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युवा व्यापारी संघ के दो अध्यक्ष, विवाद कलेक्टर तक पहुंचा - Young Merchants Association

वर्चस्व की लड़ाई को लेकर युवा व्यापारी संघ में अब दो नए अध्यक्ष बन गए हैं. दोनों ही संघ अपना दावा पेश कर रहे हैं. लिहाजा मामला पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर तक पहुंच गया है.

Two presidents of the Young Merchants Association
युवा व्यापारी संघ के दो अध्यक्ष
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Published : Mar 13, 2021, 7:44 PM IST

दमोह। व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए बनाए गए युवा व्यापारी संघ में अब दो फाड़ हो गए हैं. व्यापारी संघ में मतभेद अब मनभेद में बदल गया है. बता दें कि संघ पर अपना-अपना दावा पेश करने और अपने वर्चस्व के लिए अब दो नए अध्यक्ष निर्वाचित किए गए हैं.

दरअसल बीते 8 मार्च को व्यापारी संघ के एक गुट ने बैठक कर संरक्षक मंडल और अन्य व्यापारियों की सहमति से नरेंद्र जैन को अपना निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित किया था, जिसके बाद नए अध्यक्ष ने प्रेस वार्ता आयोजित की. प्रेस वार्ता में सभी व्यापारियों को साथ लेकर चलने का आश्वासन दिया गया, और दूसरे गुट पर आरोप लगाया था कि उनके द्वारा गलत तरीके से छोटे व्यापारियों पर दबाव डालकर 400 रुपए की रसीद सदस्यता शुल्क के रूप में काटी जा रही है. जबकि उन्हें यह अधिकार नहीं है. इस मामले के बाद दूसरे ग्रुप के अध्यक्ष संजय यादव ने बीती रात्रि में नए अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया के बारे में बताया. जानकारी के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष नरेंद्र जैन अपने समर्थकों और साथियों के साथ कलेक्टर तरुण राठी और पुलिस अधीक्षक हेमंत चौहान से मिलकर दूसरे गुट की निर्वाचन प्रक्रिया रोकने का निवेदन किया, जिसके बाद कलेक्टर ने उन्हें जांच के बाद फैसला लेने का आश्वासन दिया.

दूसरे गुट में लखन बने अध्यक्ष

दूसरे गुट के निर्विरोध अध्यक्ष लखन केसरवानी को निर्वाचित किया गया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में व्यापारी महासंघ एवं युवा व्यापारी संघ के लोग भी शामिल हुए. निर्वाचन के बाद व्यापारियों ने एक विशाल जुलूस निकाला और घंटाघर चौक पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपने गुट को ही असली संघ बताया.

क्यों हुए दो फाड़ ?

करीब 10 दिन पहले दोनों गुट की एक बैठक हुई थी, जिसमें दूसरे गुट के संजय यादव ने नरेंद्र जैन के नाम का प्रस्ताव रखा था और अपना समर्थन भी दिया था. लेकिन संजय यादव ने शर्त रखी थी कि संरक्षक मंडल से कुछ लोगों को अलग कर दिया जाए और उनकी पसंद के लोगों को संरक्षक मंडल में रखा जाए. इस बात को लेकर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बनी और नतीजतन युवा व्यापारी संघ अलग हो गए.

दो पक्षों के विवाद में आम व्यापारी पशोपेश में हैं. व्यापारी कहते हैं कि वह किसके साथ जाएं ? आखिरकार किसी भी विवाद में नुकसान तो उनका ही होगा.

दमोह। व्यापारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए बनाए गए युवा व्यापारी संघ में अब दो फाड़ हो गए हैं. व्यापारी संघ में मतभेद अब मनभेद में बदल गया है. बता दें कि संघ पर अपना-अपना दावा पेश करने और अपने वर्चस्व के लिए अब दो नए अध्यक्ष निर्वाचित किए गए हैं.

दरअसल बीते 8 मार्च को व्यापारी संघ के एक गुट ने बैठक कर संरक्षक मंडल और अन्य व्यापारियों की सहमति से नरेंद्र जैन को अपना निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित किया था, जिसके बाद नए अध्यक्ष ने प्रेस वार्ता आयोजित की. प्रेस वार्ता में सभी व्यापारियों को साथ लेकर चलने का आश्वासन दिया गया, और दूसरे गुट पर आरोप लगाया था कि उनके द्वारा गलत तरीके से छोटे व्यापारियों पर दबाव डालकर 400 रुपए की रसीद सदस्यता शुल्क के रूप में काटी जा रही है. जबकि उन्हें यह अधिकार नहीं है. इस मामले के बाद दूसरे ग्रुप के अध्यक्ष संजय यादव ने बीती रात्रि में नए अध्यक्ष के निर्वाचन की प्रक्रिया के बारे में बताया. जानकारी के बाद नवनिर्वाचित अध्यक्ष नरेंद्र जैन अपने समर्थकों और साथियों के साथ कलेक्टर तरुण राठी और पुलिस अधीक्षक हेमंत चौहान से मिलकर दूसरे गुट की निर्वाचन प्रक्रिया रोकने का निवेदन किया, जिसके बाद कलेक्टर ने उन्हें जांच के बाद फैसला लेने का आश्वासन दिया.

दूसरे गुट में लखन बने अध्यक्ष

दूसरे गुट के निर्विरोध अध्यक्ष लखन केसरवानी को निर्वाचित किया गया. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में व्यापारी महासंघ एवं युवा व्यापारी संघ के लोग भी शामिल हुए. निर्वाचन के बाद व्यापारियों ने एक विशाल जुलूस निकाला और घंटाघर चौक पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर अपने गुट को ही असली संघ बताया.

क्यों हुए दो फाड़ ?

करीब 10 दिन पहले दोनों गुट की एक बैठक हुई थी, जिसमें दूसरे गुट के संजय यादव ने नरेंद्र जैन के नाम का प्रस्ताव रखा था और अपना समर्थन भी दिया था. लेकिन संजय यादव ने शर्त रखी थी कि संरक्षक मंडल से कुछ लोगों को अलग कर दिया जाए और उनकी पसंद के लोगों को संरक्षक मंडल में रखा जाए. इस बात को लेकर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बनी और नतीजतन युवा व्यापारी संघ अलग हो गए.

दो पक्षों के विवाद में आम व्यापारी पशोपेश में हैं. व्यापारी कहते हैं कि वह किसके साथ जाएं ? आखिरकार किसी भी विवाद में नुकसान तो उनका ही होगा.

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