ग्वालियर। केंद्र सरकार की नई ड्रोन पॉलिसी के मुताबिक जल्द ही देश में इसे उड़ाने के लिए डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म और एयर एक्ट स्पेस भी मिलेगा. यह कहना है केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का. उन्होंने कहा कि नई ड्रोन पॉलिसी से युवाओं को रोजगार मिलेगा और दूर-दराज के इलाकों में दवाएं बेचने से लेकर किसानों की फसलों को जल्दी पहुंचाया जा सकेगा. ग्वालियर अंचल दौरे पर पहुंचे सिंधिया ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नई ड्रोन पॉलिसी के मुताबिक एक्टिव एयर स्पेस उपलब्ध कराया जाएगी. इसमें 3 लेयर लाल, पीला और हरा का लेवल होगा. जिसमें कैटेगरी के हिसाब से नैनो और मीडियम आकार के ड्रोन उड़ाये जा सकेंगे.
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25 के बदले अब सिर्फ 5 अनुमित लेने से हो जाएगा रजिस्ट्रेशन
सिंधिया ने बताया कि अबतक ड्रोन उड़ाने के लिए 25 प्रकार की अनुमति लेनी पड़ती थी, जिन्हें घटाकर अब 5 कर दिया गया है. इसकी रजिस्ट्रेशन फीस में भी कमी की गई है, इसके अलावा विभाग के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराने से जल्द ही ड्रोन का लाइसेंस मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि अभी हाल में ही तेलंगाना राज्य में ड्रोन के जरिए वैक्सीन पहुंचाया गया और यह काम सामान्य ट्रांसपोर्ट की तुलना में जल्दी हो गया. इससे ड्रोन के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, जिसमें ड्रोन की मदद से किसानों तक फसलों और दूसरी जरूरतों से संबंधित सामान तुरंत पहुंचाए जा सकेंगे. जिससे ड्रोन के जरिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे.
70 दिनों में 424 से 820 हुई उड़ानों की संख्या
सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नागर विमानन क्षेत्र ने विकास के नए कदम उठाए हैं. उन्होंने दावा किया बीते 70 वर्ष में देश में 75 एयरपोर्ट बने थे जबकि पिछले 7 साल के दौरान 61 नए एयरपोर्ट विकसित किए गए हैं. इसी प्रयास के तहत मध्यप्रदेश के इंदौर, भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर को कई नई उड़ानों से जोड़ा गया है, पहले मध्यप्रदेश में 1 हफ्ते में 424 उड़ान ऑपरेट होती थी और बीते 70 दिनों में यह संख्या बढ़कर 820 हो गई है. उन्होंने बताया कि जल्द ही जबलपुर और ग्वालियर के एयरपोर्ट के विस्तार की योजनाओं को भी जमीन पर उतार दिया जाएगा.
ग्वालियर चंबल अंचल पर हुई सौगातों की बौझार
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कि मुरैना में 1000 एकड़ जमीन एयरपोर्ट के लिए चिह्नित की गई है जो भविष्य में आकार लेगा. उन्होंने कहा कि जब ग्वालियर और मुरैना के बीच की दूरी लगभग सिमट जाएगी तब दोनों जिलों के बीच प्रस्तावित नया सिविल एयरपोर्ट बनाया जाएगा. इसके अलावा ग्वालियर एयरपोर्ट पर बनने वाला नया एयर टर्मिनल 200000 वर्ग फीट में बनेगा और इसका भूमिपूजन मार्च 2022 में किया जाएगा, इसका उद्घाटन अगस्त 2030 तक हो सकेगा. यह एयर टर्मिनल इतना बड़ा होगा कि इसपर 19 विमान एक साथ खड़े हो सकेंगे, उन्होंने बताया कि यह नया एयर टर्मिनल पूरी तरह डिजिटल युग के हिसाब से तैयार होगा.
इलाके के आर्थिक विकास को मिलेगी गति
ग्वालियर मध्य प्रदेश का एक महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्र है और स्मार्ट सिटी के लिए चुने गए 100 शहरों में से एक है. सिंधिया ने कहा कि यहां हवाई अड्डे के विस्तार से स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के अवसर खुलेंगे, वही क्षेत्र की आर्थिक विकास को भी गति मिलेगी. उन्होंने बतााय कि करीब ₹450 करोड़ की लागत से बनने वाले इस नए टर्मिनल में शहर की व्यावसायिक प्रगति को देखते हुए एक कार्गो टर्मिनल और हैंगर का भी प्रावधान भी रखा गया है. इसमें साथ ही निर्माण के दौरान रेन वॉटर हार्वेस्टिंग, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, सोलर पावर प्लांट का भी प्रावधान किया जाएगा.20,000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बनाए जाने वाले इस हवाई अड्डे में व्यस्ततम समय में 1400 यात्रियों को संभालने की क्षमता होने के साथ ही इसमें 9 बड़े हवाई जहाज़, 6 ATR एवं 4 छोटे जहाज़ और हेलीकॉप्टर की पार्किंग की भी व्यवस्था होगी. यहां से A-320 प्रकार के हवाई जहाज़ भी उड़ान भर सकेंगे. सिविल एविएशन मिनिस्टर ने शुक्रवार को ग्वालियर हवाईअड्डे पर नए टर्मिनल भवन के निर्माण के लिए सिविल एन्क्लेव के विस्तार योजना की घोषणा भी की.
