ग्वालियर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने शुक्रवार को ग्वालियर कचरा प्रबंधन के मामले में जमकर फटकार लगाई है. हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि, कचरा प्रबंधन के मामले में ग्वालियर शहर की हालत दयनीय है. देश-विदेश के पर्यटक आते हैं, इससे ग्वालियर की छवि खराब होती है, जबकि कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. हाईकोर्ट ने कहा कि, मध्यप्रदेश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की नगर निगम टीम से ग्वालियर की निगम टीम क्यों नहीं सफाई करना सीख रही है.
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कचरा प्रबंधन पर घोटाले का आरोप: हाईकोर्ट ने ग्वालियर नगर निगम के कचरा प्रबंधन के मामले में जांच टीम गठित कर दी है. जिसमें हाईकोर्ट के दो सीनियर एडवोकेट, कलेक्टर, कमिश्नर, पॉल्यूशन बोर्ड को मेंबर बनाया गया है. इनसे 26 फरवरी को कचरा प्रबंधन के मामले में रिपोर्ट तलब की गई है. सीनियर एडवोकेट उमेश बोहरे ने ग्वालियर में कचरा प्रबंधन को लेकर जनहित याचिका लगाई थी, जिसमें उन्होनें याचिका में सीबीआई जांच की मांग की थी. साथ ही कहा था कि, 2019 से 2022 तक कचरा प्रबंधन के नाम पर करोड़ों रुपए का घोटाला हुआ है.
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कचरा प्रबंधन को हाईकोर्ट की फटकार: ग्वालियर स्वच्छता सर्वेक्षण को लेकर हर साल करोड़ों रुपए का खर्च हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी शहर की सफाई व्यवस्था और कचरा प्रबंधन के हालात जस के तस बने हुए हैं. हालात यह हो चुके हैं कि कचरा निष्कासन की व्यवस्था न होने के कारण कचरों के पहाड़ लग चुके हैं. इसके साथ ही शहर की गलियों और चौराहों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. यही कारण है कि ग्वालियर की छवि खराब होती जा रही है. इसके साथ ही ग्वालियर जिला पर्यटन के लिए अहम माना जाता है, लेकिन शहरों की गलियों और सड़कों पर गंदगी के कारण हाईकोर्ट ने फटकार लगाई है और इसे सुधारने को कहा है.