ग्वालियर अंचल में अब डकैत तो नहीं रहे, लेकिन आज भी यहां के लोगों के लिए बंदूक सबसे पसंदीदा हथियार (Gun culture) है. यही वजह है कि चंबल अंचल कि लोग बंदूक को शान और रुतबे से जोड़कर देखते हैं, जिस कारण 70% लाइसेंसी बंदूकें इसी इलाके में हैं.

Gun culture of Chambal
बीहड़ का Gun culture
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Published : Jan 3, 2021, 5:11 PM IST

Updated : Jan 3, 2021, 8:42 PM IST

ग्वालियर। चंबल का नाम सुनते ही लोगों के दिल और दिमाग में बीहड का खौंफ और बागी डकैतों की तस्वीर सामने आ जाती है. क्योंकि इस अंचल में कुछ समय पहले कंधों पर बंदूक रखे डकैतों का बोलबाला हुआ करता था. इस अंचल में अब डकैत तो नहीं रहे, लेकिन आज भी यहां के लोगों के लिए बंदूक सबसे पसंदीदा (Gun culture) हथियार है. यही वजह है कि चंबल अंचल कि लोग बंदूक को शान और रुतबे से जोड़कर देखते हैं.

बीहड़ का Gun culture

सबसे ज्यादा बंदूकें चंबल अंचल में

ग्वालियर चंबल अंचल के लगभग हर घर में लाइसेंसी बंदूक आपको देखने को मिल जाएगी. यही वजह है कि अंचल में मध्य प्रदेश की सबसे अधिक 70% लाइसेंसी बंदूकें हैं. हलांकि 20 से 30% ऐसे लोग हैं जो अपनी लाइसेंसी बंदूक के जरिए सिक्योरिटी गार्ड या गनमैन की नौकरी कर रहे हैं.

50 हजार से अधिक लाइसेंसी आवेदन पेंडिंग

ग्वालियर चंबल अंचल के ग्वालियर, मुरैना और भिंड ये तीन जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा लाइसेंसी बंदूक पाई जाती है. यही वजह है कि यहां पर सबसे ज्यादा लाइसेंसी बंदूक बनवाने के लिए आवेदन पेंडिंग रहते हैं. आंकड़ों की बात करें तो ग्वालियर में 35 हजार लाइसेंसी बंदूक जबकी मुरैना में 27 हजार और भिंड में 40 हजार लाइसेंसी बंदूक लोगों के पास हैं. यहां हर साल 50 हजार से अधिक लाइसेंसी आवेदन पेंडिंग होते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया और श्योपुर में पाए जाते हैं.

80 प्रतिशत लाइसेंसी बंदूक सिर्फ शान और रुतवे के लिए

ग्वालियर चंबल अंचल में हर घर में लाइसेंसी बंदूक मौजूद है और यह बंदूक सिर्फ शान और रुतवे के लिए है. ग्वालियर चंबल अंचल के लोग जब किसी शादी समारोह में जाते है तो वह अपनी शान के लिए लाइसेंसी बंदूक को अपने कंधे पर जरूर लटकाते हैं. बाकी उनकी बंदूकें बंद कमरे में साल भर धूल खाती रहती है. लाइसेंसी बंदूक ग्वालियर चंबल अंचल में कोई भी उपयोग नहीं है. हलांकि 20 से 30% ऐसे लोग हैं जो अपनी लाइसेंसी बंदूक के जरिए सिक्योरिटी गार्ड या गनमैन की नौकरी कर रहे हैं.

6 महीने में आये 40 हजार से ज्यादा आवेदन

इस साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर के बीच में मुरैना, भिंड, ग्वालियर और शिवपुरी में बंदूक लाइसेंस बनवाने के लिए 40 हजार से अधिक आवेदन आये है और इसमें सबसे आवेदन उपचुनाव के समय आए. अधिकारियों की माने तो उपचुनाव होने से पहले रोजाना 20 से 25 लोग पूर्व विधायकों के पास जाकर बंदूक लाइसेंस की अनुशंसा लेकर पहुंच रहे थे.

हर्स फायरिंग में हर साल होती हैं दर्जन भर मौतें

ग्वालियर चंबल अंचल हर साल एक दर्जन से अधिक ऐसे लोगों की मौतें होती है जो अपनी लाइसेंसी बंदूक को शादी समारोह में ले जाकर शान और रुकने के लिए फायरिंग करते हैं. साथ ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो घर पर अपनी लाइसेंसी बंदूक को साफ करने के दौरान हादसे का शिकार होते हैं. हर साल एक दर्जन से अधिक मौतें इसी के चलते हो जाती है.

विधायक और मंत्री की अनुशंसा पर बनते हैं लाइसेंस

ग्वालियर चंबल अंचल में बंदूक के लिए लाइसेंस बनवाना आम बात नहीं है, क्योंकि यहां का हर व्यक्ति चाहता है कि उसके कंधे पर लाइसेंसी बंदूक मौजूद हो. यही वजह है कि यहां के एसपी कलेक्टर भी आसानी से लाइसेंस बनवाने के लिए अनुशंसा नहीं देते हैं. यहां के लोग लाइसेंस बनवाने के लिए हजारों रुपए की रिश्वत देते हैं या फिर विधायक और मंत्री से शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए अधिकारियों को सिफारिश करवाते हैं.

चुनावों के समय सबसे ज्यादा अनुशंसा

ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए सबसे ज्यादा अनुशंसा चुनावों के समय होती है. क्योंकि यहां पर होने वाले चुनावों में लोग बिजली, पानी, सड़क जैसे मुद्दों को छोड़कर लाइसेंस बनवाने के लिए मंत्री और विधायकों पर दबाव डालते हैं और चुनाव के वक्त मंत्री और विधायक भी वोट पाने के लिए अधिकारियों को लाइसेंस की अनुशंसा के लिए फोन करते हैं.

