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बदनावर में आस्था का केंद्र है बाबा बैजनाथ का यह मंदिर, भक्तों की लगती है भारी भीड़

धार जिले के बदनावर में बाबा बैजनाथ का मंदिर है, जो लोगों की आस्था का केंद्र है. जहां महाशिवरात्रि में भक्तों का तांता लग जाता है. वहीं इस मंदिर की कई मान्यताएं और इतिहास हैं.

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Published : Feb 21, 2020, 12:44 PM IST

Updated : Feb 21, 2020, 1:16 PM IST

Baba Baijnath is the center of devotion
बाबा बैजनाथ है भक्तिों की आस्था का केंद्र

धार। महाशिवरात्रि के पर्व पर भोले के जयकारे गली-गली में गूंज रहे हैं. मंदिरों में विशेष अनुष्ठान के साथ महादेव का अभिषेक किया जा रहा है. बदनावर में एक बाबा बैजनाथ का मंदिर है. इस 1100 साल पुराने परमारकालीन बैजनाथ महादेव मंदिर को उड़निया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव उड़कर पहुंचे थे.

बाबा बैजनाथ है भक्तिों की आस्था का केंद्र

महाशिवरात्रि में लगता है मेला

ऐसी मान्यता है कि पूर्व काल में कोई तपस्वी अपने तपोबल से इस मंदिर को उड़ाकर ले जा रहे थे, लेकिन सूर्योदय का समय होते ही उन्हें यहां स्थापित करना पड़ा. उड़िया शैली में बने होने के कारण इसे उड़निया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर के नाम से नगर पंचायत हर साल मेले का आयोजन करती है. शिवरात्रि, श्रावण मास के अलावा भी बड़ी संख्या में यहां दर्शनार्थियों का जमावड़ा रहता है.

सच्चे मन से मांगने पर पूरी होती है मनोकामना

माना जाता है कि इस मंदिर में सभी की मनोकमनाएं पूरी होती हैं. शिव जी के अभिषेक और मनोवांछित फल के लिए भक्त उत्सुक रहते हैं. बारह माह यहां भक्तों का आना जाना लगा रहता है. सावन में तो यहां श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है. यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है.

बाहर से मनमोहक अंदर से भी भव्य है मंदिर

यह मंदिर 1984 से पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. 64 फीट ऊंचाई का यह मंदिर जितना बाहर से मनमोहक है, उतना ही अंदर भी भव्य और मनमोहक है. मंदिर परिसर में कई पुरानी शिलालेख विराजित हैं. जनसहयोग से यहां अन्य निर्माण कार्य चल रहे हैं. महाशिवरात्रि पर आज सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. इस अवसर पर भगवान का आकर्षक श्रृंगार भी किया गया.

धार। महाशिवरात्रि के पर्व पर भोले के जयकारे गली-गली में गूंज रहे हैं. मंदिरों में विशेष अनुष्ठान के साथ महादेव का अभिषेक किया जा रहा है. बदनावर में एक बाबा बैजनाथ का मंदिर है. इस 1100 साल पुराने परमारकालीन बैजनाथ महादेव मंदिर को उड़निया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव उड़कर पहुंचे थे.

बाबा बैजनाथ है भक्तिों की आस्था का केंद्र

महाशिवरात्रि में लगता है मेला

ऐसी मान्यता है कि पूर्व काल में कोई तपस्वी अपने तपोबल से इस मंदिर को उड़ाकर ले जा रहे थे, लेकिन सूर्योदय का समय होते ही उन्हें यहां स्थापित करना पड़ा. उड़िया शैली में बने होने के कारण इसे उड़निया मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर के नाम से नगर पंचायत हर साल मेले का आयोजन करती है. शिवरात्रि, श्रावण मास के अलावा भी बड़ी संख्या में यहां दर्शनार्थियों का जमावड़ा रहता है.

सच्चे मन से मांगने पर पूरी होती है मनोकामना

माना जाता है कि इस मंदिर में सभी की मनोकमनाएं पूरी होती हैं. शिव जी के अभिषेक और मनोवांछित फल के लिए भक्त उत्सुक रहते हैं. बारह माह यहां भक्तों का आना जाना लगा रहता है. सावन में तो यहां श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है. यह मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन है.

बाहर से मनमोहक अंदर से भी भव्य है मंदिर

यह मंदिर 1984 से पुरातत्व विभाग के संरक्षण में है. 64 फीट ऊंचाई का यह मंदिर जितना बाहर से मनमोहक है, उतना ही अंदर भी भव्य और मनमोहक है. मंदिर परिसर में कई पुरानी शिलालेख विराजित हैं. जनसहयोग से यहां अन्य निर्माण कार्य चल रहे हैं. महाशिवरात्रि पर आज सुबह से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. इस अवसर पर भगवान का आकर्षक श्रृंगार भी किया गया.

Last Updated : Feb 21, 2020, 1:16 PM IST
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