डिंडौरी। समाज में ऐसे कई मामले सामने आते हैं, जब मुसीबत के वक्त में अपने भी साथ छोड़ देते हैं. ऐसे में गैर लोग काम आते हैं. कुछ ऐसा ही हुआ है डिंडौरी जिले में जहां युवती की मौत के बाद जब उसे अपनों का साथ नसीब नहीं हुआ तो पड़ोसियों ने चंदा इकट्ठा करके उसका अंतिम संस्कार करवाया. समाजसेवियों के इस काम की पूरे डिंडौरी जिले में सराहना की जा रही है.
ये है मामला: दरसअल, डिंडौरी के रहने वाले प्रदीप सोनी ने दूसरी जाति की लड़की अलका से प्रेम विवाह किया था. अलग समाज की लड़की से शादी करने से प्रदीप के परिजन नाराज थे. समाज और परिवार के ताने सुनने के बाद दोनों भोपाल आकर रहने लगे. प्रदीप और अलका को दो बेटियां हुईं. समय अपनी गति से बीतता गया. उनकी बड़ी बेटी पूजा का विवाह बीते साल भोपाल के गांधीनगर में हुआ. जहां एक साल के बाद ही पूजा को उसके ससुराल वालों ने प्रताड़ित कर भगा दिया. इस दौरान पूजा के पिता प्रदीप की भी मौत हो गई. वहीं पूजा भी बीमार रहने लगी.
रिश्तेदारों ने नहीं दिया कंधा: माली हालत बिगड़ने पर अलका अपनी दोनों बेटियों के साथ डिंडौरी आ गई. पूजा को गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया था. जिला चिकित्सालय में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. लेकिन परिजन और रिश्तेदार मृतका को कंधा देने के लिए आगे नहीं आए. अलका ने अपने ससुराल वालों से मदद मांगी, लेकिन परिवार के लोग उसे देखने तक नहीं पहुंचे. इसके बाद प्रदीप के कुछ दोस्तों और पड़ोसियों ने चंदा इकट्ठा किया, तब जाकर पूजा का अंतिम संस्कार हो सका.
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गैरों ने दिया साथ: अलका ने बताया की उनके मृत पति के 11 भाई हैं और उनके पास करोड़ों रुपये की जायदाद है, जिसमें उनके पति प्रदीप का भी हिस्सा है. अंतरजातीय विवाह का हवाला देकर उसे जायदार से भी बेदखल कर दिया गया है. अलका सोनी की छोटी बेटी ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया है उनके पिता के कुछ मित्रों और पड़ोसियों की मदद से 24 घंटे बाद पूजा का अंतिम संस्कार विधि विधान से हो सका है. वहीं समाजसेवी राजू बर्मन ने बताया कि जब उन्हें पूजा सोनी के विषय मे जानकारी लगी तो उनके साथ नगर के तमाम पत्रकारों ने मिलकर पूजा के अंतिम संस्कार की व्यवस्था की और आने वाले 10 दिनों के लिए भी आर्थिक मदद कर राशन की व्यवस्था गरीब परिवार के लिये कर रहे हैं. (Case of embarrassment to relationship in dindori) (funeral of girl was done by collecting donations)