दतिया। एमपी विधानसभा चुनाव के लिए 17 नवंबर को मतदान हो चुके हैं. अब 3 दिसंबर को परिणाम का इंतजार है. दतिया सीट से प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा चुनावी मैदान में हैं. नरोत्तम मिश्रा का मुकाबला कांग्रेस के राजेंद्र भारती से है. कहा जा रहा है कि यहां नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं. दोनों प्रत्याशियों में कड़ी टक्कर पहले भी देखी गई है. पिछले बार भी दोनों के बीच नजदीकी मुकाबला था. अब सभी की नजरें नतीजों पर है.
दतिया विधानसभा क्षेत्र की विशेषताएं: मध्यप्रदेश की 230 विधानसभाओं में जिले के तीन विधानसभा क्षेत्रों में से एक दतिया विधानसभा क्षेत्र है. शहर में मां पीताम्बर पीठ है, जो विश्वविख्यात है और देश विदेश तक भक्तों की आस्था का केंद्र है. तमाम फिल्मी कलाकार, राजनेता यहां विशेष पूजा-अर्चना के लिए आते हैं. महाकाल लोक की तरह मां पीतांबरा माई कॉरिडोर इसके साथ दतिया मेडिकल कॉलेज, एयरपोर्ट बड़ी उपलब्धि एरई शुगर मिल की वजह से पूरे देश में गुड़ की मंडी बना दतिया क्षेत्र, मेडिकल, फ़िशरीज़ वर्बेटिम कॉलेज की वजह से उभरते एजुकेशन हब की पहचान.
विधानसभा सीट के सियासी हालात: साल 1990 में पहली बार डबरा से विधानसभा चुनाव लड़कर विधायक बने डॉ नरोत्तम मिश्रा को लेकर उस दौर में किसी ने शायद ही सोचा होगा कि कैसे यह भारतीय जानता युवा मोर्चा का प्रदेश कार्यसमिति सदस्य एक दिन प्रदेश के टॉप लीडर्स में से एक होगा. गृह मंत्री और कानून मंत्री बनेगा. मध्यप्रदेश के वर्तमान गृह मंत्री ने पहला चुनाव ग्वालियर की डबरा विधानसभा से लड़ा था और फिर 1998, 2003 यहां से तीन बार विधायक चुने जाने के बाद वे चौथा विधानसभा चुनाव 2008 में अपने गृह जिले से दतिया विधानसभा सीट पर लड़े और जीते भी. इसके बाद से यहां अब तक किसी दूसरे नेता ने जीत दर्ज नहीं कराई है. दतिया सीट पर लगातार तीन बार चुने जाने का रिकॉर्ड भी नरोत्तम मिश्रा के नाम पर है.
हार बार कांग्रेस को मिलती है हार: वैसे तो 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन दतिया सीट की जानता का भरोसा अपने विधायक पर कायम था. यहां पूर्व विधायक राजेन्द्र भारती कांग्रेस से चुनाव लड़े. असल में वे लगातार तीसरी बार नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे, लेकिन उन्हें हर बार ही शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में दतिया में कांग्रेस या किसी अन्य दल के लिए चुनाव जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है. जिसकी वजह है स्थानीय विधायक का जनता से सीधा जुड़ाव और क्षेत्र में विकास. मंत्री के आगे क्षेत्रवासियों की किसी भी समस्या का निदान तुरंत होता है. शहरी और ग्रामीण इलाको में बढ़िया रोड स्ट्रक्चर, नई-नई सरकारी बिल्डिंग, मेडिकल, लॉ, वेटनेरी कॉलेज ने क्षेत्र की शान बढ़ा दी. विकास की गंगा बह रही है, नाराजगी की वजह नहीं है तो और क्या चाहिए किसी और से उम्मीद क्या लगाना ये सोच धीरे धीरे दतिया विधानसभा क्षेत्र के वोटरों में घर कर गई है.
