डिंडौरी। लॉकडाउन के दौरान सरकार द्वारा तय किया गया था कि रोजगार गंवा चुके मजदूरों को मनरेगा के तहत कार्य दिया जाएगा. फिलहाल काम तो दिया जा रहा है, लेकिन मजदूरी की कमाई बहुत कम है. ताजा मामला डिंडौरी जिले का है, जहां मनरेगा कार्य में काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी का सिर्फ 15 रुपये ही दिया जा रहा है.
अब यह मामला तूल पकड़ने लगा है. प्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने इस पूरे मामले में मोदी सरकार को जमकर घेरा है और उन्हें मुंशी प्रेम चंद की कथा 'मैं मजदूर हूं' पढ़ने की नसीहत दी है.
कनई सांगवा ग्राम पंचायत में मजदूरों को मनरेगा कार्य में मजदूरी के बदले 15 रुपए दिए जाने के मामले में पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम ने पीएम नरेंद्र मोदी पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि पीएम मोदी की भारत के अंदर रह रहे मजदूरों को लेकर जो सोच है, वह बड़े प्रमाण के रूप में दिख रहा है. 15 लाख की बात कह रहे थे और 15 रुपये मजदूरी मिल रहा है. आंकड़े जबरदस्त मैच कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि श्रमिकों का जो अधिकार बनता है, अगर वह नहीं मिले तो यह देश के निर्माण के लिए एक बहुत बड़ा कलंक लग रहा है. मेरे यहां जो प्रमाण है, इसी तरह हजारों प्रमाण प्रदेश के अंदर और लाखों प्रमाण देश के अंदर मौजूद हैं.
यह है पूरा मामला
जिला कलेक्ट्रेट के अंतर्गत आने वाली कनई सांगवा पंचायत के ग्रामीण अपनी समस्या लेकर पहुंचे थे, जिन्होंने ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक भारत सिंह बिलागर और उपयंत्री पर मिलीभगत का आरोप लगाया है. साथ ही मनरेगा योजना के तहत राशि कम दिए जाने का गंभीर आरोप लगाया है.
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में लॉकडाउन के दौरान कूप निर्माण कार्य शुरू किया गया, जिसमें ग्रामीणों ने मजदूरी की. लेकिन उस मजदूरी का मूल्यांकन उपयंत्री द्वारा महज 15 रुपये प्रति मजदूर के हिसाब से किया जा रहा है. इस तरह से तो मजदूरों को जीवनयापन करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
इसके अलावा भी पंचायत के अन्य निर्माण कार्य मे भ्रष्टाचार के आरोप ग्रामीणों ने लगाए हैं. इन सभी मामलों की जांच के लिए मजदूरों ने सीईओ से लेकर जिला कलेक्टर से लिखित शिकायत की है.