ETV Bharat / state

Gwalior Nagar Nigam : ग्वालियर में कांग्रेस जीती लेकिन आगे की राह कांटों से भरी. जानें क्या पेच फंसेंगे

ग्वालियर नगर निगम में 57 साल बाद अपनी जीत का परचम लहराकर कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी चुनौती दी है. वहीं सिंधिया के सामने भी समस्या खड़ी कर दी है. कांग्रेस ने यह जता दिया है कि सिंधिया ही यहाँ पर कांग्रेस नहीं थी. क्योंकि यह कहा जाने लगा था कि ग्वालियर अंचल से कांग्रेस खत्म हो गई है. कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. शोभा सतीश सिकरवार ने ऐतिहासिक जीत हासिल की. यह जीत कांग्रेसियों के उत्साह से भरी है लेकिन परिणामों ने यह भी संकेत दिए हैं कि शोभा और कांग्रेस की नगर सरकार की आगे की राह कांटो से भरी है. (Congress won Gwalior but problem ahead) (Congress not majority in council)

Congress won Gwalior but problem ahead
ग्वालियर में कांग्रेस जीती आगे की राह कांटों से भरी
author img

By

Published : Jul 20, 2022, 7:14 PM IST

ग्वालियर। कांग्रेस की डॉ. शोभा सिकरवार ने 28 हजार से भी ज्यादा मतों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी सुमन शर्मा को पराजित कर एक इतिहास रच दिया. जीत के बाद उन्होंने चयन के लिए पीसीसी चीफ कमलनाथ को और निर्वाचन के लिए जनता के प्रति कृतग्यता ज्ञापित की और भरोसा दिलाया कि वे शहर के विकास के लिए हर प्रयास करेंगी. लेकिन यह उतना ही कठिन है जितना उनके लिए बीजेपी के इस अभेद गढ़ में हराना था. हालाँकि उन्होंने बीजेपी को हरा दिया लेकिन अब असली जंग के लिए उन्हें तैयार होना पडेगा. वह है परिषद के भीतर बीजेपी का बहुमत होना.

ग्वालियर में कांग्रेस जीती आगे की राह कांटों से भरी

कांग्रेस की पिछली बार से 16 सीटें ज्यादा : जो नतीजे आये हैं उनमें हालाँकि कांग्रेस ने पिछली बार की तुलना में सोलह सीटें ज्यादा जीतीं है. पिछली बार उसके खाते में महज दस परिषद थे. अब ये बढ़कर 26 हो गए, लेकिन अभी भी वह परिषद् में बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर है. बहुमत के लिए उसे कम से कम 36 सदस्य चाहिए, जबकि बीजेपी ने इस बार चुनाव में बहुत खोया है. पिछली बार उसके 45 पार्षद जीते थे लेकिन इस बार उसके ग्यारह सदस्य कम हो गए. उसके 34 पार्षद जीते हैं. परिषद में यही बहुमत का आंकड़ा है. यानी में परिषद के भीतर बीजेपी को पूर्ण बहुमत है.

सभापति का चुनाव सबसे बड़ी चुनौती : कांग्रेस और उसकी मेयर शोभा सिकरवार के सामने पहली चुनौती अपना सभापति बनवाना है. कांग्रेस के सभापति के निर्वाचन के लिए कम से काम 34 सदस्य जुटाना होंगे, जो बड़ी चुनौती है. अगर सभी निर्दलीय उसे समर्थन करें तब भी उसे काम से काम दो वोटों की दरकार होगी, जो बीजेपी से ही तोड़कर लाना होंगे, क्योंकि निर्दलीय मिलकर उसके पास महज 32 वोट होते हैं, जो जीत के आंकड़े से दो कम हैं.

MP Municipal Election Result 2022: ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में 57 साल बाद कांग्रेस की 'सरकार', बुरी तरह चूक गई BJP

एमआईसी और परिषद में रहेगी टकराव की नौबत : यदि कांग्रेस अपनी सहमति नहीं बना पायी तो सभापति कांग्रेस का होगा. ऐसी स्थिति में मेयर और कांग्रेस परिषदों की बैठकों का संचालन अपने मनमाफिक नहीं कर सकेगी. इसी तरह मेयर इन काउन्सिल से स्वीकृत होकर आने वाले प्रस्तावों को परिषद से मंजूरी मिलने में बीजेपी पार्षद दिक्कतें करेंगे. बहुमत का फायदा उठाकर वे प्रस्ताव गिरा सकते हैं. इससे विकास कार्यों में अवरोध होंगे. नगर निगम कमिश्नर रहे पूर्व आईएसएस अधिकारी विनोद शर्मा भी मानते हैं कि ऐसी स्थिति में परिषद चलाने में दिक्कत तो आती है, क्योंकि ये विरोधाभासी स्थिति है. इससे जनित के मुद्दे भी अटकेंगे और शासन से मिलने वाले अनुदान में भी कमी आ सकती है. (Congress won Gwalior but problem ahead) (Congress not majority in council)

