ग्वालियर। कोराेना महामारी की वजह से 7 महीने से रद्द चल रही 114 साल पुरानी ग्वालियर-श्योपुर नैरोगेज ट्रेन अब कभी नहीं चलेगी. रेलवे ने सिंधिया रियासत में शुरू हुई इस ट्रेन को खत्म करने के लिए ग्वालियर से श्योपुर के बीच डिस्मेंटल करने का टेंडर जारी कर दिया है.
300 गांवों इन ट्रेन पर थे निर्भरता
इस नैरोगेज लाइन के माध्यम से चलने वाली ट्रेन ग्वालियर से संचालित होकर बाया मुरैना और श्योपुर तक पहुंचती थी. जोकी ग्वालियर श्योपुर जिले के बीच 187.53 किलोमीटर का सफर 12 घंटे में पूरा करती थी. इस रूट पर लगभग 300 से अधिक गांव के लोग इसी पर निर्भर थे.
मंहगा हो जाएगा यातायात
ग्वालियर से श्योपुर जाने के लिए बस का किराया 200 से 300 रूपये के बीच होता है. और वहीं नेरोगेज ट्रेन का किराया महज 50 से 100 रूपये के बीच में होता था. इसके बंद हो जाने से इन गांवों के लिए न केवल यातायात की समस्या होगी बल्की उन्हें अब सफर के लिए ज्यादा पैसे भी लगाने पड़ेंगे.
4 साल तक आवागमन रहेगा बंद
नैरोगेज बंद होने के बाद में इस लाइन को रिप्लेस कर यहां ब्रॉडगेज लाइन बनाने का प्लान है. रेलवे ने ग्वालियर-श्योपुर नैरोगेज को ब्रॉडगेज में बदलने के लिए 2021 तक की डेडलाइन तय की है, लेकिन जिस गति से यह काम चल रहा है. साल 2024 तक इसके पूरा होने का अनुमान लगाया जा रहा है.
एक नजर में प्रोजेक्ट
- 187.53 किमी में ग्वालियर-श्योपुर तक ब्रॉडगेज रेल ट्रैक बिछेगा, इसमें 96.46 किमी श्योपुर से कोटा का नया ट्रैक अलग से जुड़ेगा
- 41 बड़े और 216 छोटे ब्रिज ग्वालियर से श्योपुर तक बनाए जाएंगे
- 76 मीटर लंबा ब्रिज कूनो नदी के ऊपर 60 स्पॉन का बनाया जाएगा
ग्रमीणों में उदासी
ग्वालियर, मुरैना और श्योपुर जिले के लगभग 300 से अधिक गांव के लोग इस ट्रेन से सफर करते आए हैं. खास तौर से मुरैना और श्योपुर जिले के गांव के लोग इसपर निर्भर रहते थे, ग्रमीणों के लिए नैरोगेज सबसे सस्ता और अच्छा माध्यम हुआ करती थी. इस नैरोगेज लाइन के बंद होने की सूचना ग्रामीणों तक पहुंची तो उनका मन उदास हो गया.
माधवराव सिंधिया इससे जाते थे शिकार पर
ग्वालियर नैरोगेज रेलवे से माधवराव सिंधिया शिकार खेलने के लिए जाते थे. उनके लिए इस लाइन में स्पेशल ट्रेन चलाई जाती थी, जिसमें किचन, रेस्टोरेंट मौजूद हुआ करता था. 1924 एवं 1931 माधवराव सिंधिया के लिए बनी यह विशेष ट्रेन आज भी मध्य रेलवे के पास धरोहर के रूप में मौजूद है.
कुछ ऐसा रहा नैरोगेज के निर्माण से अब तक का सफर
- इसे माधवराव सिंधिया द्वितीय ने 1889 में शुरू किया था
- दो फुट गेज वाले इस रेल ट्रैक को गोवा रियल लाइफ रेलवे कहा गया था
- 1889 से 1925 तक इसका ग्वालियर लाइट रेलवे की 3 ब्रांच लाइनों में विस्तार किया गया
- 1 अप्रैल 1950 से यह भारत सरकार के अधीन हो गई
- 5 नवंबर 1951 को इसे मध्य रेलवे में शामिल किया गया
- 1 मार्च 2003 को उत्तर मध्य रेलवे जोन के गठन में इस लाइट नैरोगेज को भी शामिल कर लिया गया
114 साल से चले आर रहे इस नैरोजेग के बंद होने की सूचना के बाद क्षेत्र के लोगों में उदासी है, लेकिन उनमें एक उम्मीद है कि अगले कुछ सालों में यहां ब्रॉडगेज रेल ट्रैक बिछेगा और उन्हें एक बाद फिर आवागमन के लिए सस्ता और सुचारू साधन मिल पाएगा.