कांग्रेस को मिल सकता है फायदा: कांग्रेस के पास फिलहाल राजेंद्र भारती के अलावा कोई बड़ा नाम नहीं है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में क्षेत्र में दुष्कर्म, अवैध हथियार, चोरी, जुआ फड़ जैसे अपराधों से लोग परेशान है. वहीं रेत के अवैध कारोबार में लिप्त होने के आरोप भी विधायक पर लगते रहे हैं, लेकिन कभी कोई खुलकर सामने नहीं आया. इसके साथ-साथ बीजेपी की नीतियों के खिलाफ बढ़ रहा लोगों का गुस्सा खास कर 2020 में जनादेश खिलाफ जाकर जिस तरह बीजेपी दोबारा सत्ता में आयी. उसे देखते हुए प्रदेश में कांग्रेस मजबूत है और सरकार बनाने में नरोत्तम मिश्रा की सहभागिता ने उनके खिलाफ जानता में अंदरूनी रोष भी पैदा किया है. जिसका फायदा इस बार कांग्रेस को दतिया सीट पर भी मिल सकता है, क्योंकि बीते तीन चुनाव में दतिया में नरोत्तम बनाम भारती के मुकाबले में जीत का अंतर भी लगातार कम हो रहा है. पहले बार चुनाव मे ये अंतर 11 हजार से अधिक वोट का था, जबकि 2018 में यही अंतर महज करीब 2656 वोट का था. ऐसे में इस बार जनता किस ओर झुकेगी. फिलहाल दोनों ही दिग्गज पार्टियों के लिए कहना मुश्किल है, लेकिन जनता के दिलों तक पहुंचने के लिये दोनों ही दिग्गज मैदान में नजर आने लगे हैं.
विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: आंकड़ों में बात अगर दतिया विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में दतिया विधानसभा क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 13 हजार 169 मतदाता हैं. जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 113052 और महिला मतदाता 100100 हैं. साथ ही 17 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में वोट करने का अधिकार रखते हैं.
बीते 10 वर्षों से दतिया विधानसभा सीट पर काबिज मंत्री नरोत्तम मिश्रा को 2018 में भी दतिया की जनता ने तीसरी बार जिताकर बीजेपी से विधायक चुना था. उन्हें इस चुनाव में 72,209 वोट मिले थे, जो कुल डाले गये मतों का 49%था. जबकि उनके प्रतिद्वंदी रहे कांग्रेस प्रत्याशी पूर्व विधायक राजेंद्र भारती को 69,553 मत हासिल हुए थे. इनका मत प्रतिशत 47.20% था. इस तरह इस चुनाव में नरोत्तम मिश्रा 2656 वोट के अंतर से एक बार फिर कांग्रेस प्रत्याशी भारती राजेंद्र को हरा कर विधायक चुने गए.
विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: 2013 का विधानसभा निर्वाचन दतिया के लिए ऐसा चुनाव था, जिसमें जीते और निकटतम प्रत्याशी के अतिरिक्त चुनाव लड़े अन्य सभी प्रत्याशियों की जमानत तक जब्त हो गई थी. मोदी लहर में जानता ने इस चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी नरोत्तम मिश्रा को लगातार दूसरी बार विधायक चुना था. उन्हें 2013 के विधानसभा चुनाव में 55,997 वोट मिले थे, जो कुल वोट का 43.65% मत प्रतिशत था. वहीं उनके खिलाफ बसपा छोड़ कर कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े पूर्व विधायक राजेंद्र भारती को जनता ने 34489 वोट दिये थे. इसके चलते बीजेपी के जीते प्रत्याशी डॉ नरोत्तम मिश्रा ने इस चुनाव में कांग्रेस के भारती राजेंद्र को 21508 वोट से हराया था. मिश्रा लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए.
विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़े: विधानसभा के लिए 2008 में हुए आम चुनाव में दतिया में पंद्रह वर्षों का वनवास काट चुकी भारतीय जानता पार्टी ने बतौर पार्टी प्रत्याशी दतिया विधानसभा सीट पर तत्कालीन डबरा विधायक और तत्कालीन राज्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा को टिकट दिया था. दतिया की जानता ने भी भरोसा जताया और दतिया सीट पर पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े मिश्रा को 34,489 वोट मिले. वहीं तत्कालीन विधायक और बसपा प्रत्याशी राजेंद्र भारती निकटम प्रतिद्वंदी रहे थे. उन्हें इन चुनाव में 23,256 मत हासिल हुए थे. इस चुनाव में जीत का अंतर 11233 वोट से था.
क्षेत्र के स्थानीय स्थानीय मुद्दे: गृह मंत्री का गृह जिला है दतिया इसी विधानसभा सीट से वे विधायक हैं, लेकिन स्थानीय तौर पर कुछ समस्याएं आज भी बरकरार हैं. शहरी क्षेत्र में पेयजल समस्या और अतिक्रमण मुख्य परेशानी है. ग्रामीण क्षेत्रों में जुआ सट्टा पर रोक लगाने की नाकामी है. जिसकी वजह से युवा पीढ़ी और गरीब वर्ग का घर बर्बाद हो रहा है. एक और मुख्य समस्या किसान की है. जिनकी लगातार मांग है कि खेती कि लिए साल में दो बार पानी नहर से पानी मिलना चाहिए. इसके साथ साथ क्षेत्र में दुष्कर्म जैसी वारदात और चार पहिया वाहनों की चोरी की समस्या आम होती जा रही है.