ग्वालियर। जिले में कोरोना संक्रमण के दौरान किसी को अस्पताल में जगह नहीं मिली, तो किसी को मरने के बाद श्मशान में जगह नहीं मिल रही है. श्मशान में जगह मिल भी जाती है, तो अंतिम संस्कार के बाद परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने जा रहे है वहां भी कई दिनों का इंतजार करना पड़ रहा है. स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन के रवैये के कारण लोगों को उनके परिजनों का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है. यह समस्या ग्वालियर चंबल अंचल के सबसे बड़े जयारोग्य अस्पताल समूह से लेकर जिला अस्पताल मुरार और सिविल अस्पताल में भी देखने को मिल रही है.
- अधीक्षक स्तर के लोगों को रजिस्टार का दर्जा
दरअसल इस कोरोना महामारी के कारण कई लोग अपनी जान गंवा बैठे है जिसके कारण बड़ी संख्या में मृतकों के परिजन मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए पहुंच रहे हैं. लेकिन नगर निगम के जनमित्र केंद्र पर उनसे कहा जाता है, कि निजी अस्पतालों में जान गंवाने वाले लोगों के प्रमाण पत्र बना रहे हैं, जबकि जनमित्र केंद्र पर सभी लोगों के प्रमाण पत्र बनाए जाने चाहिए. इन मृतकों में ज्यादा संख्या स्थानीय लोगों की थी, जबकि कई मृतकों के परिजन बाहर के भी परेशान हुए हैं. खास बात यह है कि सांख्यिकी विभाग ने मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने के लिए सभी सरकारी अस्पतालों के अधीक्षक स्तर के लोगों को रजिस्टार का दर्जा दिया है. यह लोग जयारोग्य अस्पताल समूह, जिला अस्पताल अथवा दूसरे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर होने वाली मौतों के लिए अधिकृत हैं और मृत्यु प्रमाण पत्र दे सकते हैं.
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- जल्द ढूंढ़ा जाएगा समाधान
निजी अस्पतालों के लिए भी सांख्यिकी विभाग ने निजी अस्पतालों में होने वाली मौतों के लिए एक हेल्प डेस्क एक भी स्थापित की है. यह हेल्प डेस्क संबंधित थाना क्षेत्र में रजिस्टर्ड की जाती है और उनका रिकॉर्ड संख्यिकी विभाग को पहुंचता है. सांख्यिकी विभाग का कहना है कि संबंधित थाना क्षेत्र में होने वाली मौतों के लिए वही पंजीयन होता है. लेकिन उन्होंने इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई करने पर हाथ खड़े किए हैं, लेकिन कोविड-19 मंत्री ने कहा है कि यह लोगों की बड़ी समस्या है और इसके निराकरण के लिए जल्द ही कोई उपाय ढूंढ लिया जाएगा.