देवास। जिले के स्कूलों में पढ़ाने के लिए टीचर नहीं हैं. यहां के छात्र अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि शिक्षक आते हैं तो पढ़ा देते हैं. नांदोन के सरकारी स्कूल में 3 साल से शिक्षक ही नहीं है. बच्चे पढ़ना भी चाहते हैं और बढ़ना भी लेकिन बिना शिक्षक के ये कैसे संभव होगा. ये बड़ा सवाल है.
जिले के नांदोन का शासकीय स्कूल शिक्षक विहीन होने से बोर्ड परीक्षा देने वाले सैकड़ों बच्चों का भविष्य बिगड़ता नजर आ रहा हैं. यहां के शासकीय मिडिल स्कूल में कक्षा 6 से 8 वीं के 60 से ज्यादा बच्चे 3 किलोमीटर दूरी तय कर डाबरी से नांदोन के मीडिल स्कूल पहुंचते है. फिर भी इन्हें मध्यान्ह भोजन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता, क्योंकि स्कूल में पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नही हैं. जो है वो आते नहीं या पढ़ाते नहीं हैं.
इस साल 8वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा है. लेकिन अभी तक अंग्रेजी की किताब नहीं खुली है. दूसरे अन्य विषय की पढ़ाई भी ठीक से नहीं हुई है. हमारे स्कूल में पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है, हम अपनी इच्छा अनुसार पढ़ लेते हैं या फिर कोई अतिथि टीचर आते हैं तो हमें पढ़ा देते हैं. यहां पर 3 साल से शिक्षक नहीं हैं, हमारी इच्छा आगे पढ़ने की भी है लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं है. इस बारे में जब शिक्षक से बात की तो उन्होंने बताया की 18 फरवरी 2016 से प्राथमिक विद्यालय से मिडिल का प्रभारी बनाया है.