ETV Bharat / state

मोदी के सारथी ज्योतिरादित्य सिंधिया! दिलचस्प है राजनीतिक सफर

ज्योतिरादित्य सिंधिया जिन्हें लोग महाराज के नाम से इनके इलाके में जानते हैं. यूपीए सरकार में भी अहम पदों पर आसीन रहे अपना दखल रखा और अब फिर अपना सिक्का जमाने में कामयाब रहे हैं.

jyotiraditya scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया
author img

By

Published : Jul 7, 2021, 2:13 PM IST

Updated : Jul 7, 2021, 4:55 PM IST

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया यानी महाराज. इन दिनों राजनीति के पिच पर भी ऐसी बॉलिंग कर रहें हैं कि सब बोल्ड हो रहें हैं. इनके कद के आगे सब इनके विरोधी अब बौने साबित हो रहें हैं. कभी ये कांग्रेस के पहली पंक्ति के नेता थे तो अब इनकी पहचान भारतीय जनता पार्टी है. राजनीति का ककहरा इन्होंने घर से ही पढ़ा. ग्वालियर राजघराने की विरासत संभाले हैं तो सर्वविदित है कि राजनीति तो इनके DNA में है. 1 जनवरी 1971 को जन्में ज्योतिरादित्य कुर्मी मराठा परिवार के वारिस हैं.

information of Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी जानकारी

पिता माधवराव सिंधिया की विमान हादसे में असामयिक मौत के बाद इन्होंने गद्दी संभाली और उन्हीं के रास्ते पर चलते हुए कांग्रेस के हो गए. समय के साथ इन्हें कांग्रेस में कई अहम पदों पर बिठाया भी गया लेकिन फिर धीरे धीरे इनका मोह भंग भी हुआ. वजह कई रहीं. खासकर वर्चस्व की लड़ाई.

मध्यप्रदेश कांग्रेस खेमों में बंटी थी. इनमें से दो बड़े अहम थे एक ओर दिग्विजय- कमलनाथ ग्रुप तो दूसरी ओर खड़े थे महाराज. जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तब बीजेपी के साथ-साथ उनकी अपनी ही कांग्रेस पार्टी में उनके विरोधियों की कमी नहीं थी. दिग्विजय सिंह के खेमे से जुड़े लोग पार्टी में रहते हुए सिंधिया के लिए परेशानी खड़ी करने की कोशिश करते रहे लेकिन सिंधिया पर कभी इसका असर नहीं हुआ बल्कि विरोधियों को ही समय-समय पर मुंह की खानी पड़ी.

information of Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी जानकारी

शिक्षा दीक्षा

ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रारंभिक शिक्षा कैंपिनय स्कूल और देहरादून स्थित दून स्कूल से हुई. 1993 में इन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में बीए किया तो वहीं 2001 में इन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमए किया.

यह भी कोई छुपी हुई बात नहीं कि भले ही एमपी में बीजेपी की सरकार रही हो लेकिन ग्वालियर चंबल-अंचल में सिंधिया को सीधी टक्कर देना किसी के बूते की बात नहीं रही.

information of Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी जानकारी

संक्षेप में राजनीतिक सफर
30 सितम्बर 2001 को पिता माधवराव सिंधिया की हवाई दुर्घटना में मौत के बाद 18 दिसम्बर को ज्योतिरादित्य राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए

24 फरवरी 2002 को पिता की गुना सीट से चुनाव लड़कर 4 लाख पचास हजार के मार्जिन से थम्पिंग विक्ट्री हासिल की. सांसद बने

2002 की जीत के बाद वो 2004, 2009 और 2014 में भी सांसद निर्वाचित हुए

2007 में केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के रूप में केन्द्रीय मंत्री परिषद में शामिल किए गए

2009 में तीसरी बार सांसद बनने पर वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया गया.

2019 के चुनाव में वे अपने ही एक पूर्व निजी सचिव केपीएस यादव से हार गए. केपीएस ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था

information of Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी जानकारी

सख्त हैं महाराज

ज्योतिरादित्य सिंधिया के मातहत काम करने वाले लोग और इनके काम को करीब से देखने वाले लोग मानते हैं कि ये सख्त फैसले लेने में देरी नहीं करते. यूपीए सरकार में उनकी छवि एक ऐसे मंत्री की थी जो सख्त फैसले लेता था शायद यही वजह है कि पार्टी के भीतर ही इनके विरोध में सुर उठने लगे.

सिंधिया देश के सबसे अमीर राजनेताओं में गिने जाते हैं जिनकी संपत्ति 25,000 करोड़ रुपए आंती जाती है. जो उन्हें विरासत में मिली है. क्रिकेट से इनका लगाव सभी जानते हैं पिता माधवराव की तरह ये भी क्रिकेट पर पैनी नजर रखते हैं. इनका क्रिकेट को लेकर पैशन ही है कि ये मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी है. अक्सर साफ बोलते हैं और अपने लोगों के लिए सिंधिया हमेशा खड़े रहते हैं, उनकी खुशी से लेकर गम तक में शरीक होते हैं.

