दमोह। पथरिया विधायक रामबाई का मानवीय और मार्मिक चेहरा सामने आया है. विधायक ने धूप में गर्म पत्थर पर अपनी मां के साथ सो रहे कुपोषित बच्चे को उठाकर नहलाया और उसे नए कपड़े पहनाए. इसके बाद विधायक ने बच्चे को गोद में उठाया, बिस्किट खिलाया और दूध भी पिलाया. इतना ही नहीं उन्होंने तुरंत ही नगर परिषद के मुख्य अधिकारी प्रेम सिंह चौहान को फोन लगवाया और महिला के लिए प्रधानमंत्री आवास की राशि और राशन कार्ड बनवाने के निर्देश दिए.
दरअसल विधायक रामबाई बाई नगर परिषद द्वारा आयोजित पौधरोपण कार्यक्रम में जा रही थी. इस दौरान गाड़ी में बैठते समय विधायक की नजर कड़ी धूप में पत्थर पर सो रहे मां और कुपोषित नन्हे बेटे पर पड़ी. इसके बाद विधायक के मन में करुणा का भाव जागा और उन्होंने मां और बेटे की पूरी व्यवस्था करवाई.
विधायक ने करवाई रहने से लेकर इलाज की व्यवस्था
धूप में पत्थर पर सो रही मां और कुपोषित बच्चे की मदद करने के बाद विधायक ने मां और बेटे की रहने से लेकर इलाज तक पूरी व्यवस्था करवाई. विधायक ने मौके पर ही नगर परिषद के मुख्य अधिकारी प्रेम सिंह चौहान को बुलवाया और महिला को प्रधानमंत्री आवास का लाभ देने और राशन कार्ड बनवाने के निर्देश दिए. इसके बाद विधायक ने अतिरिक्त बीएमओ को कुपोषित बच्चे का समुचित उपचार करने के निर्देश दिए. जिस पर बीएमओ ने महिला, उसके पति और बच्चे को कुपोषण केंद्र में 15 दिन तक पर्याप्त आहार और उपचार करने का आश्वासन दिया.
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कौन है यह महिला?
महिला का पति पुरषोत्तम अहिरवार पथरिया का रहने वाला है. वह दिल्ली में मजदूरी करता था. दो वर्ष पूर्व उसने वहीं पर काम करने वाली केरल की रहने वाली महिला से शादी कर ली. लेकिन लॉकडाउन में जब उन्हें वापस घर आना पड़ा तो, पुरषोत्तम की पहली पत्नी गायब हो गई. जहां से वह मुंबई पहुंच गई. वहां पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जब महिला से पूछताछ की और उसे अस्पताल में भर्ती कराया तो वह कुछ भी नहीं बता पा रही थी. तब उन्होंने उससे पूछा कि तुमने वोट किसको दिया है? तो उसने केवल इतना ही कहा कि उसने अपना वोट रामबाई को दिया था.
तब सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पूरी जानकारी निकाली. करीब 6 माह पूर्व मुंबई पुलिस महिला को बच्चा सहित पथरिया छोड़ा. बताया जाता है कि महिला शुरू से ही मंदबुद्धि है. इसी वजह से यहां वहां गायब हो जाती है. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उसका बेटा भी बहुत कुपोषित है, और सिर पर छत ना होने के कारण ही वह 15 अगस्त के दिन भी खुले मैदान में चट्टान पर लेटी हुई थी.