ग्वालियर। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 100 साल की एक बुजुर्ग महिला करीब 33 सालों से अपने बेटे के इंतजार में धरने पर बैठी है. इस बुजुर्ग महिला का बेटा तो अब इस दुनिया में नहीं है. इतने सालों से अपने बेटे की तस्वीर हाथों में लिए यह बुजुर्ग महिला धरने पर बैठी है, लेकिन शासन प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगा. इस रिपोर्ट में जानिए आखिर क्यों 100 साल की यह बुजुर्ग महिला अपने बेटे की तस्वीर को सीने से लगाए हुए कई सालों से इंतजार में है. पढ़िए रामभक्त बेटे की कहानी...ग्वालियर ईटीवी संवाददाता अनिल गौर की यह खास रिपोर्ट.
संघ कार्यालय के बाहर बेटे ने किया था आत्मदाह
ग्वालियर के रहने वाले राम भक्त दिनेश कुशवाह राम मंदिर को हर हालत में बनते हुए देखना चाहते थे. सन 1990 में विवादित ढांचे को गिराने पहुंचे कार सेवक की टुकड़ी जब अयोध्या पहुंची, तो दिनेश कुशवाहा भी जाने के लिए आतुर थे, लेकिन उनके घरवालों ने कसम देकर उन्हें रोक लिया. राम काज के लिए व्याकुल दिनेश कुशवाहा के दोस्त इस कार सेवकों की टोली में अयोध्या गए थे. जब कार सेवकों की टोली इस कार्य में सफल नहीं हो पाई और यह समाचार जैसे ही राम भक्त दिनेश कुशवाहा को मिली, तो दिनेश यह सदमा बर्दाश्त नहीं कर पाया. उन्होंने संघ कार्यालय में जाकर अपने ऊपर मिट्टी का तेल डालकर आत्मदाह कर लिया. दिनेश के इस कदम से पूरा परिवार टूट गया.
बेटे के बाद पति की मौत ने महिला को तोड़ा
अपने एक बेटे की मौत के कुछ सालों के बाद दिनेश के पिता भी इस सदमे से उबर नहीं पाए और उनकी भी मौत हो गई. दिनेश की मां दिनेश की मौत के बाद अपने बेटे का फोटो सीने से लगाकर रोती रहती हैं. दिनेश की मां की उम्र 100 साल से अधिक है. अब वह चलने, फिरने और सुनने में असमर्थ हैं. वह किसी से बात नहीं करती, लेकिन आज भी दिनेश का नाम लेते ही उनकी आंखें भर आती है. यह 100 साल की बुजुर्ग मां बेटे की इंतजार में पिछले 33 सालों से घर के दरवाजे पर बेटे की तस्वीर लेकर बैठ जाती थी, लेकिन अब इतनी बुजुर्ग हो चुकी हैं कि न तो वह सुन पाती हैं और न हीं कुछ बोल पाती हैं. वह पूरी तरह असाध्य हो चुकी हैं.
प्रशासन ने नहीं ली कोई सुध
बेटे की मौत के बाद और फिर पति के चले जाने के बाद यह राम भक्त दिनेश कुशवाहा की मां पिछले कई सालों तक इंतजार में बैठी रही कि अब उसका बेटा तो नहीं है, लेकिन उसकी मदद के लिए कोई सामने आएगा, क्योंकि उसके बेटे ने इस समाज और देश के लिए कुर्बानी दी है. जिसे शायद कोई नहीं भूल पाएगा, लेकिन पिछले 33 सालों से इस बूढी मां की मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आया. शासन से लेकर प्रशासन तक के किसी नुमाइंदे ने इस बुजुर्ग की कोई खोज-खबर तक नहीं ली. वह आज इतनी बेबस हो चुकी है, उसे न तो सुनाई देता और कुछ कह पाती है. सिर्फ अपने बेटे दिनेश कुशवाह की फोटो देखकर आखों से आंसू टपकाती रहती है.
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राम मंदिर बनने पर जताई खुशी
हालांकि शासन-प्रशासन से नाउम्मीद 100 साल की यह बुजुर्ग अब इसलिए खुश है कि उसके बेटे का सपना पूरा होने जा रहा है. जिस बेटे ने अपनी जान की कुर्बानी दी. उस बेटे का उद्देश्य पूरा हो रहा है. जब इस बुजुर्ग मां से इशारों ही इशारों में कहा की राम मंदिर बन रहा है, तो मुस्कान लेते हुए उसने हाथ जोड़ लिए. बता दें 22 जनवरी को दिनेश के परिवार को अयोध्या जाने का आमंत्रण मिला है. इसको लेकर परिवार में खुशी की लहर है. दिनेश के भतीजे नरेंद्र का कहना है कि दिनेश राम भक्त था और उनकी कुर्बानी अब रंग लाई है. उन्होंने अपने देश के लिए कुर्बानी दी थी. मंदिर के लिए कुर्बानी दी थी. आज वह सपना पूरा होने जा रहा है और हम बहुत खुश हैं.