दमोह। पहले से ही ओलावृष्टि और कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के कारण किसान रवि की फसलों में दोहरी मार झेल चुका है, वहीं अब पूरा श्रावण बीतने के बाद बी बादलों का खफा होना किसानों के लिए तिहरी मार साबित हो रहा हैं. मानसून आए महीनों बीतने के बाद समय से बारिश के न होने से अब खरीब की फसलों को लेकर भी किसान कि चिंता बढ़ने लगी है. ऐसा ही हाल है मध्यप्रदेश के दमोह जिले में जहां किसान ने बोवनी तो कर दी पर अब बारिश के लिए बादलों का मुह ताक कर है.
कम पानी से गिरेगी गाज
जिले में खरीफ की फसलों की हाल बेहाल है. जून और जुलाई का महीना पूरी तरह से बारिश से खाली रहा है. जबकी इन महीनों मेंं खरीफ की फसल की बोवनी होती है. लेकिन पानी के समय पर नहीं गिरने से जहां किसानों ने खरीफ की फसल में बदलाव किए हैं, वहीं कुछ किसानों ने अपनी फसलें बदल ली. कृषि विभाग की माने तो इस बार इस बार धान के साथ सोयाबीन की फसल पर किसानों ने ज्यादा ध्यान दिया है, जिस कारण धान का घट रहा रकवा सोयाबीन में कन्वर्ट हो रहा है. कृषि अधिकारी जेएल प्रजापती की माने तो मौसम के इस हाल के कारण पिछले वर्ष की तरह इस बार खरीफ की फसल का उत्पादन नहीं हो सकेगा.
धान किसानों ने बोया सोयाबीन
जवेरा, तेंदूखेड़ा, तेजगढ़ दमोह में धान की खेती अधिक मात्रा में होती है. लेकिन इस बार पानी के समय पर नहीं गिरने के कारण यह फसल प्रभावित होगी. पिछले साल 46 हजार मीट्रिक टन धान का उत्पादन हुआ था. लेकिन इस मामला संसय में है. पानी के नहीं गिरने से पथरिया अंचल के किसानों ने सोयाबीन की फसल उगाने का फैसला किया लेकिन इस बार बदरी से सोयाबीन के लिए भी पर्याप्त पानी नहीं आ रहा है.
अगस्त से उम्मीद भी खाली
खरीफ़ की फसलों में धान सोयाबीन के साथ राजगीर उड़द की पैदावार दमोह जिले में होती है, जिसमें सबसे ज्यादा मात्रा धान की होती है, लेकिन क्षेत्र का किसान इस बार इस बार इंद्रदेव की बेरुखी से परेशान है. कई खेतो में पहले से बोई धान परानी की कमी से खराब हो रही है और खेत में मात्र केवल चारा उग रहा है. अगस्त शुरू होते ही कुछ उम्मीद जरूर थी, लेकिन अभी हालत जस के तस बने हुए हैं.
किसानों पर पड़ी दोहरी मार
पहले से ही ओलावृष्टि की मार झेल चुके किसानों पर कोरोना वायरस की वजह से दोहरी मार पड़ी है. किसानों का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस बार अच्छी उम्मीद थी लेकिन बारिश के न होने से हाल बेहाल हो गए हैं, लॉकडाउन के शुरूआती दौर में लगाई गई फसलें जैसे गोभी टमाटर या पत्तागोभी की सीजनल सब्जियां खेतों में खड़े-खड़े ही खराब हो गई थी. वहीं बरसात के सीजन में लगने वाली सबसे ज्यादा सब्जियों में जैसे तोरई कद्दू और लौकी की इस बार पैदावार तो बंपर है, लेकिन उसे मंडी तक पहुंचाने का भी खर्चा नहीं निकल पा रहा है.
समय पर बारिश नहीं होने से खरीफ की फसल इस बार दमोह जिले में काफी प्रभावित हो रही है. पिछले साल का जितना रखवा था, उतनी रकवे में इस बार धान की फसल नही लगाई गई. हालांकि कुछ किसानों ने इस बहार सोयाबीन का रुख किया है, इस लिए पिछले साल के इस साल सोयाबीन के अच्छे उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है.