ग्वालियर। चंबल का नाम सुनते ही लोगों के दिल और दिमाग में बीहड का खौंफ और बागी डकैतों की तस्वीर सामने आ जाती है. क्योंकि इस अंचल में कुछ समय पहले कंधों पर बंदूक रखे डकैतों का बोलबाला हुआ करता था. इस अंचल में अब डकैत तो नहीं रहे, लेकिन आज भी यहां के लोगों के लिए बंदूक सबसे पसंदीदा (Gun culture) हथियार है. यही वजह है कि चंबल अंचल कि लोग बंदूक को शान और रुतबे से जोड़कर देखते हैं.

बीहड़ का Gun culture

सबसे ज्यादा बंदूकें चंबल अंचल में

ग्वालियर चंबल अंचल के लगभग हर घर में लाइसेंसी बंदूक आपको देखने को मिल जाएगी. यही वजह है कि अंचल में मध्य प्रदेश की सबसे अधिक 70% लाइसेंसी बंदूकें हैं. हलांकि 20 से 30% ऐसे लोग हैं जो अपनी लाइसेंसी बंदूक के जरिए सिक्योरिटी गार्ड या गनमैन की नौकरी कर रहे हैं.

50 हजार से अधिक लाइसेंसी आवेदन पेंडिंग

ग्वालियर चंबल अंचल के ग्वालियर, मुरैना और भिंड ये तीन जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा लाइसेंसी बंदूक पाई जाती है. यही वजह है कि यहां पर सबसे ज्यादा लाइसेंसी बंदूक बनवाने के लिए आवेदन पेंडिंग रहते हैं. आंकड़ों की बात करें तो ग्वालियर में 35 हजार लाइसेंसी बंदूक जबकी मुरैना में 27 हजार और भिंड में 40 हजार लाइसेंसी बंदूक लोगों के पास हैं. यहां हर साल 50 हजार से अधिक लाइसेंसी आवेदन पेंडिंग होते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया और श्योपुर में पाए जाते हैं.

80 प्रतिशत लाइसेंसी बंदूक सिर्फ शान और रुतवे के लिए

ग्वालियर चंबल अंचल में हर घर में लाइसेंसी बंदूक मौजूद है और यह बंदूक सिर्फ शान और रुतवे के लिए है. ग्वालियर चंबल अंचल के लोग जब किसी शादी समारोह में जाते है तो वह अपनी शान के लिए लाइसेंसी बंदूक को अपने कंधे पर जरूर लटकाते हैं. बाकी उनकी बंदूकें बंद कमरे में साल भर धूल खाती रहती है. लाइसेंसी बंदूक ग्वालियर चंबल अंचल में कोई भी उपयोग नहीं है. हलांकि 20 से 30% ऐसे लोग हैं जो अपनी लाइसेंसी बंदूक के जरिए सिक्योरिटी गार्ड या गनमैन की नौकरी कर रहे हैं.

6 महीने में आये 40 हजार से ज्यादा आवेदन

इस साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर के बीच में मुरैना, भिंड, ग्वालियर और शिवपुरी में बंदूक लाइसेंस बनवाने के लिए 40 हजार से अधिक आवेदन आये है और इसमें सबसे आवेदन उपचुनाव के समय आए. अधिकारियों की माने तो उपचुनाव होने से पहले रोजाना 20 से 25 लोग पूर्व विधायकों के पास जाकर बंदूक लाइसेंस की अनुशंसा लेकर पहुंच रहे थे.

हर्स फायरिंग में हर साल होती हैं दर्जन भर मौतें

ग्वालियर चंबल अंचल हर साल एक दर्जन से अधिक ऐसे लोगों की मौतें होती है जो अपनी लाइसेंसी बंदूक को शादी समारोह में ले जाकर शान और रुकने के लिए फायरिंग करते हैं. साथ ही कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो घर पर अपनी लाइसेंसी बंदूक को साफ करने के दौरान हादसे का शिकार होते हैं. हर साल एक दर्जन से अधिक मौतें इसी के चलते हो जाती है.

विधायक और मंत्री की अनुशंसा पर बनते हैं लाइसेंस

ग्वालियर चंबल अंचल में बंदूक के लिए लाइसेंस बनवाना आम बात नहीं है, क्योंकि यहां का हर व्यक्ति चाहता है कि उसके कंधे पर लाइसेंसी बंदूक मौजूद हो. यही वजह है कि यहां के एसपी कलेक्टर भी आसानी से लाइसेंस बनवाने के लिए अनुशंसा नहीं देते हैं. यहां के लोग लाइसेंस बनवाने के लिए हजारों रुपए की रिश्वत देते हैं या फिर विधायक और मंत्री से शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए अधिकारियों को सिफारिश करवाते हैं.

चुनावों के समय सबसे ज्यादा अनुशंसा

ग्वालियर चंबल अंचल में शस्त्र लाइसेंस बनवाने के लिए सबसे ज्यादा अनुशंसा चुनावों के समय होती है. क्योंकि यहां पर होने वाले चुनावों में लोग बिजली, पानी, सड़क जैसे मुद्दों को छोड़कर लाइसेंस बनवाने के लिए मंत्री और विधायकों पर दबाव डालते हैं और चुनाव के वक्त मंत्री और विधायक भी वोट पाने के लिए अधिकारियों को लाइसेंस की अनुशंसा के लिए फोन करते हैं.

Last Updated : Jan 3, 2021, 8:42 PM IST
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