देवास। बलराम तालाब योजना में गड़बड़ी के मामले में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ ने दो केस दर्ज किए हैं. गड़बड़ी का ये मामला साल 2011 से 2015 के बीच का है. इसमें कृषि विभाग के अफसरों को आरोपी बनाया गया है. इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर ने भी जांच करवाई थी और इस गड़बड़ी को सही पाया था. पूरे मामले में लगभग दो करोड़ 92 लाख रुपए से अधिक का भ्रष्टाचार हुआ है.
बलराम तालाब योजना में घोटाला-
लघु एवं सीमांत किसानों के हित में सिंचाई व्यवस्था और वर्षा के जल के संचय हेतु मध्यप्रदेश शासन द्वारा बलराम तालाब योजना का प्रारंभ साल 2010 में किया गया था. बलराम तालाब समूचे देश में प्रसिद्ध हुए थे, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी 'मन की बात' कार्यक्रम में इसका उल्लेख कर इसकी तारीफ की थी. बलराम तालाब योजना अंतर्गत देवास जिले में साल 2011 से 2015 के बीच 2037 बलराम तालाबों के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की गई एवं प्रत्येक बलराम तालाब पर न्यूनतम 80 हजार रूपए और अधिकतम एक लाख रूपए अनुदान राशि हितग्राहियों के लिए स्वीकृत की गई. बलराम तालाब निर्माण का कार्य एवं पर्यवेक्षण कृषि विभाग एवं भूमि संरक्षण विभाग के अधिकारियों को सौंपा गया था. बलराम तालाब निर्माण के दौरान शासन स्तर पर शिकायत होने पर तत्कालीन अपर सचिव सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा कलेक्टर देवास को बलराम तालाबों के निर्माण में हुई अनियमितता की जांच हेतु आदेशित किया गया था.
कलेक्टर ने कराई जांच-
देवास कलेक्टर द्वारा जिले के विभिन्न विकासखंडों में निर्मित कुल 2037 तालाबों का भौतिक सत्यापन कराया गया. जांच दल द्वारा विकासखंड टोकखुर्द, सोनकच्छ व देवास में निर्मित बलराम तालाबों का भौतिक सत्यापन किया गया. जिसमें कुल 361 तालाब मौके पर निर्मित नहीं पाए गए. कलेक्टर देवास द्वारा जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर अपर सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मध्यप्रदेश भोपाल के द्वारा आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में प्राथमिक जांच दर्ज करवाई गई. आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई उज्जैन के द्वारा मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन किया गया.
घोटाले के इन किरदाराें पर नामजद केस
इस घोटाले में विजय अग्रवाल, कृषि विभाग जिला देवास के तत्कालीन उपसंचालक, त्रिलोकचंद्र छावनिया, तत्कालीन सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी, अमृत सिंह यादव, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी, सहदेव गुजरे, तत्कालीन कृषि विस्तार अधिकारी, कैलाश चौहान, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी, बबलू पुत्र बुद्धराम शाक्य, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी, आबिद अली, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी, तेजसिंह ठाकुर, तत्कालीन कृषि विकास अधिकारी, दुर्गेश नंदनी उईके, तत्कालीन भूमि संरक्षण सर्वे अधिकारी मुख्य किरदार हैं. इसके अलावा कृषि विभाग देवास के तत्कालीन अधिकारी व अन्य कर्मचारी तथा विकासखंड टोकखुर्द, देवास व सोनकच्छ के हितग्राहियों द्वारा षडयंत्रपूर्वक अनुदान की आर्थिक क्षति शासन को पहुंचाई गई.