ग्वालियर। इस समय देश भर में कोरोना संक्रमण के बाद अब ब्लैक फंगस इंफेक्शन लगातार बढ़ रहा है. यह इंफेक्शन कोरोना संक्रमण (Corona infection) से उड़ कर आए मरीजों के लिए नई परेशानियां खड़ी कर दी है. ब्लैक फंगस (Black fungus) फफूंद की तरह होता है जो धीरे-धीरे शरीर में फैलता चला जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ब्लैक फंगस कोरोना से जंग जीतकर आए लोगों को हो रहा है, क्योंकि कोरोना संक्रमण के बाद शरीर की इम्युनिटी पावर (Immunity power) कम हो जाती है और ये ब्लैक फंगस कमजोर इम्युनिटी वालों को होने की ज्यादा आशंका होती है. इंफेक्शन की वजह से मरीजों के शरीर के कई महत्वपुर्ण हिस्से पूरी तरह से खराब हो रहे हैं. हाल ही में कई ऐसे मरीज सामने आए है, जो इस ब्लैक फंगस की वजह से अपनी आंख की रोशनी गवा चुके हैं या शरीर के कुछ हिस्से में फफूंद पैदा हो गई है. प्रदेश में लगातार बढ़ते ब्लैक फंगस के मरीजों के कारण अब सरकार को भी चिंता होने लगी है. यही कारण है कि सरकार ने ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए अलग से ICU वार्ड शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं.
- ब्लैक फंगस के मरीजों को अलग से भर्ती करने की प्लानिंग
प्रदेश के अन्य जिलों में ब्लैक फंगस के मरीज लगातार सामने आ रहे हैं. इस ब्लैक फंगस की इंफेक्शन की वजह से मरीजों की मौत भी हो रही है. यही वजह है कि सरकार ने ब्लैक फंगल इंफेक्शन की निगरानी करने के लिए आदेश जारी कर दिए हैं. साथ ही जबलपुर और भोपाल में अलग से 10-10 आईसीयू (ICU) बेड बनाने के लिए भी निर्देश जारी किए हैं, वहीं ग्वालियर में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ब्लैक फंगस के लिए 12 बेड का विषेश आईसीयू वार्ड बनाने की घोषणा की है. ब्लैक फंगस के लगातार बढ़ रहे मरीजों को देखते हुए सीएम शिवराज ने ये घोषणा की है.
बढ़ रही इंजेक्शन की कालाबाजारी
जिले में ब्लैक फंगस के इलाज में काम आने वाले लाइपोजोमल एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन की कालाबाजारी भी बढ़ने लगी है. जिले में वर्तमान स्थिति में मात्र 12 से 15 ब्लैक फंगस के संदिग्ध मरीज है. लेकिन अभी से ही जिले में लाइपोजोमल एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन की अचानक कमी आने लगी है. जिले के मुनाफाखोर लोगों ने इंजेक्शन की कालाबाजारी भी शुरू कर दी है.
Black Fungus: बाजार से गायब हो रहे लाइपोजोमल एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन
- स्वास्थ्य विभाग शहर के सभी कोविड अस्पतालों को किया अलर्ट
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि ब्लैक फंगस को लेकर शहर के सभी को अस्पताल को अलर्ट कर दिया गया है. अगर कोई ब्लैक फंगस का मरीज सामने आता है, तो उसका ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जाएगा. सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा का कहना है कि इसको लेकर जल्द ही शहर के सभी कोविड अस्पतालों के प्रबंधकों से बातचीत की जा रही है. उनको वीडियो कांफ्रेंस के जरिए निर्देश जारी किए जाएंगे. साथ ही उनको ऐसे मरीजों पर विशेष निगरानी के लिए कहा जाएगा, जो शुगर और लंबे समय से कोराना संक्रमित है.
- प्रधान आरक्षक की ब्लैक फंगस से मौत की आशंका
12 मई को शहर के एक निजी अस्पताल में प्रधान आरक्षक रामकुमार की मौत हो गई थी. वह पिछले कुछ दिनों से कोरोना पॉजिटिव थे और उनका इलाज चल रहा था, लेकिन कल अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उनकी मौत हो गई. निजी अस्पताल के डॉक्टर द्वारा बताया जा रहा है कि वह कोरोना से धीरे-धीरे रिकवर हो रहे थे, लेकिन ब्लैक फंगस की वजह से उनकी मौत हो गई. प्रधान आरक्षक रामकुमार के चेहरे पर कुछ ब्लैक इंफेक्शन दिखाई देने लगा था. साथ ही उसकी आंखें पर भी सूजन आने लगी थी. यही वजह है कि उनकी मौत की आशंका ब्लैक फंगस इंफेक्शन के कारण बताई जा रही है. हालांकि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ब्लैक फंगस की वजह से मौत की पुष्टि नहीं कर रहा है.
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- दवाओं की आपूर्ति के लिए ड्रग इंस्पेक्टर को दिए निर्देश
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष शर्मा बताते है कि अक्सर देखने को मिलता है. जैसे-जैसे बीमारियों के केस लगातार बढ़ते जाते हैं, वैसे ही दवाइयों की कमी भी होती जाती है. क्योंकि इसकी कालाबाजारी अधित मात्रा में शुरू होने लगती है. यही वजह है कि ड्रग इंस्ट्रक्टर को निर्देश दिए हैं ब्लैक फंगस में दी जाने वाली दवाओं की निगरानी की जाए, ताकि लोगों को समय पर दवाइयां उपलब्ध हो. इंफेक्शन में दी जाने वाला ड्रग कोई महंगा नहीं है, यह आसानी से उपलब्ध हो जाता है. यही वजह है कि इसकी कालाबाजारी होने की बहुत कम संभावना है.
- डायबिटीज और कोरोना मरीजों के लिए घातक है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस इंफेक्शन डायबिटीज और लंबे समय से भर्ती कोरोना मरीजों के लिए बहुत घातक माना जा रहा है. यह सबसे ज्यादा इन्हीं लोगों पर असर डाल रहा है. इंफेक्शन की वजह से लोग जान भी गवां रहे है. प्रदेश के कई जिलों में इंफेक्शन की वजह से लोगों की मौत हो रही है. ऐसे में सबसे अधिक निगरानी डायबिटीज और अन्य बीमारी वाले मरीजों के लिए करना आवश्यक है, क्योंकि इन मरीजों को भी सबसे अधिक जान का खतरा है. शुरुआती लक्षण में ही इस ब्लैक फंगल इन्फेक्शन को रोकना बहुत ही जरूरी है. नहीं तो यह शरीर में जाकर पूरे शरीर को गला देता है.