ग्वालियर से सीधे जा सकेंगे तिरुपति
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार को आंध्रप्रदेश संपर्क क्रांति ट्रेन ग्वालियर से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस ट्रेन को शुक्रवार से ही ग्वालियर स्टेशन पर स्टापेज दिया गया है. इस ट्रेन को स्टॉपेज मिलने से अब ग्वालियर के लोग अब सीधे तिरूपति जा सकेंगे.
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ग्वालियर के लोग अब सीधे जा सकेंगे तिरूपति,
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नई दिल्ली से तिरुपति बालाजी ट्रेन का आज से ग्वालियर स्टॉपेज शुरू हुआ है।केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री @JM_Scindia ने आंध्रप्रदेश सम्पर्क क्रांति एक्सप्रेस ट्रेन को हरी झंडी दिखाकर ग्वालियर स्टेशन से रवाना किया।@RailMinIndia @MoCA_GoI pic.twitter.com/GpXPwr1u3P
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यह हैं नई ड्रोन पॉलिसी के नियम
- नए नियमों के तहत ड्रोन का कवरेज 300 किलोग्राम से बढ़ाकर 500 किलोग्राम कर दिया गया है, जिसमें अब भारी पेलोड ले जाने वाले ड्रोन और ड्रोन टैक्सियां शामिल हैं.
- ड्रोन के लिए किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले किसी सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं है.
- अनुमतियों के लिए अपेक्षित शुल्क भी नाममात्र तक कम कर दिया गया है.
- सभी ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से होगा.
- अब यूनिक अधिकृत नंबर, यूनिक प्रोटोटाइप पहचान संख्या, अनुरूपता का प्रमाण पत्र ,मेंटेनेंस सर्टिफिकेट, ऑपरेटर परमिट, अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकरण, रिमोट पायलट लाइसेंस, ड्रोन पोर्ट प्राधिकरण, ड्रोन घटकों के लिए अनुमोदन समाप्त कर दिए गए हैं.
- नई राष्ट्रीय ड्रोन नीति के तहत, नियमों के उल्लंघन के लिए अधिकतम दंड को घटाकर 1 लाख रुपए कर दिया गया है. हालांकि अन्य कानूनों के उल्लंघन के लिए लगाए गए दंड के लिए भी यह लागू नहीं है.
- व्यवसाय के अनुकूल नियामक व्यवस्था की सुविधा के लिए मानव रहित विमान प्रणाली संवर्धन परिषद की स्थापना की जाएगी.
- ड्रोन के आयात को विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) द्वारा नियंत्रित किया जाएगा.
- कार्गो डिलीवरी के लिए ड्रोन कॉरिडोर भी विकसित किए जाएंगे.
- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ इंटरएक्टिव हवाई क्षेत्र का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा.
- हवाई अड्डे की परिधि से यलो क्षेत्र को 45 किमी से घटाकर 12 किमी कर दिया गया है.
- हवाई अड्डे की परिधि से 8 से 12 किमी के बीच के क्षेत्र में ग्रीन जोन और 200 फीट तक के क्षेत्र में ड्रोन के संचालन के लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है.
- सभी जोनों का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के माध्यम से होगा, जिसमें ड्रोन के हस्तांतरण और पंजीकरण के लिए निर्धारित एक आसान प्रक्रिया होगी.
- नई ड्रोन नीति का उद्देश्य भारत में मौजूदा ड्रोनों को नियमित करना है.
- सभी ड्रोन प्रशिक्षण और परीक्षा एक अधिकृत ड्रोन स्कूल द्वारा की जाएगी.
- डीजीसीए प्रशिक्षण आवश्यकताओं को निर्धारित करेगा, ड्रोन स्कूलों की निगरानी करेगा और ऑनलाइन पायलट लाइसेंस प्रदान करेगा.
- 'नो परमिशन - नो टेक-ऑफ (एनपीएनटी)' रीयल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग और इसी तरह की सुरक्षा सुविधाओं को भविष्य में अधिसूचित किया जाएगा.
- अनुपालन के लिए कम से कम छह महीने का समय दिया जाएगा.