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बच्चों को नहीं भा रही ऑनलाइन पढ़ाई, गर्मियों की छुट्टियों में पढ़ना लग रहा भारी

मई के महीने में शासकीय स्कूलों के साथ प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को भी ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. यह शासन का अभिनव प्रयोग है. लेकिन बच्चों की बात करें तो बच्चे इस तरह की पढ़ाई से परेशान हैं. बच्चों का कहना है कि गर्मी की छुट्टियों में उनको खेलने मिलता था, लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई से व्यस्तता बढ़ गई है.

A child studying online
ऑनलाइन पढ़ाई करता बच्चा
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Published : May 31, 2020, 4:43 PM IST

दमोह। लॉकडाउन के चलते प्रदेश के सभी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं लगाई जा रही हैं. मई के महीने में शासकीय स्कूलों के साथ प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को भी ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. यह शासन का अभिनव प्रयोग है. लेकिन बच्चों की बात करें तो बच्चे इस तरह की पढ़ाई से परेशान हैं. बच्चों का कहना है कि गर्मी की छुट्टियों में उनको खेलने मिलता था. लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई से व्यस्तता बढ़ गई है.

बच्चों को नहीं भा रही ऑनलाइन पढ़ाई

शासकीय स्कूल जहां बच्चों के व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर उनको मटेरियल देकर पढ़ाई कराई करा रहे हैं.तो वही प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी इस मुहिम में शामिल होकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं.

बच्चों को मटेरियल के लिए परेशान नहीं होना पड़े. इसके लिए ऑनलाइन ग्रुप बनाए जा रहे हैं. जिससे बच्चों की पढ़ाई जारी रहे. वहीं प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लास के जरिए हर दिन टाइम टेबल के अनुसार पढ़ाई करा रहे हैं. ऐसे हालात में यह बच्चे इस पढ़ाई के प्रति ज्यादा उत्सुक नजर नहीं आ रहे हैं.

छोटी क्लास के बच्चों का नहीं लगता ऑनलाइन पढ़ाई में मन

अगर छोटे बच्चों की बात करें तो उनका कहना है कि मई के महीने में उन लोगों को खेलने के लिए मिलता था, लेकिन अब पढ़ाई होने से पहले क्लास अटेंड करनी होती है. वहीं उसके बाद होमवर्क में ही बहुत समय निकल जाता है.

ऑनलाइन पढ़ाई पर डॉक्टरों के सवाल

वहीं डॉक्टरों का मानना है कि अगर बच्चे आधे घंटे से ज्यादा मोबाइल पर किसी भी तरह का वीडियो देखते हैं. तो उनको अनेक परेशानियों से जूझना पड़ सकता है. ऐसे में ऑनलाइन क्लास के आयोजन पर भी सवाल खड़े होते हैं. क्योंकि इससे बच्चों को आने वाले दिनों में परेशानियों का खतरा बढ़ रहा है.

रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर अभय ने कहा कि बच्चों की आधे घंटे से ज्यादा क्लास नहीं लगनी चाहिए. इससे बच्चों के दिमाग पर उलटा असर पड़ेगा. इसके अलावा आंखों में भी थकान रहती है. जिससे बच्चों में चश्मा लगने की संभावना बढ़ जाएगी.

अभिभावकों की माने तो स्कूलों का ऑनलाइन क्लास का फैसला सरासर गलत है. क्योंकि मोबाइल पर पढ़ने से बच्चों का कोई विकास नही हो रहा है. केवल पढ़ाई का ही विकास नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों के अंदर सभी तरह की चीजों का विकास होना चाहिए.

दमोह। लॉकडाउन के चलते प्रदेश के सभी स्कूलों में ऑनलाइन कक्षाएं लगाई जा रही हैं. मई के महीने में शासकीय स्कूलों के साथ प्राइवेट स्कूलों के बच्चों को भी ऑनलाइन पढ़ाई कराई जा रही है. यह शासन का अभिनव प्रयोग है. लेकिन बच्चों की बात करें तो बच्चे इस तरह की पढ़ाई से परेशान हैं. बच्चों का कहना है कि गर्मी की छुट्टियों में उनको खेलने मिलता था. लेकिन ऑनलाइन पढ़ाई से व्यस्तता बढ़ गई है.

बच्चों को नहीं भा रही ऑनलाइन पढ़ाई

शासकीय स्कूल जहां बच्चों के व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर उनको मटेरियल देकर पढ़ाई कराई करा रहे हैं.तो वही प्राइवेट स्कूल के बच्चे भी इस मुहिम में शामिल होकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं.

बच्चों को मटेरियल के लिए परेशान नहीं होना पड़े. इसके लिए ऑनलाइन ग्रुप बनाए जा रहे हैं. जिससे बच्चों की पढ़ाई जारी रहे. वहीं प्राइवेट स्कूल ऑनलाइन क्लास के जरिए हर दिन टाइम टेबल के अनुसार पढ़ाई करा रहे हैं. ऐसे हालात में यह बच्चे इस पढ़ाई के प्रति ज्यादा उत्सुक नजर नहीं आ रहे हैं.

छोटी क्लास के बच्चों का नहीं लगता ऑनलाइन पढ़ाई में मन

अगर छोटे बच्चों की बात करें तो उनका कहना है कि मई के महीने में उन लोगों को खेलने के लिए मिलता था, लेकिन अब पढ़ाई होने से पहले क्लास अटेंड करनी होती है. वहीं उसके बाद होमवर्क में ही बहुत समय निकल जाता है.

ऑनलाइन पढ़ाई पर डॉक्टरों के सवाल

वहीं डॉक्टरों का मानना है कि अगर बच्चे आधे घंटे से ज्यादा मोबाइल पर किसी भी तरह का वीडियो देखते हैं. तो उनको अनेक परेशानियों से जूझना पड़ सकता है. ऐसे में ऑनलाइन क्लास के आयोजन पर भी सवाल खड़े होते हैं. क्योंकि इससे बच्चों को आने वाले दिनों में परेशानियों का खतरा बढ़ रहा है.

रेडियोलॉजिस्ट डॉक्टर अभय ने कहा कि बच्चों की आधे घंटे से ज्यादा क्लास नहीं लगनी चाहिए. इससे बच्चों के दिमाग पर उलटा असर पड़ेगा. इसके अलावा आंखों में भी थकान रहती है. जिससे बच्चों में चश्मा लगने की संभावना बढ़ जाएगी.

अभिभावकों की माने तो स्कूलों का ऑनलाइन क्लास का फैसला सरासर गलत है. क्योंकि मोबाइल पर पढ़ने से बच्चों का कोई विकास नही हो रहा है. केवल पढ़ाई का ही विकास नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों के अंदर सभी तरह की चीजों का विकास होना चाहिए.

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