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देवास में लकड़ी माफियाओं के हौसले बुलंद, खिवनी अभ्यारण्य में धड़ल्ले से हो रही सागौन की कटाई

खिवनी अभ्यारण्य में लकड़ी माफियाओं का गिरोह सक्रिय है. जो कीमती पेड़ों को काट रहा है, जिससे जंगल धीरे-धीरे मैदान में तब्दील होता जा रहा है. वहीं वन विभाग पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है.

Illegal harvesting of trees in khivni sanctuary of dewas
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Published : Aug 1, 2019, 3:48 AM IST

देवास। कन्नौद तहसील में आने वाला जिले का एक मात्र खिवनी अभ्यारण्य वन संपदा की दृष्टि से काफी समृद्ध और घना है. सरकार इसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित भी कर रही है. पर यह लकड़ी माफियाओं के हत्थे चढ़ता जा रहा है, जिससे जंगल का अस्तित्व तो खतरे में है. साथ ही वन्यजीवों के जीवन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

खिवनी अभ्यारण्य में धड़ल्ले से हो रही सागौन की कटाई

खिवनी अभ्यारण्य में लगातार लकड़ी माफिया पेट काट रहे हैं, जबकि अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. खिवनी अभ्यारण्य से सटी जामनेर नदी किनारे लगे सागौन के पेड़ अधिक मात्रा में काट लिगए गए हैं, जबकि सड़क किनारे लगे अभ्यारण के पेड़ों को भी धड़लल्ले से काटा जा रहा है. जिससे वन्य प्राणियों भी असुरक्षित हो रहे हैं.

कई पेड़ों पर कुल्हाड़ी के निसान लगे भी लगे हुए हैं, जबकि इस क्षेत्र में आम आदमी का आना जाना प्रतिबंधित है. कुछ ऐसा ही हाल दौलतपुर और सर्कुलर मार्ग के किनारे का है, यहां भी बड़ी संख्या में सागौन के पेड़ों की कटाई हुई है.

वनविभाग सागौन के पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है. अधिकारी कार्रवाई के नाम पर कटे पेड़ों की संख्या गिनने में लगा है. लकड़ी माफिया अभी भी विभाग की पहुंच से दूर हैं. हालांकि अधिकारी दावा कर रहे हैं कि वे सजग हैं और लकड़ी माफियाओं पर उनकी पैनी नजर है.

देवास। कन्नौद तहसील में आने वाला जिले का एक मात्र खिवनी अभ्यारण्य वन संपदा की दृष्टि से काफी समृद्ध और घना है. सरकार इसे पर्यटन की दृष्टि से विकसित भी कर रही है. पर यह लकड़ी माफियाओं के हत्थे चढ़ता जा रहा है, जिससे जंगल का अस्तित्व तो खतरे में है. साथ ही वन्यजीवों के जीवन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं.

खिवनी अभ्यारण्य में धड़ल्ले से हो रही सागौन की कटाई

खिवनी अभ्यारण्य में लगातार लकड़ी माफिया पेट काट रहे हैं, जबकि अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं. खिवनी अभ्यारण्य से सटी जामनेर नदी किनारे लगे सागौन के पेड़ अधिक मात्रा में काट लिगए गए हैं, जबकि सड़क किनारे लगे अभ्यारण के पेड़ों को भी धड़लल्ले से काटा जा रहा है. जिससे वन्य प्राणियों भी असुरक्षित हो रहे हैं.

कई पेड़ों पर कुल्हाड़ी के निसान लगे भी लगे हुए हैं, जबकि इस क्षेत्र में आम आदमी का आना जाना प्रतिबंधित है. कुछ ऐसा ही हाल दौलतपुर और सर्कुलर मार्ग के किनारे का है, यहां भी बड़ी संख्या में सागौन के पेड़ों की कटाई हुई है.

वनविभाग सागौन के पेड़ों की कटाई पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है. अधिकारी कार्रवाई के नाम पर कटे पेड़ों की संख्या गिनने में लगा है. लकड़ी माफिया अभी भी विभाग की पहुंच से दूर हैं. हालांकि अधिकारी दावा कर रहे हैं कि वे सजग हैं और लकड़ी माफियाओं पर उनकी पैनी नजर है.

