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आयुष्मान भारत योजना की में हो रही गड़बड़ियां, स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी ने खुद स्वीकार की बात

केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को इलाज दिलाने के लिए चलाई गई आयुष्मान भारत योजना में गड़बड़ियां देखने को मिली हैं. इसकी पुष्टि खुद स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी सोमेश मिश्रा ने की है.

डिप्टी सेक्रेटरी ने खुद स्वीकार की आयुष्मान भारत योजना की गड़बड़ियां
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Published : Aug 27, 2019, 1:52 PM IST

ग्वालियर| भले ही सरकारें गरीब मरीजों के इलाज के लिए तमाम तरह की योजनाएं चला रही हो, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते ये योजनाएं धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को इलाज दिलाने के लिए चलाई गई आयुष्मान भारत योजना का है. इसकी पुष्टि खुद स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी सोमेश मिश्रा ने की है. ग्वालियर में इस योजना के हालात इतने बदतर हैं कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में ग्वालियर सबसे फिसड्डी साबित हुआ है.

डिप्टी सेक्रेटरी ने खुद स्वीकार की आयुष्मान भारत योजना की गड़बड़ियां

डिप्टी सेक्रेटरी की माने तो दतिया मेडिकल कॉलेज भी ग्वालियर से आगे है, इसके पीछे मुख्य कारण इस योजना को क्रियान्वित करने वाले स्टाफ की ठीक तरह से ट्रेनिंग ना होना बताया गया है. यही कारण है कि गरीबों को लाभ मिलने का ये आंकड़ा बेहद कमजोर रह गया. इसी कारण पिछले एक साल में मात्र 1304 मरीज रजिस्टर्ड हुए जबकि न्यूनतम आंकड़ा 3500 का है. ऐसा नहीं है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंचे, मरीज तो अस्पताल तक पहुंचे लेकिन डॉक्यूमेंटेशन ठीक न होने के चलते ये लाभ नहीं ले पाए. आंकड़ों की मानें तो लगभग दो हजार फॉर्म इस साल रिजेक्ट हुए हैं, जो फॉर्म रिजेक्ट हुए किसी में सील नहीं थी तो किसी में साइन नहीं. ऐसी छोटी-छोटी औपचारिकताओं के कारण मरीज परेशान हो रहे हैं.

हाल ही में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेज की टीम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर आयुष्मान भारत योजना की प्रगति रिपोर्ट जानी थी. उसमें ये बात निकलकर आई कि ग्वालियर सबसे फिसड्डी है जिसके बाद प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डिप्टी सेक्रेटरी सोमेश मिश्रा को ग्वालियर भेजा. सोमेश मिश्रा ने ग्वालियर आकर आयुष्मान भारत योजना की ओपीडी का निरीक्षण किया. यहां उन्होंने आयुष्मान मित्रों, नोडल अधिकारियों से चर्चा की.

ग्वालियर| भले ही सरकारें गरीब मरीजों के इलाज के लिए तमाम तरह की योजनाएं चला रही हो, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते ये योजनाएं धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही हैं. कुछ ऐसा ही हाल केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को इलाज दिलाने के लिए चलाई गई आयुष्मान भारत योजना का है. इसकी पुष्टि खुद स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी सोमेश मिश्रा ने की है. ग्वालियर में इस योजना के हालात इतने बदतर हैं कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में ग्वालियर सबसे फिसड्डी साबित हुआ है.

डिप्टी सेक्रेटरी ने खुद स्वीकार की आयुष्मान भारत योजना की गड़बड़ियां

डिप्टी सेक्रेटरी की माने तो दतिया मेडिकल कॉलेज भी ग्वालियर से आगे है, इसके पीछे मुख्य कारण इस योजना को क्रियान्वित करने वाले स्टाफ की ठीक तरह से ट्रेनिंग ना होना बताया गया है. यही कारण है कि गरीबों को लाभ मिलने का ये आंकड़ा बेहद कमजोर रह गया. इसी कारण पिछले एक साल में मात्र 1304 मरीज रजिस्टर्ड हुए जबकि न्यूनतम आंकड़ा 3500 का है. ऐसा नहीं है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंचे, मरीज तो अस्पताल तक पहुंचे लेकिन डॉक्यूमेंटेशन ठीक न होने के चलते ये लाभ नहीं ले पाए. आंकड़ों की मानें तो लगभग दो हजार फॉर्म इस साल रिजेक्ट हुए हैं, जो फॉर्म रिजेक्ट हुए किसी में सील नहीं थी तो किसी में साइन नहीं. ऐसी छोटी-छोटी औपचारिकताओं के कारण मरीज परेशान हो रहे हैं.

