दतिया। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां एक ओर लाडली बहना जैसी योजनाएं चलाकर महिलाओं को खुश करने में लगे हुए हैं, वहीं एक प्रसूता अपने होने वाली संतान को जन्म देने के पहले तड़पती हुई नजर आ रही है. जिस स्वास्थ्य केंद्र में उसकी डिलीवरी होनी है, वहां स्टाफ तक मौजूद नहीं है. महिलाओं को लेकर सरकार बड़ी-बड़ी घोषणाएं करती है, बड़े-बड़े दावे सरकार के द्वारा किए जाते हैं, लेकिन ये नजारा कुछ और बता रहा है. यहां प्रसूताओं को किस तरह तड़पना पड़ रहा है, यह बात आप एक वायरल वीडियो के माध्यम से देख सकते हैं.
सिंगल स्टाफ 24 घंटे नहीं रह सकता: यह वीडियो मध्यप्रदेश के दतिया जिले की भांडेर तहसील के सालोन बी स्वास्थ्य केंद्र का है. इस केंद्र में प्रसव केंद्र है, जहां क्षेत्र की महिलाएं डिलीवरी के लिए आती हैं. प्रसव केंद्र वह जगह है, जहां 24 घंटे चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध रहना चाहिए, क्योंकि डिलीवरी का कोई समय नहीं होता. कब किस महिला को प्रसव पीड़ा हो जाए और उसे चिकित्सालय लाना पड़े ये नहीं पता. जब उस महिला को प्रसव केंद्र लाया जाए उस वक्त चिकित्सक स्टाफ मौजूद न हो ऐसे में कोई अनहोनी हो जाए तो क्या होगा. इस मामले को लेकर जब हमने जिले के चिकित्सा विभाग के मुखिया डॉ. राकेश कुरेले से बात की तो उन्होंने बड़ा ही अजीब बयान दिया.
डॉ का बेतुका तर्क: डॉ. राकेश कुरेले के बयान से आप खुद ही समझ सकते हैं कि इनकी महिलाओं के प्रति कितनी संवेदनाएं हैं और यह महिलाओं के प्रति कितने संवेदनशील हैं. एक मां प्रसव पीड़ा से कराह रही है और डॉक्टर साहब कह रहे हैं की स्टाफ खाना खाने गया होगा. प्रसव काल वो समय है जब एक जच्चा-बच्चा जीवन मौत के बीच संघर्ष कर रहा होता है. यहां डॉक्टर साहब कह रहे हैं कि "सिंगल स्टाफ 24 घंटे नहीं रह सकता."
प्रदेश की हकीकत: अब सबसे बड़ा सवाल ये उठता है कि यहां जब सिंगल स्टाफ है तो वहां प्रसव केंद्र बनाया ही क्यों गया? दूसरा बड़ा प्रश्न यह निकल कर आता है कि अगर वहां स्टाफ सिंगल है तो वहां यह बात अंकित क्यों नहीं की गई. वहां लिखा क्यों नहीं गया कि स्टाफ न होने पर दूसरी जगह जाएं. तीसरा एक और बड़ा प्रश्न यह है कि जब आपने वहां प्रसव की सुविधा उपलब्ध कराई है तो स्टाफ को वहीं रहने की व्यवस्था क्यों नहीं की गई. शिवराज सिंह चौहान जो मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और बहनों के भाई होने के बड़े-बड़े दावे करते हैं, उनके प्रदेश की हकीकत ये है.
सीएमएचओ साहब का बयान: दतिया जिला चिकित्सालय में सीएमओ साहब की नाक के नीचे मरीज ट्रामा सेंटर में दर्द से कराह रहे थे और चिकित्सा स्टाफ नृत्य करने में लगा हुआ था. एक बार फिर भांडेर के सालोन बी के मामले में सीएमएचओ साहब का जो बयान है वह बड़ा ही अजीबोगरीब है और मानवता से परे है. इंसानियत इस पूरे बयान में कहीं दिखाई नहीं दे रही है. यदि कहा जाए तो अपने स्टाफ को बचाने के लिए सीएमएचओ साहब के इस बयान ने इंसानियत की मर्यादा ही तार-तार कर दी है. डॉक्टर साहब यह भूल रहे हैं कि लोग आपको पृथ्वी पर भगवान के दूसरे रूप में देखते हैं.
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मरीज चिकित्सक में भगवान का भाव देखता है: स्वास्थ्य को लेकर जहां प्रदेश सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. केंद्र सरकार और राज्य सरकार तमाम योजनाएं स्वास्थ्य को लेकर बना रही हैं, वहीं शासन के ही नुमाइंदे स्वास्थ्य सुविधाओं की धज्जियां उड़ा रहे हैं. दतिया के सालोन बी का इन दिनों सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. वीडियो दतिया जिले की भांडेर तहसील के सालोन बी के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का है. वीडियो में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सालोन बी में 2 प्रसूताएं प्रसव के दर्द से कराह रहीं हैं. मगर अस्पताल में एक स्वीपर महिला के अलावा कोई कर्मचारी मौजूद नहीं है. वीडियो को देखकर लग रहा है जैसे इंसानियत तो पूरी तरह नष्ट हो गई हो.
स्टाफ खाना खाने गया होगा: इस बात को लेकर जब जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से बात की गई तो उनकी बात सुनकर हैरान रह गए. सीएमएचओ साहब का बयान हैरान कर देने लायक ही है. जब उनसे पूछा गया कि प्रसूता तड़प रही थी और अस्पताल में स्टाफ नहीं था तो उन्होंने कहा "वह एकल चिकित्सकीय अस्पताल है, स्टाफ खाना खाने गया होगा लौट के आकर प्रसूता को देख लिया होगा." यानी बयान से साफ जाहिर होता है कि सीएमएचओ साहब को इस बात का कोई अफसोस नहीं है की एक चिकित्सक और मरीज में क्या भाव होता है. एक मरीज चिकित्सक में भगवान का भाव देखता है, लेकिन सीएमएचओ साहब इस बात से बिल्कुल बेपरवाह दिखाई दे रहे हैं.