Intro:खिवनी अभ्यारण्य में धड़ल्ले से हो रही है पेड़ो की अवैध कटाई

खातेगांव। देवास जिले का एक मात्र अभ्यारण्य कन्नौद तहसील में स्थित है। खिवनी अभ्यारण्य का जंगल वन संपदा की दृष्टि से काफी समृद्ध और घना माना जाता है। यह जंगल वन्यजीवों का घर भी कहा जाता है। वन्यजीवों के निवासरत होने के कारण यह जंगल अन्य सामान्य जंगल से खास है। सरकार द्वारा खिवनी अभ्यारण्य को पर्यटन की दृष्टि से विकसित भी किया जा रहा है,
लेकिन यह जंगल में साल के 12 महीने ही लकड़ी माफिया के निशाने पर बना रहता है। जंगल दिन प्रतिदिन घना जंगल मैदान में बदलता जा रहा है। जिससे जंगल का अस्तित्व तो खतरे में है ही साथ ही वन्यजीवों के जीवन पर भी संकट के बादल मंडरा रहे है। इसे जिम्मेदारों की अनदेखी कहे या सांठगांठ। जिसके चलते लकड़ी माफिया अवैध गतिविधियो को अंजाम देने में कोई कसर नही छोड़ रहे है।



Body:यहाँ कक्ष क्रमांक 203 से विश्राम गृह से रिछिखो गेट तक स्थित है। इसमें जामनेर नदी किनारे एवं मार्ग के आसपास सागवान के पेड़ों की जमकर कटाई हुई है। जबकि इस क्षेत्र में आम आदमी का आवागमन प्रतिबंधित है। कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के अभयारण्य में प्रवेश नहीं कर सकता है। इसके बावजूद कई पेड़ मार्ग के दोनों ओर कटे हुए हैं। मानो लकड़ी माफिया सागवान के पेड़ों को अपनी निजी फसल समझकर काट रहे हो। ओर कई पेड़ो पर कुल्हाड़ी से घावटी भी लगाई हुई है। जिम्मेदारों ने ठूंठों पर नंबर अंकित करके अपने काम को इतिश्री कर दिया।

इसी प्रकार कक्ष क्रमांक 208 में भी बड़ी संख्या में सागवान के पेड़ों की अवैध कटाई हुई है। यह कक्ष भी रेस्ट हॉउस के पास जामनेर नदी से लगा हुआ है। इसमें दौलतपुर एवं सर्कुलर मार्ग के किनारे बड़ी संख्या में सागवान के पेड़ों की अवैध कटाई हुई है।
एक स्थान पर खड़े होकर कदम-कदम पर ठूँठ आसानी से गिने जा सकते है।
वन अमला सागवान के पेड़ों की अवैध कटाई पर अंकुश लगाने में नाकाम साबित हो रहा है।
ऐसे में सरकार द्वारा खिवनी को नेशनल पार्क बनाने की मंशा पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है। यदि जंगल ही नही बचेगा तो वन्यजीव दूसरे जंगल की और रुख करेंगे।

पेड़ काटकर काम की लकड़ी ले जाते हैं

लकड़ी माफिया जंगल मे पेड़ काटकर घण्टो सिल्लियों बनाते है। और काम की लकड़ी अपने साथ ले जाते हैं। अभयारण्य क्षेत्र वन्य प्राणियों के लिए संरक्षित क्षेत्र है। लेकिन लगातार वनों की कटाई से वन्य प्राणियों का जीवन भी असुरक्षित है। इसमें प्रवेश करने के लिए नंदाडाई गेट एवं रिछिखो गेट के साथ ही सीहोर जिले में दौलतपुर गेट लगा हुआ है। कोई भी वाहन चालक इन गेटों से बचकर नहीं निकलता। इसके बावजूद आरक्षित वन क्षेत्र में धड़ल्ले से सागवान के पेड़ों की कटाई जारी है।

Conclusion: (हमारा स्टाफ सुरक्षा में लगा हुआ है, किसी आदमी की कोई मिलीभगत नहीं है। दौलतपुर वाले समूह में लकड़ी काटने आते हैं। पिछले दिनों कार्रवाई के दौरान एक मोटरसाइकिल जब्त भी की गई। हमारे कर्मचारी लगे हुए हैं लेकिन निगाह बचाकर इधर उधर से कहीं से जंगल में घुस जाते हैं और लकड़ियां काट देते हैं।
--पीसी दायमा, अधीक्षक खिवनी अभ्यारण्य कन्नौद(देवास)

बाईट- पीसी दायमा, अधीक्षक खिवनी अभ्यारण्य कन्नौद
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