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बेटी ने निभाया फर्ज, पिता को मुखाग्नि देकर किया अंतिम संस्कार

जिले के हटा में एक बेटी ने अपने पिता का पूरे रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार किया. अंतिम संस्‍कार के दौरान जो सारे कार्य बेटे के द्वारा संपादित किये जाते हैं, उसे बेटी ने ही समाज एवं पंडितों के निर्देशन में पूरे किए.

Daughter offering fire to father
पिता को मुखाग्नि देती बेटी
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Published : Feb 9, 2021, 12:18 AM IST

दमोह। सरकार बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ जैसे अभियान चलाकर बेटी का महत्‍व बता रही है. वहीं हटा नगर के वरिष्‍ठ पत्रकार एवं कुरीतियों के विरूद्ध सदैव शंखनाद करने वाले समाज सेवी रवीन्‍द्र अग्रवाल की इकलौती बेटी ने अपने पिता के निधन पर परिवार को बेटा न होने की कमी का अहसास नहीं होने दिया. बल्कि बेटी ने ही अपने पिता की अर्थी को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया.

बेटी ने निभाया फर्ज

अखबार जगत से 45 वर्ष से जुडे़ रवीन्‍द्र अग्रवाल विगत दो माह से गंभीर रूप से बीमार थे, बीमारी के दौरान उन्‍हें उनकी बेटी पीएचडी की छात्रा सारिका अग्रवाल उच्‍च इलाज हेतु जबलपुर ले गई. जहां दो माह तक भूख प्‍यास नींद को दरकिनारे करते हुए दिनरात पिता की सेवा की. जिन्‍दगी से जंग लड़ रहे रवीन्‍द्र अग्रवाल का 7 फरवरी को निधन हो गया. 8 फरवरी को उनका अंतिम संस्‍कार हटा में हुआ. जहां सारिका ने समाज के वरिष्‍ठजनों एवं पंडितों से विचार विमर्श कर अंतिम संस्‍कार के सारे क्रियाकर्म स्‍वयं करने की इच्‍छा रखी, जिसे सभी ने सहमती दे दी.

अंतिम संस्‍कार के दौरान जो सारे कार्य बेटे के द्वारा संपादित किये जाते हैं, उसे बेटी ने ही समाज एवं पंडितों के निर्देशन में पूरे किए. पिता की अंतिम यात्रा जब घर से प्रारंभ हुई तो बेटी ने कंधा भी दिया, श्‍मशान घाट पर जाकर पिण्‍डदान, मुखाग्नि, जलचाप एवं तिलांजलि जैसे कार्य भी किए. बेटा न होना कोई अभिशाप नहीं होता, लेकिन बेटी होना सौभाग्‍य होता है. यह संदेश समाज, नगर और देश को देने का प्रयास सारिका के द्वारा किया गया है.

दमोह। सरकार बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ जैसे अभियान चलाकर बेटी का महत्‍व बता रही है. वहीं हटा नगर के वरिष्‍ठ पत्रकार एवं कुरीतियों के विरूद्ध सदैव शंखनाद करने वाले समाज सेवी रवीन्‍द्र अग्रवाल की इकलौती बेटी ने अपने पिता के निधन पर परिवार को बेटा न होने की कमी का अहसास नहीं होने दिया. बल्कि बेटी ने ही अपने पिता की अर्थी को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज निभाया.

बेटी ने निभाया फर्ज

अखबार जगत से 45 वर्ष से जुडे़ रवीन्‍द्र अग्रवाल विगत दो माह से गंभीर रूप से बीमार थे, बीमारी के दौरान उन्‍हें उनकी बेटी पीएचडी की छात्रा सारिका अग्रवाल उच्‍च इलाज हेतु जबलपुर ले गई. जहां दो माह तक भूख प्‍यास नींद को दरकिनारे करते हुए दिनरात पिता की सेवा की. जिन्‍दगी से जंग लड़ रहे रवीन्‍द्र अग्रवाल का 7 फरवरी को निधन हो गया. 8 फरवरी को उनका अंतिम संस्‍कार हटा में हुआ. जहां सारिका ने समाज के वरिष्‍ठजनों एवं पंडितों से विचार विमर्श कर अंतिम संस्‍कार के सारे क्रियाकर्म स्‍वयं करने की इच्‍छा रखी, जिसे सभी ने सहमती दे दी.

अंतिम संस्‍कार के दौरान जो सारे कार्य बेटे के द्वारा संपादित किये जाते हैं, उसे बेटी ने ही समाज एवं पंडितों के निर्देशन में पूरे किए. पिता की अंतिम यात्रा जब घर से प्रारंभ हुई तो बेटी ने कंधा भी दिया, श्‍मशान घाट पर जाकर पिण्‍डदान, मुखाग्नि, जलचाप एवं तिलांजलि जैसे कार्य भी किए. बेटा न होना कोई अभिशाप नहीं होता, लेकिन बेटी होना सौभाग्‍य होता है. यह संदेश समाज, नगर और देश को देने का प्रयास सारिका के द्वारा किया गया है.

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