दमोह। जिले में एक मंदिर ऐसा भी है जहां पर स्थापित मिट्टी से बनी प्रतिमा 171 साल से भक्तों की मनोकामना को पूरा कर रही है. नवरात्र पर्व के दौरान केवल साल में दो बार ही ये मंदिर लोगों के दर्शन के लिए खोला जाता है. इसके बाद मंदिर के पट बंद कर दिए जाते हैं. यह स्थान भारत माता दुर्गा देवालय के नाम से जाना जाता है और हजारों लोगों की आस्थाओं का केंद्र भी है.
दमोह जिले के फुटेरा वार्ड में स्थित भारत माता दुर्गा देवालय 171 साल से हजारों लोगों की आस्थाओं का केंद्र है. ये मंदिर प्राचीन है और ये केवल नवरात्र पर्व के दौरान दो बार ही खोला जाता है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि सन 1851 में उनके पूर्वजों के द्वारा ये प्रतिमा बनवाई गई थी, जो जिले के हटा ग्राम से बनकर आई थी. बैलगाड़ी से ये प्रतिमा दमोह पहुंची थी. जिसे दमोह तक आने में 3 दिन का वक्त लगा था. तब से लेकर 1942 के लगभग तक ये प्रतिमा दमोह के चल समारोह में शामिल होती रही, लेकिन प्रतिमा का विसर्जन नहीं किया गया.
वहीं 1942 से लेकर अब तक ये प्रतिमा इसी मंदिर में स्थापित है और कभी बाहर नहीं निकली, क्योंकि भारत परिवार के द्वारा इस प्रतिमा की स्थापना की गई थी. इसलिए इस मंदिर का नाम भारत माता दुर्गा देवालय है. वहीं अंग्रेजी शासन काल में गोवध आंदोलन के दौरान ये प्रतिमा शहर के पुराना थाना पर 21 दिन तक अंग्रेजों के द्वारा रोक कर रखी गई थी. उसके बाद से ये प्रतिमा मंदिर से बाहर नहीं निकाली गई. मंदिर के जीर्णोद्धार के साथ ही ये प्रतिमा आज भी भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र है.
मंदिर की खास बात ये है कि मंदिर की प्रतिमा उत्तर मुखी है. साथ ही माता रानी की प्रतिमा 10 भुजा धारी है और मिट्टी से बनी है, ये मूर्ति 171 साल बाद आज भी ज्यों की त्यों है और भक्तों की आस्था का केंद्र भी.