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पानी पर बना दी रंगोली, शिक्षक ने लिखी दुनिया की सबसे लंबी गजल, नोबल पुरस्कार के लिए हो रही चर्चाएं

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Published : Sep 24, 2020, 8:07 AM IST

Updated : Sep 24, 2020, 9:15 AM IST

उम्र हुनर की मोहताज नहीं होती, यही बात साबित की है देवास के शिक्षक राजकुमार चंदन ने. कक्षा 8वीं से अपने हुनर का प्रदर्शन करने वाले शिक्षक राजकुमार अब तक पांच वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके हैं. वहीं कई कलाओं में नायाब प्रदर्शन के लिए उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है.

Rangoli on water
पानी पर रंगोली

देवास। मालवा की मिट्टी के सपूत राजकुमार चंदन तमाम विधाओं में हुनर के लिए दुनिया भर में पहचाने जाते हैं. पेशे से शिक्षक राजकुमार चंदन अपने नाम अब तक पांच विश्व रिकॉर्ड कर चुके हैं. साथ ही कला शिक्षक के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं.

कला, साहित्य, चित्रकारिता और शिक्षक एक साथ किसी में समावेश हो तो निश्चित ही उस शख्सियत में सहजता, सरलता के साथ जुझारूपन, अपनत्व और समाज को दिशा देने का जज्बा उनकी खास पहचान बनता है. ऐसे ही कई कलाओं में पारंगत शिक्षक राजकुमार चंदन द्वारा की गई मिसालों की चर्चा पूरी दुनिया करती है.

पानी पर रंगोली

देवास के शिक्षक राजकुमार चंदन महज 15 बरस की उम्र से ही कला के क्षेत्र में अपना जौहर दिखाने लगे थे. कभी उन्होंने पानी पर चित्रकारी तो कभी पानी पर रंगोली बनाकर सबको अपने हुनर से दंग कर दिया. वहीं उनकी गजलें और किताबें लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं.

दुनिया की सबसे लंबी गजल

शिक्षक राजकुमार ने दुनिया की सबसे लंबी गजल लिखी है. इसके अलावा पानी पर चित्रकारिता, पानी में महाभारत कालीन रंगोली, सबसे कम समय में पुस्तक का लेखन-विमोचन सहित कई नायाब कामों के लिए नायाब पुरस्कारों से वे सम्मानित हो चुके हैं. कड़ी मेहनत के साथ उन्होंने सबसे पहले देवास में ही विश्व की सबसे लंबी लिखी गजल लिखी. महाभारत कालीन विद्या को पानी पर कई बार कोशिश करने के बाद देवास के मीठा तालाब पर इस हजारों साल पुरानी कला रंगोली को बनाने में वे सफल हुए.

8वीं क्लास से भरी उड़ान

शिक्षक राजकुमार जब कक्षा 8वीं में थे, तब से ही उन्होंने अपने हुनर को तराशना और उड़ान भरना शुरु कर दिया था. अब तक वे 19 पुस्तकें लिख अपने नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करा चुके हैं. फिलहाल वे नारायण विद्या मंदिर उत्कृष्ट विद्यालय में अपनी सेवाएं शिक्षक के रूप में दे रहे हैं और साथ-साथ ही अपनी कला की उत्कृष्ट रचनाओं को भी सहेज रहे हैं.

बहुचर्चित हुई किताब

आज के आधुनिक दौर में बहकते युवक-युवतियों को बहकने से बचाने के लिए 'लाडो! बहक ना जाना' नाम की शिक्षक राजकुमार की पुस्तक काफी चर्चित हुई. अब धीरे-धीरे नोबल की ओर बढ़ रहे चंदन अपनी सुगंध से पूरे देश का नाम गौरंवित करने जा रहे हैं. उनकी नई पुस्तक 'स्वर्ग की खोज' जो हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषा में तैयार हुई है, उसे विश्व पटल पर रखकर देश-प्रदेश के साथ मालवा की देवनगरी देवास को गौरवान्वित करने जा रहे हैं.

नोबल पुरस्कार के लिए चर्चा

देवास देश का ऐसा जिला है, जिसने देश को संगीत सम्राट रज्ज्बली खां, पंडित कुमार गंधर्व, लता मंगेश्कर के गुरु अमानत अली खां जैसी हस्तियां इस देश को दी हैं. फिलहाल शिक्षक राजकुमार की विश्व शांति के लिए लिखी गई पुस्तक 'डिस्कवरी ऑफ हेवन' (हिंदी वर्जन- 'स्वर्ग की खोज') के लिए अब उनके नोबेल पुरस्कार की चर्चा हो रही है.

