महाशिवरात्रि 2023। माता गौरी और महादेव के विवाह के पर्व महाशिवरात्रि की पावन घड़ी आ चुकी है. शनिवार की सुबह से और कहीं-कहीं तो रात्रि में 2 बजे से ही शिवालयों में बम-बम भोले का उद्घोष शुरू हो जाएगा. इस दिन छोटे से गांव से लेकर देश के सभी 12 ज्योर्तिलिंग में महादेव की पूजा-अर्चना और अभिषेक करोड़ों लोगों द्वारा किया जाता. इसके साथ ही पूरा हिंदु समाज शिवमय हो जाता है. महादेव अपने भक्तों से बहुत जल्द प्रसन्न भी हो जाते हैं. इस दिन शिव-पार्वती के भक्त अपनी-अपनी सुविधानुसार व्रत भी रखते हैं. आइये जानते हैं कि इस दिन व्रत रखने के नियम क्या हैं और क्या-क्या आहार आप ले सकते हैं. इस व्रत को शुगर के मरीज भी आसानी से रख सकते हैं. जैसा कि महादेव को उनके भक्त भोले भंडारी के नाम से भी पुकारते हैं. उसी तरह उनकी पूजा और व्रत आहार के लिए बहुत सख्त नियम नहीं हैं. इसे सभी श्रद्धालु अपनी सुविधानुसार रख सकते हैं और आहार भी ले सकते हैं.
इस तरह करें व्रत के दिन की शुरुआतः सर्वप्रथम शिवभक्त स्नान करके नए या शुद्ध वस्त्र पहने. इसके बाद पूजा का थाल सजाएं. इसमें महादेव को प्रसन्न करने वाली समस्त सामाग्री रखें. इसमें फूल, बेलपत्र, भांग, धतूरा, अकोड़ा, पांच प्रकार फल, चंदन, पीला और लाल, काले तिल, चावल तथा कुछ मिष्ठान. इसके अलावा अपनी सुविधानुसार अभिषेक के लिए शुद्ध जल या गंगाजल, गाय का दुग्ध, गाय का देसी घी, पंचामृत, शहद, दही, ठंडाई, गन्ने का रस या फिर नारियल का शुद्ध पानी. इसके साथ माता पार्वती के लिए सुहाग की सम्पूर्ण सामाग्री लेकर जाएं. अगर पति-पत्नी एकसाथ शिवालय जाते हैं. उन्हें उपरोक्त बातों का विशेष ध्यान रखना पड़ेगा. पूजा-अर्चना और अभिषेक के बाद मां पार्वती और महादेव को अपनी क्षमता अनुसार वस्त्र व दक्षिणा चढ़ाएं. इसके बाद आरती के समय अगर पति-पत्नी हों तो एक साथ करें अन्यथा समूह में करें. पूजा के साथ ही इस व्रत की शुरुआत हो जाती है.
कुछ भक्त रखतें हैं निर्जला व्रत: महाशिवरात्रि के दिन कुछ ऐसे भक्त भी होते हैं जो निर्जला व्रत भी रखतें हैं. वह सुबह से लेकर शाम तक न कुछ खाते हैं और न कुछ पीते हैं. पारण के समय या तो वह सिर्फ गाय के दुग्ध से व्रत का पारण करते हैं या फिर फलाहार करके. इसके अलावा कुछ श्रद्धालु ऐसे भी होते हैं कि वह दिनभर लौंग-इलायची खाकर रहते हैं और रात को व्रत का पारण करते हैं. भोले भंडारी की तरह उनके भक्त भी उनकी ही तरह अपनी धुन में मस्त रहते हैं. बाबा बड़े दयालु हैं इसलिए भक्त जिस तरह भी चाहे उनकी पूजा और उनका व्रत करे. उसकी श्रद्धा से प्रसन्न होकर बोले बाबा अपने भक्त की त्रुटियों को भी नजरअंदाज कर देते हैं. इसीलिए कुछ भक्त व्रत के दिन फलाहार करते हैं तो कुछ शाम को पारण के समय पूरा आहार लेते हैं.
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फलाहार और क्या लें आहारः शिव भक्त जो फलाहार करते हैं. वह सुबह से ही चाय के बाद फलाहार शुरू कर देते हैं. वह अपनी क्षमतानुसार व्रत में खाते और रात में भी फलाहार से व्रत का पारण करते हैं. इसी तरह जो शिवभक्त फलाहार नहीं लेते हैं. वह दो तरह से आहार ले सकते हैं. एक तो बगैर नमक के चाय के साथ-साथ सिंघाड़े के आटे की पकोड़ी, जीरा आलू फ्राइ लेते हैं. इसके बाद रात्रि में व्रत के पारण के समय कुछ भक्त पूरा आहार लेते हैं वह भी बगैर नमक का. जबकि कुछ सेंधा नमक के साथ सम्पूर्ण आहार लेते हैं. सेंधा नमक को कुछ लोग व्रत वाला नमक भी कहते हैं. फलाहार वाले भक्त अपनी क्षमतानुसार बादाम, काजू, मखाने, चिरौंजी की खीर भी बनाकर खा सकते हैं. इसके अलावा वह साबूदाने वाली खीर भी ले सकते हैं. जबकि सेंधा नमक का सेवन वाले करने वाले व्रती भक्त इस खीर के साथ साबूदाने वाली खिचड़ी या फिर उसी साबूदाने को कुट्टू या सिंघाड़े के आटे के साथ मिलाकर पकोड़ी भी बनाकर खा सकते हैं. रात में व्रत पारण के समय अपनी सुविधानुसार सेंधा नमक का इस्तेमाल करते सब्जी के साथ कुट्टू और सिंघाड़े के आटे की पूड़ी या देसी घी में बनी रोटी खा सकते हैं. भोलेनाथ के व्रत के नियम में सख्ती नहीं होती तो इसलिए आप दिन में दो-तीन बार भी नमक का इस्तेमाल करके आहार ले सकते हैं.
शुगर पेशेंट के लिए भी आसान है यह व्रत: भोले भंडारी का व्रत रखना इतना आसान है कि इसे शुगर पेशेंट भी रख सकते हैं. वह अपनी सुविधानुसार दिन में दो-तीन बार फलाहार या अन्य चीजें ले सकते हैं. फलाहार के समय ध्यान रखे कि अंगूर, केला से थोड़ा दूर रहें. सेव, अमरूद और पपीता का सेवन आसानी से कर सकते हैं. उसमें सेंधा नमक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा ड्राई फूड्स का भी सेवन कर सकते हैं. इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि मेवे की खीर अगर खाएं तो उसमें चीनी की जगह छुआरा या फिर किशमिश का इस्तेमाल करें. रात्रि में व्रत पारण के समय भी साबूदाने की खिचड़ी या फिर कुट्टू और सिंघाड़े के आटे की रोटी खाएं. शुगर पेशेंट की सेहत के लिए डीप फ्राइ पूड़ी नुकसानदायक साबित हो सकती है.