हाल ही में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेज की टीम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर आयुष्मान भारत योजना की प्रगति रिपोर्ट जानी थी. उसमें ये बात निकलकर आई कि ग्वालियर सबसे फिसड्डी है जिसके बाद प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डिप्टी सेक्रेटरी सोमेश मिश्रा को ग्वालियर भेजा. सोमेश मिश्रा ने ग्वालियर आकर आयुष्मान भारत योजना की ओपीडी का निरीक्षण किया. यहां उन्होंने आयुष्मान मित्रों, नोडल अधिकारियों से चर्चा की.

Intro:ग्वालियर- भले ही सरकारें गरीब मरीजों को इलाज के लिए तमाम तरह की योजनाएं चला रही हो लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के चलते यह योजना है धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही हैं। कुछ ऐसा ही हाल केंद्र सरकार द्वारा गरीबों को इलाज दिलाने के लिए चलाई गई आयुष्मान भारत योजना का हाल ग्वालियर में बना हुआ है। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि खुद स्वास्थ्य विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी सोमेश मिश्रा का मानना है।ग्वालियर में इस योजना के हालात इतने बदतर हैं कि प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में ग्वालियर सबसे फिसड्डी साबित हुआ है। डिप्टी सेक्रेटरी सोमेश मिश्रा की मानें तो दतिया मेडिकल कॉलेज भी ग्वालियर से आगे है इसके पीछे मुख्य कारण इस योजना को क्रियान्वित करने वाले स्टाफ की ठीक तरह से ट्रेनिंग ना होना पाया गया है। यही कारण है कि गरीबों को लाभ मिलने का यह आंकड़ा बेहद कमजोर रह गया, कम से कम आंकड़ों की सीमा भी ग्वालियर पार नहीं कर पाया है। इसी कारण पिछले एक साल में मात्र 1304 मरीज रजिस्टर्ड हुए जबकि न्यूनतम आंकड़ा 3500 का है। ऐसा नहीं है कि इस योजना का लाभ लेने के लिए मरीज अस्पताल तक नहीं पहुंचे, मरीज तो अस्पताल तक पहुंचे लेकिन डॉक्यूमेंटेशन ठीक न होने के चलते यह लाभ लेने में नाकामयाब साबित हुए,आंकड़ों की मानें तो लगभग दो हजार फॉर्म इस साल रिजेक्ट हुए हैं, जो फॉर्म रिजेक्ट हुए किसी में सील नहीं थी तो किसी में साइन नहीं, ऐसी छोटी-छोटी औपचारिकताओं के कारण मरीज परेशान हो रहे हैं। Body:दरअसल हाल ही में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी मेडिकल कॉलेज की टीम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर आयुष्मान भारत योजना की प्रगति रिपोर्ट जानी थी। उसमें यह बात निकलकर आई कि ग्वालियर सबसे फिसड्डी है जिसके बाद प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग ने डिप्टी सेकटरी सोमेश मिश्रा को ग्वालियर भेजा। सोमेश मिश्रा ने ग्वालियर आ कर आयुष्मान भारत योजना की ओपीडी का निरीक्षण किया यहां उन्होंने आयुष्मान मित्रों, नोडल अधिकारियों से चर्चा की। इसके बाद मेडिसन, सर्जरी, स्त्री रोग विभाग के चिकित्सकों से योजना के अंतर्गत भर्ती मरीजों से चर्चा की। आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन को लेकर चिकित्सकों की बैठक भी आयोजित की गई, इसमें योजना में आने वाली परेशानियों से डॉक्टरों से साझा किया।डिप्टी सेकेट्ररी की माने तो आने वाले समय में आयुष्मान भारत योजना की टीम की ट्रेनिंग कराई जाएगी ताकि इस योजना का अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिल सके।
इंदौर-5364

रीवा-4500

जबलपुर-3500

भोपाल-3500

दतिया-3500

ग्वालियर-1304

Conclusion:
बाईट- सोमेश मिश्रा, डिप्टी सेक्रेटरी, चिकित्सा शिक्षा विभाग
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