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शर्मनाक! दर्द से कराहती रही महिला, ऑपरेशन थियेटर पर ले जाने के लिए नहीं मिला वार्ड बॉय

समनापुर विकासखंड के रंजरा-बिंजरा गांव की एक प्रसूता को जिला अस्पताल लाया गया. जहां प्रसूता को ऑपरेशन हॉल तक पहुंचाने स्ट्रेचर तो मिला, लेकिन बॉर्ड वाय मौके से गायब था.

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Published : Jul 7, 2019, 9:42 PM IST

डिंडौरी। मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल डिंडौरी की ये तस्वीर झकझोरने वाली है, कमलनाथ सरकार के मंत्री भले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होने का ढिंढोरा पीटते रहे हों, लेकिन हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. अधिकारियों की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते कभी मरीजों को अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलते तो कभी एंबुलेंस.

स्ट्रेचर पर प्रसूता को ले जाते परिजन
बमुश्किल एंबुलेंस नसीब हो भी जाए तो एक नई समस्या सामने होती है. ऐसा ही हुआ डिंडौरी के समनापुर विकासखंड के रंजरा-बिंजरा गांव की डिलिवरी कराने आई महिला के साथ हुआ. 108 एंबुलेंस की मदद से महिला को जिला अस्पताल लाया गया. जहां प्रसूता को ऑपरेशन हॉल तक पहुंचाने स्ट्रेचर तो मिला, लेकिन बॉर्ड वाय मौके से गायब था.
स्ट्रेचर पर प्रसूता को ले जाते परिजन
स्ट्रेचर पर प्रसूता को ले जाते परिजन
वार्ड वाय की गैरमौजूदगी में महिला के परिजन स्ट्रेचर को ढकेलते ऑपरेशन रुम तक ले गए. जब ये तस्वीर ईटीवी भारत ने कैमरे में कैद की तो मौके पर मौजूद 108 वाहन के टेक्नीशियन नागेंद्र जायसवाल भी स्ट्रेचर को ढकेलने में जुट गए. महिला दर्द से कराह रही थी, लेकिन सिस्टम सो रहा था, अगर परिजन खुद ही तत्परता दिखाते हुए उसे ऑपरेशन हॉल नहीं पहुंचाते तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.

डिंडौरी। मध्यप्रदेश के आदिवासी अंचल डिंडौरी की ये तस्वीर झकझोरने वाली है, कमलनाथ सरकार के मंत्री भले ही प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधा बेहतर होने का ढिंढोरा पीटते रहे हों, लेकिन हकीकत कुछ और ही कहानी बयां कर रही है. अधिकारियों की लापरवाही और स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के चलते कभी मरीजों को अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिलते तो कभी एंबुलेंस.

स्ट्रेचर पर प्रसूता को ले जाते परिजन
बमुश्किल एंबुलेंस नसीब हो भी जाए तो एक नई समस्या सामने होती है. ऐसा ही हुआ डिंडौरी के समनापुर विकासखंड के रंजरा-बिंजरा गांव की डिलिवरी कराने आई महिला के साथ हुआ. 108 एंबुलेंस की मदद से महिला को जिला अस्पताल लाया गया. जहां प्रसूता को ऑपरेशन हॉल तक पहुंचाने स्ट्रेचर तो मिला, लेकिन बॉर्ड वाय मौके से गायब था.
स्ट्रेचर पर प्रसूता को ले जाते परिजन
स्ट्रेचर पर प्रसूता को ले जाते परिजन
वार्ड वाय की गैरमौजूदगी में महिला के परिजन स्ट्रेचर को ढकेलते ऑपरेशन रुम तक ले गए. जब ये तस्वीर ईटीवी भारत ने कैमरे में कैद की तो मौके पर मौजूद 108 वाहन के टेक्नीशियन नागेंद्र जायसवाल भी स्ट्रेचर को ढकेलने में जुट गए. महिला दर्द से कराह रही थी, लेकिन सिस्टम सो रहा था, अगर परिजन खुद ही तत्परता दिखाते हुए उसे ऑपरेशन हॉल नहीं पहुंचाते तो कुछ भी अनहोनी हो सकती थी.
Intro:एंकर _ आदिवासी जिला डिंडौरी में लोगो को बेहतर स्वास्थ्य व्यवस्था मिल सके इसके लिए प्रदेश सरकार तमाम तरह की योजनाएं संचालित कर रही है।लेकिन इसकी जमीनी हकीकत को जानने जब ईटीवी भारत की टीम जिला अस्पताल के मुख्य गेट पर कुछ देर इंतजार की तो हालात को बया करने वाले दृश्य कैमरे में कैद हुए।जहाँ बैगा प्रसूता को समनापुर स्वास्थ्य केंद्र से जिला मुख्यालय अस्पताल 108 वाहन में रिफर किया गया तो वहाँ अस्पताल के भीतर ले जाने के लिए स्ट्रेचर तो मिला पर वार्ड बॉय नही ।प्रसूता की हालात को देखते हुए महिला की सहयोगियों ने खुद स्ट्रेचर धकेलते हुए उसे ऑपरेशन कक्ष तक पहुँचाया।


Body:आये दिन के यही है हालात_ दरअसल डिंडौरी जिला के समनापुर विकासखंड क्षेत्र के रंजरा बिंजरा गाँव की बैगा महिला बैसाखी बाई को डिलेवरी के लिए समनापुर स्वास्थ्य केंद्र से डिंडौरी जिला अस्पताल रैफर किया गया जिसे 108 वाहन की मदद से जिला अस्पताल पहुँचाया गया ।जिला अस्पताल पहुँचने के दौरान बैगा प्रसूता महिला को स्ट्रेचर तो नसीब हो गया पर उसे लेजाने वार्ड बॉय नही आया।जिसके चलते प्रसूता महिला के बढ़ते दर्द के चलते उसे उसकी साथी बैगा महिलाओ ने ही स्ट्रेचर धकेलते हुए जिला अस्पताल के भीतर ले जाना पड़ा।वही जब इस दृश्य को ईटीवी भारत की टीम ने अपने कैमरे में कैद किया तो महिलाओ का हाथ बंटाने 108 वाहन के टेक्नीशियन नागेंद्र जायसवाल पहुँचे और प्रसूता महिला को ऑपरेशन कक्ष तक ब मुश्किल पहुँचाया।नागेंद्र जायसवाल ने ईटीवी भारत को बताया कि बैगा महिला की आधी डिलेवरी हो चुकी है जिसमे बच्चे का हाथ बाहर आ गया है।वार्ड बॉय अस्पताल के गेट में नही मिलने के कारण उन्हें प्रसूता महिलाओ की मदद आये दिन करनी पड़ती है।


Conclusion: बहरहाल जिला अस्पताल डिंडौरी में आये दिन गंभीर और घायल मरीजो को वार्ड बॉय की गैर मौजूदगी के चलते उनके परिजन स्वयं ही स्ट्रेचर लेकर जिला अस्पताल के भीतर कमरे तक पहुचाते है ।
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