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नौ दिवसीय पर्युषण पर्व संपन्न, तपस्या पूरा होने पर जैन समाज ने निकाला चल समारोह

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Published : Sep 5, 2019, 1:37 PM IST

नगर में जैन समाज ने निकाला चल समारोह, नौ दिनी उपवास की तपस्या पूरा होने के बाद चल समारोह निकाला गया, जिसमें जैन समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे.

नौ दिवसीय पर्युषण पर्व संपन्न तपस्या पूरा होने पर जैन समाज ने निकाला चल समारोह

देवास। जैन धर्म में पर्युषण पर्व का विशेष महत्व है, पर्युषण के 8 दिनों तक तपस्या की जाती है, जिसके चलते इस दौरान प्रभातफेरी, स्नातक पूजन, प्रतिक्रमण व भक्ति की जाती है. पर्युषण के दौरान तपस्या का बड़ा महत्व है.

नौ दिवसीय पर्युषण पर्व संपन्न तपस्या पूरा होने पर जैन समाज ने निकाला चल समारोह

इसी के चलते नगर के 17 वर्षीय वर्धमान लोड़ा जैन द्वारा नौ उपवास तपस्या किया गया था, जिसके समापन पर वर्धमान लोढ़ा का नगर में वरघोड़ा चल समारोह निकाला गया था, जिसमें समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे.

देवास। जैन धर्म में पर्युषण पर्व का विशेष महत्व है, पर्युषण के 8 दिनों तक तपस्या की जाती है, जिसके चलते इस दौरान प्रभातफेरी, स्नातक पूजन, प्रतिक्रमण व भक्ति की जाती है. पर्युषण के दौरान तपस्या का बड़ा महत्व है.

नौ दिवसीय पर्युषण पर्व संपन्न तपस्या पूरा होने पर जैन समाज ने निकाला चल समारोह

इसी के चलते नगर के 17 वर्षीय वर्धमान लोड़ा जैन द्वारा नौ उपवास तपस्या किया गया था, जिसके समापन पर वर्धमान लोढ़ा का नगर में वरघोड़ा चल समारोह निकाला गया था, जिसमें समाज के लोग बड़ी संख्या में मौजूद रहे.

Intro:बागली (देवास)

नो उपवास की तपस्या पूर्ण होने पर निकाला (वर घोड़ा )चल समारोह

जैन धर्म में पर्युषण पर्व का विशेष महत्व रहता है पर्यूषण के 8 दिनों तक तपस्या की जाती है इस दौरान प्रभातफेरी, स्नातक पूजन, प्रतिक्रमण, भक्ति ,की जाती है पर्यूषण के दौरान तपस्या का बड़ा महत्व रहता है इसे कड़ी में नो उपवास तपस्या नगर के 17 वर्षीय वर्धमान लोड़ा जैन द्वारा की गई तपस्या के समापन पर वर्धमान लोढ़ा का नगर में वरघोड़ा निकाला गया बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित रहेBody:बागली (देवास)

नो उपवास की तपस्या पूर्ण होने पर निकाला (वर घोड़ा)चल समारोह

जैन धर्म में पर्युषण पर्व का विशेष महत्व रहता है पर्यूषण के 8 दिनों तक तपस्या की जाती है इस दौरान प्रभातफेरी, स्नातक पूजन, प्रतिक्रमण, भक्ति ,की जाती है पर्यूषण के दौरान तपस्या का बड़ा महत्व रहता है इसे कड़ी में नो उपवास तपस्या नगर के 17 वर्षीय वर्धमान लोड़ा जैन द्वारा की गई तपस्या के समापन पर वर्धमान लोढ़ा का नगर में वरघोड़ा निकाला गया बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित रहेConclusion:बागली (देवास)

नो उपवास की तपस्या पूर्ण होने पर निकाला (वर घोड़ा) चल समारोह

जैन धर्म में पर्युषण पर्व का विशेष महत्व रहता है पर्यूषण के 8 दिनों तक तपस्या की जाती है इस दौरान प्रभातफेरी, स्नातक पूजन, प्रतिक्रमण, भक्ति ,की जाती है पर्यूषण के दौरान तपस्या का बड़ा महत्व रहता है इसे कड़ी में नो उपवास तपस्या नगर के 17 वर्षीय वर्धमान लोड़ा जैन द्वारा की गई तपस्या के समापन पर वर्धमान लोढ़ा का नगर में वरघोड़ा निकाला गया बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित रहे
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