डिंडौरी। मध्यप्रदेश सरकार विकास के लाख दावे करती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. आज भी प्रदेश के कई जिले, ग्रामीण इलाके के विकास की राह देख रहें हैं. इन्हीं में से कुछ गांव डिंडौरी जिले में हैं. यहां की शहपुरा विधानसभा क्षेत्र के मेहंदवानी इलाके में एक नहीं बल्कि दर्जनों गांव एक अदद पुल की राह तक रहें हैं. जिसकी ना मौजूदगी के कारण ग्रामीण रोजाना अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं. वो भी मां नर्मदा को पार करने के लिए. बड़े ही नहीं बच्चे भी जान की बाजी लगाकर नदी पार कर रहें हैं. गर्मी में जलस्तर कम होने के कारण ग्रामीण जैसे-तैसे नदी को पार कर लेते हैं. लेकिन बारिश के दिनों में जल स्तर बढ़ जाने के कारण बच्चों और ग्रामीणों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
हादसे का है इंतजार
तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि ग्रामीण और बच्चे कैसे प्राण हथेली पर लेकर नदी पार करने को मजबूर हैं. मजबूरी को इन्होंने अपनी किस्मत मान लिया है. लेकिन हैरानी तो इस बात पर है कि प्रशासन भी सब कुछ देख सुन कर खामोश है. शायद किसी बड़ी दुर्घटना का इंतजार किया जा रहा है. मानसून मध्यप्रदेश में आ चुका है और जैसे-जैसे बारिश होने के साथ नर्मदा नदी का जलस्तर बढ़ेगा वैसे-वैसे दुर्घटना की आशंका बढ़ जाती है. हैरानी की बात तो यह है कि इस बात की जानकारी इलाके के विधायक भूपेन्द्र सिंह मरावी (MLA Bhupendra Singh Maravi), स्थानीय सांसद व केन्द्रीय इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Union Minister Faggan Singh Kulaste) सहित जिले के तमाम जिम्मेदार अधिकारियों को भी है. लेकिन किसी के पास शायद वक्त नहीं कि इनका पुरसाहाल ले सके.
गांव तक नहीं पहुंच पाती ऐम्बुलेंस
ग्रामीणों का कहना है कि नेता तो चुनावी मौसम में आते है और पुल बनवाने का वादा कर वोट लेकर चले जाते हैं. ग्रामीण इलाके के सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को वादा खिलाफ नेता मानते हैं, इसे लेकर काफी आक्रोशित भी है. ये भी कम हैरानी का सबब नहीं कि महामारी के इस दौर में भी गांव एंबुलेंस सुविधा से कोसों दूर है. ग्रामीण बताते हैं कि नर्मदा नदी के ऊपर पुल नहीं होने की वजह से उनके गांव तक एम्बुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है, जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं, मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है. साथ ही स्कूली बच्चों को भी स्कूल पहुंचने के लिए नदी को पार करना पड़ता है. इन गांवों का विकासखंड मुख्यालय मेंहदवानी में है. इसलिए आसपास के कई गांव के लोगों को सरकारी कामकाज, चिकित्सा, शिक्षा जैसी सुविधाओं के लिये रोज मेहंदवानी जाना पड़ता है और ये यहां तक का सफर कई मुश्किलातों से भरा रहता है.
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नौ साल पहले सौंपा था प्रस्ताव
कोसमघाट ग्राम पंचायत में विगत दस वर्षों से देवसिंह सरपंच हैं. उनका कहना है कि क्षेत्रवासियों की समस्या के मद्देनजर नौ साल पहले ही पंचायत स्तर पर प्रस्ताव तैयार कर इलाके के सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने जल्द पुल निर्माण का भरोसा भी दिया था, लेकिन अब तक हालात जस के तस बने हुए हैं. इलाके के विधायक भूपेंद्र सिंह मरावी ग्रामवासियों के द्वारा पुल की मांग को जायज बताते हुए मामले को विधानसभा में उठाने की बात कर रहे हैं. तो वहीं इलाके के नायब तहसीलदार हिम्मत सिंह भवेदी गोलमोल बातें कर अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं. अब देखना ये होगा कि वाकई कोई बड़ा हादसा होने के बाद प्रशासन गहरी निंद से जागता है या उससे पहले ग्रामीणों को नदी के उपर पुल सहित मूलभूत सुविधाओं की सौगात मिलती है.