नई दिल्ली/भोपाल। एनजीटी के न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया याचिका में लगाए गए आरोप पर्यावरण से संबंधित सवाल खड़े करते हैं. पीठ ने कहा कि आवेदन में लगाए गए आरोपों को देखते हुए हम उचित मानते हैं कि तथ्यात्मक स्थिति की जांच के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाए. बता दें कि अधिवक्ता सम्यक जैन, मनन अग्रवाल और धीरज कुमार तिवारी द्वारा डिंडोरी में नर्मदा नदी के पर्यावरण को गंभीर नुकसान की शिकायत करने वाली याचिका पर एनजीटी सुनवाई कर रहा है.
![Pollution in Narmada river Hearing](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16881022_nadi-nrmda_aspera.jpg)
याचिका में अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग : याचिका में मध्य प्रदेश सरकार और स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ नदी में अनुपचारित सीवेज रोकने में विफल रहने पर कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है. ट्रिब्यूनल ने कहा कि समिति के सदस्यों में पर्यावरण और वन मंत्रालय के प्रतिनिधियों के साथ-साथ शहरी विकास विभाग के प्रमुख सचिव, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, कार्यकारी अधिकारी, नगर परिषद डिंडोरी और कलेक्टर डिंडोरी शामिल होंगे.
![Pollution in Narmada river Hearing](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/16881022_nrmda_aspera.jpg)
नर्मदा को प्रदूषित किया तो खैर नहीं! 8 घाटों में बनेंगे रियल टाइम वॉटर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन
दो सप्ताह के अंदर मीटिंग करे समिति : तथ्यात्मक स्थिति को सत्यापित करने के लिए एनजीटी ने समिति को दो सप्ताह के भीतर बैठक करने, साइट का दौरा करने और शिकायतों को देखने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही समिति को एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देने का भी निर्देश दिया है. एनजीटी ने कहा कि यदि संयुक्त समिति ने पर्यावरण मानदंडों का कोई उल्लंघन देखा है तो वह अपनी रिपोर्ट की एक प्रति संबंधित अधिकारियों को भेजेगी, जो ट्रिब्यूनल के समक्ष जवाब दाखिल करेंगे. संयुक्त समिति से एक प्रति प्राप्त करने के बाद संबंधित वैधानिक अधिकारियों को एक महीने के भीतर ट्रिब्यूनल के समक्ष एक कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करनी थी. (पीटीआई)