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खिवनी अभयारण्य को मैदान न बना दे अवैध कटाई, जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान - illegal tree cutting in forest

खातेगांव खिवनी अभ्यारण्य इन दिनों लकड़ी माफिया के निशाने पर है और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जंगल का अस्तित्व खतरे में है. इसमें वन विभाग की लापरवाही साफ तौर पर देखने को मिल रही है.

Continuous cutting of trees in the forest of Khivni Sanctuary
पेड़ों की कटाई
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Published : Jul 14, 2020, 9:18 AM IST

देवास। खातेगांव खिवनी अभ्यारण्य इन दिनों लकड़ी माफिया के निशाने पर है और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जंगल का अस्तित्व खतरे में है. इसमें वन विभाग की लापरवाही साफ तौर पर देखने को मिल रही है. रघुनाथ पूरा बीट के कक्ष क्रमांक 209 में अनगिनत सागौन, पलाश और अन्य तरह के पेड़ों की अवैध कटाई की गई है. वैसे तो खिवनी अभ्यारण्य के लगभग सभी कक्षों के जंगल में हुई पेड़ों की कटाई से इनकार नहीं किया जा सकता. जंगल में कदम-कदम पर कटे पेड़ों के ठूंठ देखने को मिल रहे हैं. जंगल में कई जगह पर ठूंठ के पास लकड़ी के छिलके भी पड़े हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि माफियाओं ने जंगल में ही सिल्लियां बनाई है.

खिवनी अभ्यारण्य देवास और सीहोर जिले में एक बड़े क्षेत्रफल में फैला है. कच्चे रास्ते से लोगों का आना जाना होता है, निवारदी घाट से होकर लोग दौलतपुर तक आना जाना करते हैं. इस बीच निवारदी घाट से करीब 5 किलोमीटर अंदर सागौन और पलाश के सैकड़ो पेड़ों की अवैध कटाई हुई है, जो वन विभाग की लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है. इन दिनों खिवनी अभ्यारण्य के जंगल में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहानी चरितार्थ हो रही है. वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी से जंगल मैदान में तब्दील होता जा रहा है.

एसडीओ का पद रिक्त होने से देवास के उत्पादन विभाग के एसडीओ संतोष शुक्ला को खिवनी अभ्यारण्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो देवास से बैठे- बैठे जंगल की सुरक्षा कर रहे हैं. देवास डीएफओ और सीसीएफ भी कभी कभार खिवनी आते हैं और जंगल में भ्रमण न करके रेस्ट हाउस में पार्टी कर लौट जाते हैं. ऐसे में जंगल की सुरक्षा भगवान भरोसे ही नजर आती है.

खिवनी अभ्यारण्य अन्य जंगलो से बिल्कुल अलग है, यहां टाइगर, तेंदुआ, नील गाय, सियार, हिरण, बंदर, खरगोश, मोर सहित अन्य वन्यजीव रहते हैं. लेकिन लगातार जंगल से हो रही पेड़ों की अवैध कटाई से वन्यजीवों के उपर भी खतरा मंडरा रहा है, जबकि खिवनी अभ्यारण्य के पूर्व में खातेगांव और पश्चिम में कन्नौद रेंज का जंगल लगा हुआ है, बावाजूद इसके सबसे ज्यादा पेड़ों की कटाई खिवनी अभ्यारण्य के जंगल में ही हो रही है.

एक तरफ सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर खिवनी अभयारण्य को पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर रही है, दूसरी ओर उसी जंगल की अवैध कटाई से जंगल का अस्तित्व दांव पर लगा है. अगर इसी तरह से पेड़ों की अवैध कटाई होती रही तो खिवनी अभ्यारण्य को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने से कोई फायदा नहीं होगा.

देवास। खातेगांव खिवनी अभ्यारण्य इन दिनों लकड़ी माफिया के निशाने पर है और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई से जंगल का अस्तित्व खतरे में है. इसमें वन विभाग की लापरवाही साफ तौर पर देखने को मिल रही है. रघुनाथ पूरा बीट के कक्ष क्रमांक 209 में अनगिनत सागौन, पलाश और अन्य तरह के पेड़ों की अवैध कटाई की गई है. वैसे तो खिवनी अभ्यारण्य के लगभग सभी कक्षों के जंगल में हुई पेड़ों की कटाई से इनकार नहीं किया जा सकता. जंगल में कदम-कदम पर कटे पेड़ों के ठूंठ देखने को मिल रहे हैं. जंगल में कई जगह पर ठूंठ के पास लकड़ी के छिलके भी पड़े हैं, जो इस बात का प्रमाण है कि माफियाओं ने जंगल में ही सिल्लियां बनाई है.

खिवनी अभ्यारण्य देवास और सीहोर जिले में एक बड़े क्षेत्रफल में फैला है. कच्चे रास्ते से लोगों का आना जाना होता है, निवारदी घाट से होकर लोग दौलतपुर तक आना जाना करते हैं. इस बीच निवारदी घाट से करीब 5 किलोमीटर अंदर सागौन और पलाश के सैकड़ो पेड़ों की अवैध कटाई हुई है, जो वन विभाग की लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है. इन दिनों खिवनी अभ्यारण्य के जंगल में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहानी चरितार्थ हो रही है. वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी से जंगल मैदान में तब्दील होता जा रहा है.

एसडीओ का पद रिक्त होने से देवास के उत्पादन विभाग के एसडीओ संतोष शुक्ला को खिवनी अभ्यारण्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो देवास से बैठे- बैठे जंगल की सुरक्षा कर रहे हैं. देवास डीएफओ और सीसीएफ भी कभी कभार खिवनी आते हैं और जंगल में भ्रमण न करके रेस्ट हाउस में पार्टी कर लौट जाते हैं. ऐसे में जंगल की सुरक्षा भगवान भरोसे ही नजर आती है.

खिवनी अभ्यारण्य अन्य जंगलो से बिल्कुल अलग है, यहां टाइगर, तेंदुआ, नील गाय, सियार, हिरण, बंदर, खरगोश, मोर सहित अन्य वन्यजीव रहते हैं. लेकिन लगातार जंगल से हो रही पेड़ों की अवैध कटाई से वन्यजीवों के उपर भी खतरा मंडरा रहा है, जबकि खिवनी अभ्यारण्य के पूर्व में खातेगांव और पश्चिम में कन्नौद रेंज का जंगल लगा हुआ है, बावाजूद इसके सबसे ज्यादा पेड़ों की कटाई खिवनी अभ्यारण्य के जंगल में ही हो रही है.

एक तरफ सरकार करोड़ों रूपये खर्च कर खिवनी अभयारण्य को पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर रही है, दूसरी ओर उसी जंगल की अवैध कटाई से जंगल का अस्तित्व दांव पर लगा है. अगर इसी तरह से पेड़ों की अवैध कटाई होती रही तो खिवनी अभ्यारण्य को पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करने से कोई फायदा नहीं होगा.

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