ग्वालियर। कांग्रेस की डॉ. शोभा सिकरवार ने 28 हजार से भी ज्यादा मतों के अंतर से बीजेपी प्रत्याशी सुमन शर्मा को पराजित कर एक इतिहास रच दिया. जीत के बाद उन्होंने चयन के लिए पीसीसी चीफ कमलनाथ को और निर्वाचन के लिए जनता के प्रति कृतग्यता ज्ञापित की और भरोसा दिलाया कि वे शहर के विकास के लिए हर प्रयास करेंगी. लेकिन यह उतना ही कठिन है जितना उनके लिए बीजेपी के इस अभेद गढ़ में हराना था. हालाँकि उन्होंने बीजेपी को हरा दिया लेकिन अब असली जंग के लिए उन्हें तैयार होना पडेगा. वह है परिषद के भीतर बीजेपी का बहुमत होना.

ग्वालियर में कांग्रेस जीती आगे की राह कांटों से भरी

कांग्रेस की पिछली बार से 16 सीटें ज्यादा : जो नतीजे आये हैं उनमें हालाँकि कांग्रेस ने पिछली बार की तुलना में सोलह सीटें ज्यादा जीतीं है. पिछली बार उसके खाते में महज दस परिषद थे. अब ये बढ़कर 26 हो गए, लेकिन अभी भी वह परिषद् में बहुमत के आंकड़े से बहुत दूर है. बहुमत के लिए उसे कम से कम 36 सदस्य चाहिए, जबकि बीजेपी ने इस बार चुनाव में बहुत खोया है. पिछली बार उसके 45 पार्षद जीते थे लेकिन इस बार उसके ग्यारह सदस्य कम हो गए. उसके 34 पार्षद जीते हैं. परिषद में यही बहुमत का आंकड़ा है. यानी में परिषद के भीतर बीजेपी को पूर्ण बहुमत है.

सभापति का चुनाव सबसे बड़ी चुनौती : कांग्रेस और उसकी मेयर शोभा सिकरवार के सामने पहली चुनौती अपना सभापति बनवाना है. कांग्रेस के सभापति के निर्वाचन के लिए कम से काम 34 सदस्य जुटाना होंगे, जो बड़ी चुनौती है. अगर सभी निर्दलीय उसे समर्थन करें तब भी उसे काम से काम दो वोटों की दरकार होगी, जो बीजेपी से ही तोड़कर लाना होंगे, क्योंकि निर्दलीय मिलकर उसके पास महज 32 वोट होते हैं, जो जीत के आंकड़े से दो कम हैं.

MP Municipal Election Result 2022: ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में 57 साल बाद कांग्रेस की 'सरकार', बुरी तरह चूक गई BJP

एमआईसी और परिषद में रहेगी टकराव की नौबत : यदि कांग्रेस अपनी सहमति नहीं बना पायी तो सभापति कांग्रेस का होगा. ऐसी स्थिति में मेयर और कांग्रेस परिषदों की बैठकों का संचालन अपने मनमाफिक नहीं कर सकेगी. इसी तरह मेयर इन काउन्सिल से स्वीकृत होकर आने वाले प्रस्तावों को परिषद से मंजूरी मिलने में बीजेपी पार्षद दिक्कतें करेंगे. बहुमत का फायदा उठाकर वे प्रस्ताव गिरा सकते हैं. इससे विकास कार्यों में अवरोध होंगे. नगर निगम कमिश्नर रहे पूर्व आईएसएस अधिकारी विनोद शर्मा भी मानते हैं कि ऐसी स्थिति में परिषद चलाने में दिक्कत तो आती है, क्योंकि ये विरोधाभासी स्थिति है. इससे जनित के मुद्दे भी अटकेंगे और शासन से मिलने वाले अनुदान में भी कमी आ सकती है. (Congress won Gwalior but problem ahead) (Congress not majority in council)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.