ग्वालियर। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया के जन्मदिन के मौके पर शुक्रवार को माधव नेशनल पार्क को बड़ी सौगात देने जा रहे हैं. इस दिन यहां केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से तीन बाघ छोड़े जाएंगे. इस प्रयास के जरिए पुराने समय में राजस्थान के रणथंभौर अभ्यारण्य से लेकर पन्ना अभ्यारण्य तक जो टूरिज्म कॉरिडोर था, उसी को ही पुर्नजीवित किया जाएगा. केंद्र और राज्य सरकार की इस कवायद से माधव नेशनल पार्क में एक बार फिर बाघों की दहाड़ गूंजेगी. आपको यह भी बता दें कि हाल ही में कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया के चीते छोड़े जा चुके हैं.
टाइगर की चहलकदमी से गुलजार होगा पार्क: सीएम शिवराज सिंह चौहान और ज्योतिरादित्य सिंधिया तीन टाइगर को पार्क में रिलीज करेंगे. उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि पिता के जन्मदिवस पर बड़ी सौगात मिल रही है. माधव नेशनल पार्क शिवपुरी में 27 साल से टाइगर की आवाज सुनाई नहीं थी लेकिन अब यह पार्क 3 टाइगर से गुलजार होने जा रहा है. सिंधिया ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र सिंह को धन्यवाद भी दिया है.
ग्वालियर चंबल संभाग में टूरिज्म का एक नया कॉरिडोरः सिंधिया ने कहा, 'हम शुक्रवार को 3 टाइगर रिलीज करेंगे, जिससे ग्वालियर चंबल संभाग में टूरिज्म का एक नया कॉरिडोर बन सकता है. राजस्थान के रणथंभौर से टूरिस्ट कूनो आएगा. कूनो में उसे चीते मिलेंगे. उसके बाद शिवपुरी आएगा तो माधव नेशनल पार्क में टाइगर मिलेंगे. फिर पन्ना माधव नेशनल पार्क में वाइल्डलाइफ के प्राणियों को देखेगा. इससे अब मध्यप्रदेश में टूरिज्म का नया कॉरिडोर स्थापित हो गया है.'
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1996 में अंतिम बार देखा गया टाइगरः गौरतलब है कि शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में 1990-91 तक काफी संख्या में टाइगर हुआ करते थे. अंतिम बार 1996 में यहां टाइगर देखा गया था. अब माधव नेशनल पार्क एक बार फिर से बाघों से आबाद होने जा रहा है. टाइगर प्रोजेक्ट के तहत यहां कुल पांच बाघों को बसाए जाने की योजना है. पहले चरण में यहां तीन बाघों को शिफ्ट किया जाएगा. इसमें पन्ना, बांधवगढ़ से एक-एक मादा टाइगर और भोपाल से एक नर टाइगर को शिफ्ट किया जाएगा. माधव नेशनल पार्क में पहले चरण में आने वाले तीनों टाइगरों को फ्री रेंज में रखा जाएगा यानी यहां टाइगरों को पिंजरे में कैद करके न रखते हुए पार्क में उनके लिए बनाए गए बाड़े में खुला रखा जाएगा. इन टाइगरों को लेकर अध्ययन भी किया जाएगा कि वे यहां किस तरह से रहते हैं और खुद को कैसे इस नए वातावरण में अनुकूल करते हैं. करीब 750 स्क्वायर किलोमीटर एरिया में चीता और बाघों का विचरण होगा.