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एड्स पीड़ित को बीबी-बच्चों ने घर से निकाला, प्रशासन भी सीधे मदद करने से किया इनकार

ग्वालियर के बोना गांव निवासी एक बुजुर्ग पिछले 9 सालों से एड्स से पीड़ित है. अब बीबी-बच्चों ने भी उसे घर से निकाल दिया है और प्रशासन भी कोई मदद नहीं कर रहा है.

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Published : Jun 5, 2019, 10:38 PM IST

एड्स पीड़ित को बीबी-बच्चों ने घर से निकाला

ग्वालियर| डबरा तहसील के बोना गांव निवासी एक बुजुर्ग पिछले 9 सालों से एड्स की बीमारी से पीड़ित है. इसकी वजह से उसके घरवालों ने भी उसे बेघर कर दिया है और प्रशासन भी कोई मदद करने को तैयार नहीं है. अब मजदूरी कर किसी तरह पेट भर रहा है, जबकि फुटपाथ पर कहीं भी सोकर रात गुजारता है.

एड्स पीड़ित को बीबी-बच्चों ने घर से निकाला

जानकारी के अनुसार, एड्स पीड़ित इस व्यक्ति ने कुछ दिन तो अपने घर में रहकर इलाज कराया, बाद में घर वालों ने उससे दूरी बनानी शुरू कर दी और पिछले कुछ समय से उसे घर से ही बेदखल कर दिया. पीड़ित का कहना है कि उसकी पत्नी और बच्चों ने उसके साथ मारपीट भी की है. उसने बताया कि वो सड़क पर रहकर दिन गुजारने के लिए मजबूर है, मेहनत मजदूरी के लिए कभी काम मिल जाता है तो कभी नहीं मिलता. ऐसे में उसके गुजर-बसर में बड़ी परेशानी आ रही है.

मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे एड्स पीड़ित को प्रशासन ने सीधे तौर पर कोई भी मदद देने से इनकार कर दिया है, लेकिन प्रशासन ने कहा कि छोटे-मोटे काम धंधे के लिए उसे स्वरोजगार स्थापित करने में मदद की जाएगी. कलेक्टर का कहना है कि छोटे-मोटे काम धंधे के लिए उसे स्व रोजगार मुहैया कराया जा सकता है.

आर्थिक मदद मांगने वाले और गंभीर बीमारी से पीड़ित 27 लोगों को जिला प्रशासन ने चिह्नित किया है और उनका एक समूह बनाकर उन्हें छोटे काम जैसे मोबाइल की दुकान और किराने जैसे कारोबार के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी. साथ ही व्यापारियों से भी कहा है कि उनका संगठन ऐसे लोगों की मदद में आगे आए.

ग्वालियर| डबरा तहसील के बोना गांव निवासी एक बुजुर्ग पिछले 9 सालों से एड्स की बीमारी से पीड़ित है. इसकी वजह से उसके घरवालों ने भी उसे बेघर कर दिया है और प्रशासन भी कोई मदद करने को तैयार नहीं है. अब मजदूरी कर किसी तरह पेट भर रहा है, जबकि फुटपाथ पर कहीं भी सोकर रात गुजारता है.

एड्स पीड़ित को बीबी-बच्चों ने घर से निकाला

जानकारी के अनुसार, एड्स पीड़ित इस व्यक्ति ने कुछ दिन तो अपने घर में रहकर इलाज कराया, बाद में घर वालों ने उससे दूरी बनानी शुरू कर दी और पिछले कुछ समय से उसे घर से ही बेदखल कर दिया. पीड़ित का कहना है कि उसकी पत्नी और बच्चों ने उसके साथ मारपीट भी की है. उसने बताया कि वो सड़क पर रहकर दिन गुजारने के लिए मजबूर है, मेहनत मजदूरी के लिए कभी काम मिल जाता है तो कभी नहीं मिलता. ऐसे में उसके गुजर-बसर में बड़ी परेशानी आ रही है.

मंगलवार को जनसुनवाई में पहुंचे एड्स पीड़ित को प्रशासन ने सीधे तौर पर कोई भी मदद देने से इनकार कर दिया है, लेकिन प्रशासन ने कहा कि छोटे-मोटे काम धंधे के लिए उसे स्वरोजगार स्थापित करने में मदद की जाएगी. कलेक्टर का कहना है कि छोटे-मोटे काम धंधे के लिए उसे स्व रोजगार मुहैया कराया जा सकता है.

आर्थिक मदद मांगने वाले और गंभीर बीमारी से पीड़ित 27 लोगों को जिला प्रशासन ने चिह्नित किया है और उनका एक समूह बनाकर उन्हें छोटे काम जैसे मोबाइल की दुकान और किराने जैसे कारोबार के लिए आर्थिक मदद दी जाएगी. साथ ही व्यापारियों से भी कहा है कि उनका संगठन ऐसे लोगों की मदद में आगे आए.

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