ग्वालियर। व्यापम घोटाले (Vyapam Scam) में आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI activist) ने जानकारी नहीं देने पर सरकारी कर्मचारियों पर जानकारी छुपाने का आरोप लगाया है. ऐसा ही एक मामला ग्वालियर के जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज (GRMC Medical College) से सामने आया है. दिल्ली के आरटीआई एक्टिविस्ट पंकज जैन (Pankaj Jain) पिछले दो साल से GRMC मेडिकल कॉलेज में डोमिसाइल कोटे (domicile quota) में गैर-डोमिसाइल स्टूडेंट्स का फर्जी तरीके से दाखिला करने की जानकारी मांग रहे हैं.
उसमें मेडिकल कॉलेज की तरफ से जानकारी न देने के लिए अलग-अलग प्रकार के बहाने बना रहे हैं और यह बहाने अनोखे है. आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI activist) पंकज जैन ने आरोप में बताया है कि कॉलेज से जानकारी मांगी जा रही है तो वहां पर भूतों और आत्माओं की मौजूदगी का हवाला देकर आरटीआई की जानकारी देने में टाल-मटोल किया जा रहा है.
बहानेबाजी की यह कहानी है दिलचस्प
दिल्ली के रहने वाले आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI activist) पंकज जैन, ग्वालियर की GRMC मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस एडमिशन (MBBS Admission) प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी हुई या नहीं इसका पता लगाने के लिए तीन वर्षों से कॉलेज से दस्तावेजों की मांग कर रहे हैं. मेडिकल कॉलेज में आरटीआई के जरिए पंकज जैन जानकारी मांगी है कि ग्वालियर के GRMC मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस एडमिशन की प्रक्रिया में कोई धांधली हुई है? इस सवाल के जबाव के लिए पिछले तीन साल से आरटीआई एक्टिविस्ट (RTI activist) जानकारी मांग रहे हैं लेकिन उन्हें इसका सही जवाब नहीं मिल पाया है. बल्कि इस सवाल के जवाब में कई ऐसी मौखिक जवाब भी मिल रहे हैं, जो गले से नहीं उतर रहे हैं.
भूतों की आड़ में नहीं दी जानकारी
एक्टिविस्ट पंकज जैन को यह जानकारी मिली थी कि इस मेडिकल कॉलेज (Medical College) में डोमिसाइल कोटे में गैर-डोमिसाइल स्टूडेंट्स का फर्जी तरीके से दाखिला कराया गया है. साल 2018 के सितंबर में उन्होंने आरटीआई के जरिए 1994 के एमबीबीएस बैंच (MBBS Banch) के एडमिशन रिकॉर्ड की मांग की थी. मेडिकल कॉलेज (Medical College) ने यह जानकारी देने से यह कहकर मना कर दिया था उन्हें 1994 के एमबीबीएस बेंच में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है.
रूम का ताला नहीं खोल सकते क्योंकि वहां 'भूत' है
पंकज जैन का कहना है कि उन्होंने राज्य सूचना आयोग (State information Commission) से भी संपर्क किया, जहां पर उनकी चार बार सुनवाई हुई. GRMC की तरफ से अभी तक यह जानकारी नहीं दी है. उसके बाद साल दर साल घुमाने के बाद अब यह कह दिया गया है कि रिकॉर्ड रूम का ताला नहीं खुल सकता, क्योंकि उसमें भूत घूमता है. इसलिए हम रिकॉर्ड नहीं दे सकते हैं. जहां ये दस्तावेज रखे गए थे, उस रूम में क्लर्क ने सुसाइड (Clerk Suicide) कर ली थी और अब वहां उनकी आत्मा भटकती है, इसलिए वे ताला खोलने से डरते हैं. आईटीआई एक्टिविस्ट (RTI activist) पंकज जैन के अनुसार यह बयान मेडिकल कॉलेज (Medical College) की तरफ से मौखिक रूप में दिया गया है.
यह है पूरा मामला
मध्य प्रदेश में 10 डॉक्टर्स, जोकि देश के विभिन्न राज्यों के निवासी थे. उन्होंने मध्य प्रदेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में 2004 से 2010 के दौरान फर्जी डोमिसाइल (Fake domicile) देकर दाखिला लिया था. इस बात की पुष्टि मध्यप्रदेश पुलिस विशेष टास्क फोर्स (MP Police Special Task Force) की जांच में पाई गई. इस मामले में भी पंकज का मानना था कि कॉलेज ने, ऐसे कई सारे छात्र, जो मध्य प्रदेश के बाहर के थे, उन्होंने मध्य प्रदेश के स्टेट PMT कोटे से दाखिला ले लिया था. इस आवेदन पर सबसे पहले तो गजरा राजा मेडिकल कॉलेज (gajra raja medical collage) ने पहले तो जानकारी देने से इंकार कर दिया.
अजब बयान पर डीन की राय
जब इस संबंध में ईटीवी भारत (ETV BHARAT) की टीम ने जीआरएमसी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉक्टर समीर गुप्ता से बातचीत की, तो उनका कहना है ऐसे मामला मेरी जानकारी में नहीं है, मैं इसकी जानकारी दे रहा हूं. लेकिन यह भूत वाला बयान गले नहीं उतर रहा है और ना ही मेडिकल कॉलेज (Medical College) की तरफ से ऐसा लिखित में जवाब दिया गया है, हो सकता है कि फोन पर चर्चा हुई हो तो ऐसा बोल दिया हो. इस संबंध में मैं दस्तावेज मंगा रहा हूं, जानकारी ले रहा हूं.