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MP School गुना जिले के भूषणनगर के प्राइमरी स्कूल की हालत बद से बदतर - स्कूल की हालत बद से बदतर

गुना जिले के जिला मुख्यालय से लगे गांव भूषणनगर में प्राइमरी सरकारी स्कूल के हालात बहदाल हैं. एक ही कमरे में कक्षा 1 से 5 वीं तक के बच्चे बैठते हैं. हालांकि स्कूल में बच्चे आते ही नहीं. कुछ बच्चे ही स्कूल में आते हैं.

MP guna condition of primary school
गुना जिले के भूषणनगर के प्राइमरी स्कूल की हालत बद से बदतर
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Published : Feb 8, 2023, 6:32 PM IST

गुना। गुना में सरकारी स्कूल के हालातों को देखकर आप हैरान रह जाएंगे. शहर से महज 6 km की दूरी पर स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय भूषणनगर की व्यवस्थाएं बदतर हैं. कक्षा 1 से 5वीं तक संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय भूषणनगर की बिल्डिंग में महज एक ही कक्ष है. इसी एक कक्ष में पहली से पांचवीं कक्षा के आदिवासी छात्र सामूहिक तौर पर शिक्षा ग्रहण करते हैं. आदिवासी बच्चों के लिए स्थापित किये गए स्कूल में न तो बिजली है और न ही पीने के पानी की व्यवस्था.

एक हैंडपंप वो भी बदहाल : एक हैंडपंप है वो भी अपनी बदहाली पर रो रहा है. वर्षों से खराब पड़े हैंडपंप को सुधारने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. मध्यान्ह भोजन में जो बर्तन उपयोग किये जाते हैं वो बिना धोए केबल गंदे कपड़े से साफ कर के वापस रख दिये जाते हैं. टाटपट्टी पर बैठे आदिवासी बच्चों को पढ़ाई लिखाई की औपचारिकता पूरी कराई जाती है. स्कूल में एक शिक्षक और एक शिक्षिका समेत दो लोगों का स्टाफ है. शिक्षक नन्नूलाल राजपूत और इस सरकारी स्कूल की स्थापना भी एक ही साथ 1997 में हुई थी. तब से न ही स्कूल बदला और न ही शिक्षक. पिछले 25 वर्षों से भूषणनगर स्कूल में अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षक नन्नूलाल ने बताया कि आदिवासी बच्चों में पढ़ाई लिखाई के प्रति कम ही रुझान है.

MP guna condition of primary school
गुना जिले के भूषणनगर के प्राइमरी स्कूल की हालत बद से बदतर

कमलनाथ के गृहनगर छिंदवाड़ा जिले में ढाई हजार से ज्यादा ऐसे सरकारी स्कूल जहां न बिजली और न पीने का पानी

ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं आते : स्कूल के टाइम पर कुछ बच्चे जंगल में बेर तोड़ने चले जाते हैं तो कुछ बच्चे अपने माता पिता के साथ मजदूरी करने चले जाते हैं. शिक्षक ने बच्चों के परिजनों को दोष देते हुए कहा कि वे ध्यान नहीं देते. इसलिए बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहे. शासन भले ही आदिवासी समाज के उत्थान के लिए सरकारी योजनाओं के द्वार खोलने के लाख दावे करे, लेकिन धरातल पर स्थिति भयावह है. भूषण नगर शासकीय प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले आदिवासी छात्रों के लिए शिक्षा केवल औपचारिकता बनकर रह गई है.

गुना। गुना में सरकारी स्कूल के हालातों को देखकर आप हैरान रह जाएंगे. शहर से महज 6 km की दूरी पर स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय भूषणनगर की व्यवस्थाएं बदतर हैं. कक्षा 1 से 5वीं तक संचालित शासकीय प्राथमिक विद्यालय भूषणनगर की बिल्डिंग में महज एक ही कक्ष है. इसी एक कक्ष में पहली से पांचवीं कक्षा के आदिवासी छात्र सामूहिक तौर पर शिक्षा ग्रहण करते हैं. आदिवासी बच्चों के लिए स्थापित किये गए स्कूल में न तो बिजली है और न ही पीने के पानी की व्यवस्था.

एक हैंडपंप वो भी बदहाल : एक हैंडपंप है वो भी अपनी बदहाली पर रो रहा है. वर्षों से खराब पड़े हैंडपंप को सुधारने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है. मध्यान्ह भोजन में जो बर्तन उपयोग किये जाते हैं वो बिना धोए केबल गंदे कपड़े से साफ कर के वापस रख दिये जाते हैं. टाटपट्टी पर बैठे आदिवासी बच्चों को पढ़ाई लिखाई की औपचारिकता पूरी कराई जाती है. स्कूल में एक शिक्षक और एक शिक्षिका समेत दो लोगों का स्टाफ है. शिक्षक नन्नूलाल राजपूत और इस सरकारी स्कूल की स्थापना भी एक ही साथ 1997 में हुई थी. तब से न ही स्कूल बदला और न ही शिक्षक. पिछले 25 वर्षों से भूषणनगर स्कूल में अपनी सेवाएं दे रहे शिक्षक नन्नूलाल ने बताया कि आदिवासी बच्चों में पढ़ाई लिखाई के प्रति कम ही रुझान है.

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ज्यादातर बच्चे स्कूल नहीं आते : स्कूल के टाइम पर कुछ बच्चे जंगल में बेर तोड़ने चले जाते हैं तो कुछ बच्चे अपने माता पिता के साथ मजदूरी करने चले जाते हैं. शिक्षक ने बच्चों के परिजनों को दोष देते हुए कहा कि वे ध्यान नहीं देते. इसलिए बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहे. शासन भले ही आदिवासी समाज के उत्थान के लिए सरकारी योजनाओं के द्वार खोलने के लाख दावे करे, लेकिन धरातल पर स्थिति भयावह है. भूषण नगर शासकीय प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले आदिवासी छात्रों के लिए शिक्षा केवल औपचारिकता बनकर रह गई है.

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