दमोह। जिला मुख्यालय स्थित करीब 180 साल पुराना देवालय भारत दुर्गा देवालय के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में स्थापित प्रतिमा भी 180 साल पुरानी है. ये प्रतिमा मिट्टी से बनी हुई है, जो हटा से निर्मित कराई गई थी. बताया जाता है कि बैलगाड़ी पर चलकर 3 दिन की यात्रा करते हुए यह प्रतिमा दमोह पहुंची थी.
इस मंदिर की खास बात यह है कि ये मंदिर साल में केवल 2 बार ही खुलता है. साल 1851 में देवी प्रसाद भारत ने दुर्गाजी की प्रतिमा की स्थापना अपने घर के पास कराई थी. यह प्रतिमा हटा से निर्मित कराई गई थी. यह प्रतिमा आज भी अपने मूल स्वरूप में मिट्टी से ही निर्मित है.
बता दें कि कई सालों तक यह प्रतिमा क्वार के नवरात्रि के समय निकाले जाने वाले चल समारोह में शामिल होती रही. इसके बाद सन 1943 में गोवध आंदोलन के दौरान अंग्रेजों ने चल समारोह को पुराने थाने पर रोक लिया था और प्रतिमा करीब 21 दिन तक रुकी रही थी. वहीं ब्रिटिश शासन द्वारा यह प्रतिमा जब छोड़ी गई, तब से लेकर अब तक ये केवल इसी मंदिर में विराजमान है. यह मंदिर साल में केवल नवरात्रि के 9 दिन ही 2 बार खुलता है. इस मंदिर की स्थापना की चौथी पीढ़ी के भारत गुरु बताते हैं कि यह प्रतिमा आज भी लोगों की मनोकामनाएं पूरी करती है. साथ ही लाखों लोगों की आस्था का केंद्र भी है.