देवास। मालवा की मिट्टी के सपूत राजकुमार चंदन तमाम विधाओं में हुनर के लिए दुनिया भर में पहचाने जाते हैं. पेशे से शिक्षक राजकुमार चंदन अपने नाम अब तक पांच विश्व रिकॉर्ड कर चुके हैं. साथ ही कला शिक्षक के रूप में राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं.

कला, साहित्य, चित्रकारिता और शिक्षक एक साथ किसी में समावेश हो तो निश्चित ही उस शख्सियत में सहजता, सरलता के साथ जुझारूपन, अपनत्व और समाज को दिशा देने का जज्बा उनकी खास पहचान बनता है. ऐसे ही कई कलाओं में पारंगत शिक्षक राजकुमार चंदन द्वारा की गई मिसालों की चर्चा पूरी दुनिया करती है.

पानी पर रंगोली

देवास के शिक्षक राजकुमार चंदन महज 15 बरस की उम्र से ही कला के क्षेत्र में अपना जौहर दिखाने लगे थे. कभी उन्होंने पानी पर चित्रकारी तो कभी पानी पर रंगोली बनाकर सबको अपने हुनर से दंग कर दिया. वहीं उनकी गजलें और किताबें लोगों में बहुत लोकप्रिय हैं.

दुनिया की सबसे लंबी गजल

शिक्षक राजकुमार ने दुनिया की सबसे लंबी गजल लिखी है. इसके अलावा पानी पर चित्रकारिता, पानी में महाभारत कालीन रंगोली, सबसे कम समय में पुस्तक का लेखन-विमोचन सहित कई नायाब कामों के लिए नायाब पुरस्कारों से वे सम्मानित हो चुके हैं. कड़ी मेहनत के साथ उन्होंने सबसे पहले देवास में ही विश्व की सबसे लंबी लिखी गजल लिखी. महाभारत कालीन विद्या को पानी पर कई बार कोशिश करने के बाद देवास के मीठा तालाब पर इस हजारों साल पुरानी कला रंगोली को बनाने में वे सफल हुए.

8वीं क्लास से भरी उड़ान

शिक्षक राजकुमार जब कक्षा 8वीं में थे, तब से ही उन्होंने अपने हुनर को तराशना और उड़ान भरना शुरु कर दिया था. अब तक वे 19 पुस्तकें लिख अपने नाम वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज करा चुके हैं. फिलहाल वे नारायण विद्या मंदिर उत्कृष्ट विद्यालय में अपनी सेवाएं शिक्षक के रूप में दे रहे हैं और साथ-साथ ही अपनी कला की उत्कृष्ट रचनाओं को भी सहेज रहे हैं.

बहुचर्चित हुई किताब

आज के आधुनिक दौर में बहकते युवक-युवतियों को बहकने से बचाने के लिए 'लाडो! बहक ना जाना' नाम की शिक्षक राजकुमार की पुस्तक काफी चर्चित हुई. अब धीरे-धीरे नोबल की ओर बढ़ रहे चंदन अपनी सुगंध से पूरे देश का नाम गौरंवित करने जा रहे हैं. उनकी नई पुस्तक 'स्वर्ग की खोज' जो हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषा में तैयार हुई है, उसे विश्व पटल पर रखकर देश-प्रदेश के साथ मालवा की देवनगरी देवास को गौरवान्वित करने जा रहे हैं.

नोबल पुरस्कार के लिए चर्चा

देवास देश का ऐसा जिला है, जिसने देश को संगीत सम्राट रज्ज्बली खां, पंडित कुमार गंधर्व, लता मंगेश्कर के गुरु अमानत अली खां जैसी हस्तियां इस देश को दी हैं. फिलहाल शिक्षक राजकुमार की विश्व शांति के लिए लिखी गई पुस्तक 'डिस्कवरी ऑफ हेवन' (हिंदी वर्जन- 'स्वर्ग की खोज') के लिए अब उनके नोबेल पुरस्कार की चर्चा हो रही है.

Last Updated : Sep 24, 2020, 9:15 AM IST
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