डिंडोरी। देश में कोविड-19 के दौरान हुए लॉकडाउन से जो अव्यवस्थाओं का दौर शुरू हुआ है, वह थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार महानगरों से जिले के प्रवासी मजदूरों के लौटने का क्रम जारी है. मजदूरों की लौटने के लिए तमाम सरकारी वादे दम तोड़ते नजर आ रहे हैं. जिसका परिणाम ये है कि, मजदूरों को अपनी गाड़ी कमाई घर वापसी के लिए देना पड़ रहा है. कुछ ऐसी ही कहानी है गुजरात से लौटेने वाले इन मजूदरों की. लॉकडाउन की वजह से ऐसे हालात बन गए कि, मजदूर रोजी रोटी के लिए तरस गए. जिसके बाद उन्हें एक ही विकल्प नजर आया. सबने मिलकर करीब डेढ़ लाख रुपए में बस बुक की और अपने जिले की तरफ चल दिए.
मजदूरों का कहना है कि, कई बार अपील करने के बाद भी दोनों राज्यों की सरकारों ने उनके लौटने की कोई व्यवस्था नहीं की. जिसके बाद मजबूरी में उन्हें पैसे खर्च कर बस बुक करनी पड़ी. इन मजदूरों के पास पैसे नहीं थे. जिसके बाद परिजनों को फोन लगाकर मदद की गुहार लगाई. तब जाकर ये इंतजाम हो पाया.
5 मई से भूखे प्यासे निकले
गुजरात राज्य के सूरत जिला से 56 मजदूर डिंडोरी के लिए निकले. लेकिन रास्ते में खाने की कोई व्यवस्था नहीं हो पाई. जिससे मजदूर पिछले दो दिनों से भूखे ही सफर कर रहे थे. इन मजदूरों के साथ महिलाएं और बच्चे भी हैं. बेबस और लाचार मजदूरों को इंतजार था तो बस अपने घर पहुंचने का.
प्रशासन कर रहा गांव भेजने की व्यवस्था
मजदूरों की बस को शहर के शासकीय चंद्रविजय कॉलेज तिराहा पर बने चेक पोस्ट पर रोका गया. इसके बाद 56 मजदूरों का नाम पता नोट कर सभी का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है. जिसके बाद सभी को उनके गांव भेजने की व्यवस्था की जाएगी.
बीते दिनों ट्रकों से लौटे मजदूर
बीते दो दिन पहले भी 63 मजदूर मिनी ट्रक के जरिये खुद के पैसे से डिंडोरी पहुंचे थे. जिनमे अनूपपुर जिले के भी मजदूर थे. उन्होंने भी ट्रक मालिक को 1लाख 68 हजार रुपए किराया दिया था. तब जाकर 4 दिनों का सफर तय करके घर पहुंचे और सुकून की सांस ली.