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया यानी महाराज. इन दिनों राजनीति के पिच पर भी ऐसी बॉलिंग कर रहें हैं कि सब बोल्ड हो रहें हैं. इनके कद के आगे सब इनके विरोधी अब बौने साबित हो रहें हैं. कभी ये कांग्रेस के पहली पंक्ति के नेता थे तो अब इनकी पहचान भारतीय जनता पार्टी है. राजनीति का ककहरा इन्होंने घर से ही पढ़ा. ग्वालियर राजघराने की विरासत संभाले हैं तो सर्वविदित है कि राजनीति तो इनके DNA में है. 1 जनवरी 1971 को जन्में ज्योतिरादित्य कुर्मी मराठा परिवार के वारिस हैं.

information of Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी जानकारी

पिता माधवराव सिंधिया की विमान हादसे में असामयिक मौत के बाद इन्होंने गद्दी संभाली और उन्हीं के रास्ते पर चलते हुए कांग्रेस के हो गए. समय के साथ इन्हें कांग्रेस में कई अहम पदों पर बिठाया भी गया लेकिन फिर धीरे धीरे इनका मोह भंग भी हुआ. वजह कई रहीं. खासकर वर्चस्व की लड़ाई.

मध्यप्रदेश कांग्रेस खेमों में बंटी थी. इनमें से दो बड़े अहम थे एक ओर दिग्विजय- कमलनाथ ग्रुप तो दूसरी ओर खड़े थे महाराज. जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तब बीजेपी के साथ-साथ उनकी अपनी ही कांग्रेस पार्टी में उनके विरोधियों की कमी नहीं थी. दिग्विजय सिंह के खेमे से जुड़े लोग पार्टी में रहते हुए सिंधिया के लिए परेशानी खड़ी करने की कोशिश करते रहे लेकिन सिंधिया पर कभी इसका असर नहीं हुआ बल्कि विरोधियों को ही समय-समय पर मुंह की खानी पड़ी.

information of Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी जानकारी

शिक्षा दीक्षा

ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रारंभिक शिक्षा कैंपिनय स्कूल और देहरादून स्थित दून स्कूल से हुई. 1993 में इन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में बीए किया तो वहीं 2001 में इन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ बिजनेस से एमए किया.

यह भी कोई छुपी हुई बात नहीं कि भले ही एमपी में बीजेपी की सरकार रही हो लेकिन ग्वालियर चंबल-अंचल में सिंधिया को सीधी टक्कर देना किसी के बूते की बात नहीं रही.

information of Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी जानकारी

संक्षेप में राजनीतिक सफर
30 सितम्बर 2001 को पिता माधवराव सिंधिया की हवाई दुर्घटना में मौत के बाद 18 दिसम्बर को ज्योतिरादित्य राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी से जुड़ गए

24 फरवरी 2002 को पिता की गुना सीट से चुनाव लड़कर 4 लाख पचास हजार के मार्जिन से थम्पिंग विक्ट्री हासिल की. सांसद बने

2002 की जीत के बाद वो 2004, 2009 और 2014 में भी सांसद निर्वाचित हुए

2007 में केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री के रूप में केन्द्रीय मंत्री परिषद में शामिल किए गए

2009 में तीसरी बार सांसद बनने पर वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्री बनाया गया.

2019 के चुनाव में वे अपने ही एक पूर्व निजी सचिव केपीएस यादव से हार गए. केपीएस ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था

information of Jyotiraditya Scindia
ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़ी जानकारी

सख्त हैं महाराज

ज्योतिरादित्य सिंधिया के मातहत काम करने वाले लोग और इनके काम को करीब से देखने वाले लोग मानते हैं कि ये सख्त फैसले लेने में देरी नहीं करते. यूपीए सरकार में उनकी छवि एक ऐसे मंत्री की थी जो सख्त फैसले लेता था शायद यही वजह है कि पार्टी के भीतर ही इनके विरोध में सुर उठने लगे.

सिंधिया देश के सबसे अमीर राजनेताओं में गिने जाते हैं जिनकी संपत्ति 25,000 करोड़ रुपए आंती जाती है. जो उन्हें विरासत में मिली है. क्रिकेट से इनका लगाव सभी जानते हैं पिता माधवराव की तरह ये भी क्रिकेट पर पैनी नजर रखते हैं. इनका क्रिकेट को लेकर पैशन ही है कि ये मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी है. अक्सर साफ बोलते हैं और अपने लोगों के लिए सिंधिया हमेशा खड़े रहते हैं, उनकी खुशी से लेकर गम तक में शरीक होते हैं.

Last Updated : Jul 7, 2021, 4:55 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.