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स्कूल में नहीं है एक भी शिक्षक, कैसे पढ़ेंगे और कैसे बढ़ेंगे नौनिहाल ?

देवास जिले के स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने के लिए टीचर नहीं हैं. बच्चे स्कूल तो जाते हैं लेकिन बिना पढ़े लिखे ही आ जाते हैं.

Playing with the future of children
बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़
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Published : Jan 29, 2020, 11:54 AM IST

Updated : Jan 29, 2020, 2:36 PM IST

देवास। जिले के स्कूलों में पढ़ाने के लिए टीचर नहीं हैं. यहां के छात्र अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि शिक्षक आते हैं तो पढ़ा देते हैं. नांदोन के सरकारी स्कूल में 3 साल से शिक्षक ही नहीं है. बच्चे पढ़ना भी चाहते हैं और बढ़ना भी लेकिन बिना शिक्षक के ये कैसे संभव होगा. ये बड़ा सवाल है.

बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़

जिले के नांदोन का शासकीय स्कूल शिक्षक विहीन होने से बोर्ड परीक्षा देने वाले सैकड़ों बच्चों का भविष्य बिगड़ता नजर आ रहा हैं. यहां के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा 6 से 8 वीं के 60 से ज्यादा बच्चे 3 किलोमीटर दूरी तय कर डाबरी से नांदोन के मीडिल स्कूल पहुंचते है. फिर भी इन्हें मध्यान्ह भोजन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता, क्योंकि स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नही हैं. जो है वो आते नहीं या पढ़ाते नहीं हैं.

इस साल 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा है. लेकिन अभी तक अंग्रेजी की किताब नहीं खुली है. दूसरे अन्य विषय की पढ़ाई भी ठीक से नहीं हुई है. हमारे स्कूल में पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है, हम अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि टीचर आते हैं तो हमें पढ़ा देते हैं. यहां पर 3 साल से शिक्षक नहीं हैं, हमारी इच्छा आगे पढ़ने की भी है लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है. इस बारे में जब शिक्षक से बात की तो उन्होंने बताया की 18 फरवरी 2016 से प्राथमिक विद्यालय से मिडिल का प्रभारी बनाया है.

देवास। जिले के स्कूलों में पढ़ाने के लिए टीचर नहीं हैं. यहां के छात्र अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि शिक्षक आते हैं तो पढ़ा देते हैं. नांदोन के सरकारी स्कूल में 3 साल से शिक्षक ही नहीं है. बच्चे पढ़ना भी चाहते हैं और बढ़ना भी लेकिन बिना शिक्षक के ये कैसे संभव होगा. ये बड़ा सवाल है.

बच्चों के भविष्य से हो रहा खिलवाड़

जिले के नांदोन का शासकीय स्कूल शिक्षक विहीन होने से बोर्ड परीक्षा देने वाले सैकड़ों बच्चों का भविष्य बिगड़ता नजर आ रहा हैं. यहां के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा 6 से 8 वीं के 60 से ज्यादा बच्चे 3 किलोमीटर दूरी तय कर डाबरी से नांदोन के मीडिल स्कूल पहुंचते है. फिर भी इन्हें मध्यान्ह भोजन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता, क्योंकि स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नही हैं. जो है वो आते नहीं या पढ़ाते नहीं हैं.

इस साल 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा है. लेकिन अभी तक अंग्रेजी की किताब नहीं खुली है. दूसरे अन्य विषय की पढ़ाई भी ठीक से नहीं हुई है. हमारे स्कूल में पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है, हम अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि टीचर आते हैं तो हमें पढ़ा देते हैं. यहां पर 3 साल से शिक्षक नहीं हैं, हमारी इच्छा आगे पढ़ने की भी है लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है. इस बारे में जब शिक्षक से बात की तो उन्होंने बताया की 18 फरवरी 2016 से प्राथमिक विद्यालय से मिडिल का प्रभारी बनाया है.

Intro:स्कूल में पढ़ाने के लिए में टीचर नहीं है।हम अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि टीचर आते हैं तो हमें पढ़ा देते हैं। यहां पर 3 साल से शिक्षक नहीं है, हमारी इच्छा आगे पढ़ने की भी है लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है।Body:देवास- जिले के नांदोन का शासकीय स्कूल शिक्षक विहीन होने से बोर्ड परीक्षा देने वाले सैकड़ो बच्चो का भविष्य बिगड़ता नजर आ रहा हैै। यहां के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा 6 से 8वी के 60 से ज्यादा बच्चे 3 किमी की दूरी तय कर ग्राम डाबरी से नांदोन के मीडिल स्कूल पहुंचते है फिर भी इन्हें मध्यान्ह भोजन के अलावा कुछ हाथ नही लगता। ऐसे में गरीब तबके के लोगो का अपने बच्चों को पढ़ाने का सपना कैसे पूरा होगा?बच्चों ने मीडिया को बताया कि इस बार कक्षा 8 वी बोर्ड परीक्षा है और अब तक अंग्रेजी की किताब नही खुली है। दूसरे अन्य विषय की पढ़ाई भी ठीक से नही हुई है। हमारे स्कूल में पढ़ाने के लिए में टीचर नहीं है।हम अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि टीचर आते हैं तो हमें पढ़ा देते हैं। यहां पर 3 साल से शिक्षक नहीं है, हमारी इच्छा आगे पढ़ने की भी है लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है। इस संबंध में जब शिक्षक से बात की तो उन्होंने बताया की 18 फरवरी 2016 से प्राथमिक विद्यालय से मिडिल का प्रभारी बनाया है। यहाँ स्कूल में विषयवार अतिथि शिक्षक भी नही है। एक अतिथि शिक्षक है जो कि गणित विषय के लिए रखा गया है। जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है मैं प्राइमरी टीचर हूं मैं हिंदी और सामाजिक विज्ञान पढ़ाता हूं जितना मुझे आता है उतना पढ़ा देता हूं यहां पर अंग्रेजी का कोई टीचर नहीं है।(शासन के आदेश अनुसार नांदोन में प्राइमरी स्कूल से एक टीचर को मिडिल में अटैच किया गया और एक शिक्षक गणित का भी है वहां एक अंग्रेजी का पद रिक्त है जो कि कोई व्यक्ति मिल नहीं रहा है दो टीचर है मिडिल का अध्ययन कार्य करा रहे हैं और वे ही अंग्रेजी अपने स्तर से पढ़ाएंगे)

बाईट 01राजेश तिवारी, संकुल शिक्षक

बाईट 02 शिक्षक

बाईट 03 राजेंद्र खत्री (जिला शिक्षा अधिकारीConclusion:नांदोन का शासकीय स्कूल शिक्षक विहीन होने से बोर्ड परीक्षा देने वाले सैकड़ो बच्चो का भविष्य बिगड़ता नजर आ रहा हैै। यहां के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा 6 से 8वी के 60 से ज्यादा बच्चे 3 किमी की दूरी तय कर ग्राम डाबरी से नांदोन के मीडिल स्कूल पहुंचते है फिर भी इन्हें मध्यान्ह भोजन के अलावा कुछ हाथ नही लगता।
Last Updated : Jan 29, 2020, 2:36 PM IST
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